भारतीय शोधकर्ता एवं पत्रकार अमाना बेगम अंसारी ने पश्चिमी मीडिया को देश में मुस्लिमों के साथ भेदभाव पर नसीहत देने पर आड़े हाथों लिया है। उन्होंने बीबीसी को भी इस बात पर खरी-खरी सुनाई। दरअसल, बीबीसी ने भारत की खराब तस्वीर पेश करने के अपने रवैये के चलते हाल ही में मणिपुर हिंसा पर चर्चा के लिए एक इंटरव्यू की मेजबानी की थी।
बीबीसी में इंटरव्यू लेने वाले शख्स ने मणिपुर प्रकरण का इस्तेमाल इस तरह की हिंसक घटनाओं पर भारत की छवि और कड़े कदम उठाने की उसकी काबिलियत पर सवाल खड़े करने के उद्देश्य से किया था। बीबीसी पत्रकार ने हिंसा की कुछ छिटपुट घटनाओं का इस्तेमाल करके इस बात को बारीकी से आगे बढ़ाने का भी कोशिश की कि पीएम मोदी के कार्यकाल में भारत एक बहुसंख्यकवादी देश है, जो नियमित तौर से अल्पसंख्यकों, खासकर मुस्लिमों पर जुल्म ढाता है।
शोधकर्ता और नीति विश्लेषक अमाना बेगम अंसारी भी इस कार्यक्रम का हिस्सा थीं। इस दौरान उन्होंने भारत विरोधी प्रचार और दावों का भंडाफोड़ करते हुए बीबीसी को करारा जवाब दिया। बीबीसी के साथ इंटरव्यू वाली 2 घंटे 53 मिनट की क्लिप में अंसारी भारत के बारे में पक्षपाती धारणा के लिए पश्चिमी मीडिया पर निशाना साधती नजर आ रही हैं।
Got a chance to speak on @BBCNewsnight and present facts and reality about my country, India.
— Amana Begam Ansari (@Amana_Ansari) August 10, 2023
Thank you, BBC for giving me a platform. pic.twitter.com/k9hDSGufuF
अंसारी ने कहा कि हिंसा की कुछ अलग घटनाओं के आधार पर भारत के बारे में पश्चिमी मीडिया गलत धारणा बना रहा है। अंसारी ने तर्क दिया कि पश्चिमी देशों को कोई भी फैसला लेने से पहले भारत की जटिलताओं को समझना चाहिए। इसमें वह यूपी का उदाहरण देते हुए कहती हैं कि पिछले 10 साल में वहाँ अपराध दर में 60 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है।
इंटरव्यू के दौरान अमाना अंसारी ने कहा, “पश्चिमी मीडिया में अधिकार की एक अजीब भावना है, जो उन्हें यह सोचने के लिए प्रेरित करती है कि उन्हें भारत के आंतरिक मामलों पर उपदेश देने और उसमें दखलअंदाजी करने का पूरा हक है।”
उन्होंने कहा कि पश्चिमी मीडिया, भारत में कई प्रचार आउटलेटों और कॉन्ग्रेसी जैसे विपक्षी दलों के अटूट समर्थन के साथ भारत के मुस्लिमों के खिलाफ ‘भेदभावपूर्ण’ और ‘पूर्वाग्रह से युक्त’ होने की तस्वीर दिखाने की लगातार कोशिश करता रहा है। उन्होंने कहा कि यह काम बीते 10 साल से अधिक हो रहा है, जब से पीएम नरेंद्र मोदी सत्ता में आए हैं।
उन्होंने आगे कहा कि ये अंतरराष्ट्रीय आउटलेट ‘डरा हुआ मुस्लिम’ की झूठी एवं मनगढ़ंत कहानी को बढ़ावा देते हुए अपने भारत विरोधी और हिंदू विरोधी पूर्वाग्रहों को आगे बढ़ाने के लिए हमेशा उतावले रहते हैं। हाल ही में मणिपुर में हुई हिंसा में अपने इस काम को आगे बढ़ाने के लिए इन्हें चारा मिल गया है।
मणिपुर हिंसा के बारे में पूछे गए सवालों का दृढ़ता से जवाब देते हुए उन्होंने कहा, “जब पश्चिमी दुनिया भारत की ओर देखती है तो उन्हें यह समझना चाहिए कि हम छह प्रमुख वैश्विक आस्थाओं (धर्मों) को समाहित करते हैं। पश्चिम यह समझ पाता कि विविधता क्या है, तब से हम विविधता में रहते आ रहे हैं।”
अंसारी ने इस गलत धारणा की निंदा की कि भारतीय मुस्लिमों पर हमला हो रहा है या देश में मुस्लिम नरसंहार हो रहा है। दरअसल इस धारणा का इस्तेमाल पश्चिमी मीडिया लगातार भारत को बदनाम करने के लिए बढ़ावा देते आ रहा है। इस दौरान बीबीसी पत्रकार ने पीएम मोदी के हिंदू राष्ट्रवाद के विचार पर सवाल उठाया।
इस पर मोदी सरकार का जोरदार बचाव करते हुए अंसारी ने कहा, “यह बहुआयामी नजरिया है। जब हम हिंदुओं के बारे में बात करते हैं तो हम हिंदू संस्कृति के बारे में भी बात करते हैं। भारत हिंदू संस्कृति का प्रतीक है। मेरे जैसे कई भारतीय मुसलमान, कभी हिंदू थे और बाद में परिवर्तित हो गए थे। हमें इस वास्तविकता को स्वीकार करना चाहिए।”
उन्होंने गैर-धर्मनिरपेक्ष इस्लामी देशों के मुकाबले भारत में मिलने वाली आजादी का हवाला देते हुए कहा कि वह अपनी भारतीय मुस्लिम पहचान को अहमियत देती हैं। पत्रकार अंसारी ने इस इंटरव्यू के दौरान कहा, “मैं भारत में जन्म लेकर धन्य महसूस कर रही हूँ। मैं एक मुस्लिम-बहुल देश में पैदा होने की कल्पना करूँ तो मैं भारत में जो आजादी को महसूस कर रही हूँ वह वहाँ संभव नहीं हो पाएगी।”
साल 2022 में कर्नाटक में छिड़ी बुर्का बहस के दौरान अमाना अंसारी उन बहुत कम महिलाओं में से एक थीं, जिन्होंने इस प्रथा के खिलाफ जोरदार ढंग से अपनी बात रखी थी। इस घटना का सेक्युलरों और इस्लामवादियों ने पूरे दिल से बचाव और समर्थन किया और इसे निजी आजादी का मुद्दा बना डाला था।