Tuesday, March 19, 2024
115 कुल लेख

Anand Kumar

Tread cautiously, here sentiments may get hurt!

कमलेश तिवारी होते हुए कन्हैया लाल तक पहुँचा हकीकत राय से शुरू हुआ सिलसिला, कातिल ‘मासूम भटके हुए जवान’: जुबैर समर्थकों के पंजों पर...

कन्हैयालाल की हत्या राजस्थान की ये घटना राज्य की कोई पहली घटना भी नहीं है। रामनवमी के शांतिपूर्ण जुलूसों पर इस राज्य में पथराव किए गए थे।

जिन्हें ‘फ्रिंज एलिमेंट्स’ कह रहे, वही सड़क पर उतर कर उठाते हैं हिंदुत्व का झंडा: पृथ्वीराज वाले इतिहास से सीखिए, महाराणा के भील बनिए

उनके नियम कहते हैं कि काफिर स्त्रियों को उठाकर संपत्ति की तरह बाँटो और बलात्कार करो। बच्चों को उठाकर ले जाने, खतना करने और गुलाम बनाने की बातें करते हैं।

समाज जिसे बालिका कहता है, तालिबानी कबीलाई कानून में वो सिर्फ ‘योनि’ है: टैगोर के ‘काबुलीवाला’ के बहाने बात इस्लामी आतंक की

हमें एक ऐसा संगठन दिखाई देता है जिसके लिए स्त्री एक योनि से अधिक कुछ है ही नहीं! वो इस बात की पैरोकारी करते हैं कि लड़कियों को शिक्षा भी नहीं दी जानी चाहिए।

फण्ड की कमी से जूझते बिहार के 5000+ पुस्तकालय बंद: जानें National Library Day पर लाइब्रेरियों का हाल

केंद्र सरकार ने राजा राम मोहन राय लाइब्रेरी फाउंडेशन बनाया है जो करीब 15-16 हज़ार पुस्तकालयों को फंड देती है। बिहार के पुस्तकालयों में लोग नहीं हैं, इसलिए यहाँ से फंड लेने के लिए जरूरी कागज़ भी नहीं भेजे जा सके।

भारत आए पाकिस्तानी हिंदुओं की दशा क्या? गैर-मुस्लिम शरणार्थियों पर AAP सरकार को कोर्ट ने क्यों दिया निर्देश?

दिल्ली हाईकोर्ट ने केजरीवाल सरकार को पड़ोसी देशों में प्रताड़ित होने के कारण भारत आए और दिल्ली में रह रहे हिंदुओं का पूरा ध्यान रखने को कहा है।

नए IT कानून को मोटा पोथा मत बनाइए: आज ट्विटर उठा रहा फायदा, कल कोई और उठाएगा

न तो भारत के अधिकांश लोग 700 पन्ने का प्रिंट निकलवाने के आर्थिक खर्च में सक्षम होंगे, न ही उतना पढ़ कर विचार रखने के लिए कोई समय निकलेगा।

हम 1 साल में कितने तैयार हुए? सरकारों की नाकामी के बाद आखिर किस अवतार की बाट जोह रहे हम?

मुफ्त वाई-फाई, मुफ्त बिजली, मुफ्त पानी से आगे लोगों को सोचने लायक ही नहीं छोड़ती समाजवाद। सरकार के भरोसे हाथ बाँध कर...

जमातों के निजी हितों से पैदा हुई कोरोना की दूसरी लहर, हम फिर उसी जगह हैं जहाँ से एक साल पहले चले थे

ये स्वीकारना होगा कि इसकी शुरुआत तभी हो गई थी जब बिहार में चुनाव हो रहे थे। लेकिन तब 'स्पीकिंग ट्रुथ टू पावर' वालों ने जैसे नियमों से आँखें मूँद ली थी।

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