आज JNU में एक मार्ग का नाम सावरकर जी के नाम पर रखा जाना निसंदेह एक दूरदर्शितापूर्ण कदम है। यह कदम उस स्थान पर अत्यावश्यक हो जाता है, जहाँ बैठकर स्वतन्त्रता उपरांत एक खास इतिहासकारों के वर्ग ने भारतीय मूल्यों को धूलि-धूसरित करने का कार्य करते हुए इतिहास की मनगंढ़त व्याख्या हमारे समक्ष रखी।