Saturday, November 23, 2024
115 कुल लेख

Anand Kumar

Tread cautiously, here sentiments may get hurt!

शोभा डे और बिकाऊ मीडिया: जब गुलाम नबी ने खड़ी की थी किराए की कलमों (गद्दार, देशद्रोही पत्रकार) की फौज

81 पैराग्राफ के कबूलनामे में गुलाम नबी ने अपने कई अपराध कबूल किए थे। मुक़दमे के दौरान अदालत में सिद्ध हुआ था कि अपराधी (गुलाम नबी) न सिर्फ वक्ताओं की लिस्ट ISI से लेता था, बल्कि वो क्या बोलेंगे, ये भी इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ़ पाकिस्तान की गुप्तचर संस्था, आईएसआई ही तय करती थी।

बिहारियों पर केंद्र कब ध्यान देगा? क्या बिहारी भी उठा ले पत्थर?

हम बिहार में रहते हैं जहाँ की आबादी 13 करोड़ के लगभग है। हमें कश्मीर दिखता है जहाँ की आबादी यहाँ का मुश्किल से दसवाँ हिस्सा होगी। मुझे ये दिखता है कि वहाँ कितना ध्यान दिया जा रहा है और यहाँ कितन कम ध्यान दिया जाता है।

जब कश्मीरी बैंड की लड़कियों को रेप की धमकी मिलती रही, CM अब्दुल्ला पलट कर कठमुल्लों की गोद में बैठ गए

कश्मीर में जब तक 370 था तबतक लड़कियों की शादी 18 वर्ष की आयु के बाद ही हो, ऐसा कोई कानून नहीं चलता था। बाल विवाह भी होता था इसलिए करीब दस साल पहले दसवीं में पढ़ने वाली ये बच्चियाँ आज कहाँ होंगी ये तो पता नहीं।

सबरीमाला मंदिर में चोरी-छिपे घुसने वाली महिला की बेटी का जबरन धर्म परिवर्तन, पति ने ही…

जबरन सबरीमाला मंदिर में घुसने की असफल कोशिश करने वाली बिन्दु थनकम कल्याणी ने आरोप लगाया कि उसके पति ने अपनी ही बेटी को अगवा करके उसका धर्म परिवर्तन करा डाला। इसके बाद बेटी का स्कूल भी बदलवा कर मुस्लिम स्कूल में भर्ती करवा दिया।

कश्मीर के बारे में आपको नैरेटिव के दलालों ने ये बताया था क्या?

इन लोगों से ये वादा किया गया कि इन्हें स्थायी नागरिक का दर्जा दिया जायेगा। मगर इस स्थायी नागरिकता के साथ शर्त ये थी कि आने वाले परिवार और उनकी आगे की पीढियाँ सिर्फ सर पर मल ढोने का काम ही करेंगी। और वो शर्त आज भी लागू है।

TV में निष्पक्षता के नाम पर होता है छल: यह न तो मीडियम है, न ही यहाँ काम करने वाले मीडियाकर्मी

टीवी, जो आप तक सन्देश तो पहुँचाता है, लेकिन उस सन्देश को आपने कैसे लिया इस बारे में सन्देश भेजने वाले चैनल को कुछ नहीं बताता। यानी टीवी एक कम्युनिकेशन का माध्यम- मीडिया नहीं है, ना ही उसके चैनल में काम करने वाले मीडियाकर्मी कहलाएँगे।

रसगुल्ले की यात्रा: भुवनेश्वर के पास ‘पहला’ नाम के गाँव से बना ‘पहला रसगुल्ला’

माना जाता है कि भुवनेश्वर के पास "पहला" नाम के गाँव में दूध की बर्बादी होते देखकर मंदिर के पुजारियों ने ही उन्हें रसगुल्ला बनाने और दूध को बचा लेने की विधि सिखाई। इस तरह ओडिशा में "पहला रसगुल्ला" के नाम से ये प्रसिद्ध हुआ।

सागरिका हम समझते हैं, कुंठा छिपाने और अपनी किताब बेचने का यह तरीका पुराना है

सागरिका युद्धों के बारे में अपनी जानकारी को थल सेना के एक अधिकारी से ज्यादा सिद्ध करने की मूर्खतापूर्ण कोशिश में लगी रही। ये अलग बात है कि युद्धों का उनका कुल अनुभव शून्य ही होगा। हाँ, उनके पति महोदय का न्यूयॉर्क में कुछ नागरिकों से हाथापाई का अनुभव जरूर है।