राजनैतिक मुद्दे

‘जामा मस्जिद -फतेहपुरी में बैठ सकते थे 25-30 हजार मुस्लिम, हिन्दुओं के पास जगह नहीं’: काशी में साकार हुआ स्वामी श्रद्धानंद का सपना

स्वामी श्रद्धानंद ने सलाह दी थी, "प्रत्येक नगर में एक हिन्दू-राष्ट्र मंदिर की स्थापना अवश्य की जानी चाहिए जिसमें एक साथ 25,000 लोग समा सकें।"

28000 शिवालयों में पूजा, 5 लाख घरों में प्रसाद वितरण: PM मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट से यूँ बदल गई अवधूत की क्रीड़ास्थली, दिखेगा इतिहास

एक समय में लगभग 4000 लोग इस रोप-वे पर यात्रा कर पाएँगे। विश्व में यह सेवा अभी तक केवल बोलीविया के लाल पाज और मेक्सिको की राजधानी में ही है।

70 साल में 160 Km और साढ़े 4 साल में 1500 Km सड़कें, बेरोजगारी दर 17 से सीधा 4 पर: यूपी में यूँ कमाल कर रहा है ‘डबल इंजन’

उत्तर प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय वर्ष 2015-16 के 43,000 रुपए की तुलना में वर्ष 2021 में आज दोगुने से भी अधिक 95,000 रुपए हो गया है।

सियासत होय जब ‘हिंसा’ की, उद्योग-धंधा कहाँ से होय: क्या अडानी-ममता मुलाकात से ही बदल जाएगा बंगाल में निवेश का माहौल

एक उद्योगपति और मुख्यमंत्री की मुलाकात आम बात है। पर जब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हों और उद्योगपति गौतम अडानी तो उसे आम कैसे कहा जा सकता?

यूपीए है ही नहीं… विपक्षी एकता की मृगमरीचिका में खुद को राष्ट्रीय नेता साबित करने में लगीं ममता, लगाएँगी कॉन्ग्रेस को पलीता

अधीर रंजन चौधरी और ममता बनर्जी के बीच वक्तव्यों की यह लड़ाई चाहे जितनी गंभीर हो, कॉन्ग्रेस पार्टी और उसके केंद्रीय नेतृत्व को पता है कि बिना उनके विपक्षी एकता…

‘मथुरा की तैयारी है’: केशव मौर्य के बयान से अखिलेश यादव को लगी मिर्ची, सन् 1670 की गलती सुधारने का यही सही समय?

मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि के अतिक्रमण का मुद्दा नया नहीं है। मामला अदालत में भी चल रहा। शाही ईदगाह मस्जिद औरंगजेब ने मंदिर तोड़ कर बनवाया था।

कभी ज़िंदा जलाया, कभी काट कर टाँगा: ₹60000 करोड़ का नुकसान, हत्या-बलात्कार और हिंसा – ये सब देश को देकर जाएँगे ‘किसान’

'किसान आंदोलन' के कारण देश को 60,000 करोड़ रुपए का घाटा सहना पड़ा। हत्या और बलात्कार की घटनाएँ हुईं। आम लोगों को परेशानी झेलनी पड़ी।

बेचारा लोकतंत्र! विपक्ष के मन का हुआ तो मजबूत वर्ना सीधे हत्या: नारे, निलंबन के बीच हंगामेदार रहा वार्म अप सेशन

संसद में परंपरा के अनुरूप आचरण न करने से लोकतंत्र मजबूत होता है और उस आचरण के लिए निलंबन पर लोकतंत्र की हत्या हो जाती है।

त्रिपुरा में ऐसे खिला कमल, मुरझा गया सारा प्रोपेगेंडा: जानिए बीजेपी की नॉर्थ-ईस्ट पॉलिटिक्स के लिए ये नतीजे कितने शुभ

वर्तमान केंद्र सरकार द्वारा उत्तर-पूर्वी राज्यों में विकास प्राथमिकता देने का असर बाकी राज्यों की तरह त्रिपुरा में भी दिखाई दे रहा है।