राजनैतिक मुद्दे

नेताओं में ‘हिन्दू’ दिखने की होड़, क्षेत्रीय क्षत्रपों का PM ख्वाब टूटा: 7 साल में बदल दी पूरी सियासत

PM बनने का ख्वाब देखने वाले क्षेत्रीय क्षत्रप दिल्ली से गायब हो गए। राजनीति डिजिटल हो गया। हर नेता खुद को राष्ट्रवादी और हिन्दू हितैषी दिखाने लगा। कई जानी-दुश्मन एक…

‘मुझे पता है इसी व्यक्ति ने यह अपराध किया है…’: प्रियदर्शिनी की राह पर तेजपाल का केस, क्या वैसा ही होगा आखिरी फैसला

विस्तृत फैसले में सबूतों को मिटाने की बात से एक सीख सरकार चलाने वालों के लिए भी है। विचार करें कि प्रशासन सरकार के नीचे है या ऊपर?

राजनीति से नहीं ट्विटर के रार का सरोकार, यह ‘विदेशी मसीहा’ को लेकर लिबरल बेचैनी का है इजहार

बात पुराने पापों पर पर्दा डालने की हो या नए प्रोपेगेंडा की, देशी लिबरलों को अब विदेशी मदद की दरकार है, क्योंकि उनके घरेलू नायक बेपर्दा हो चुके हैं।

राष्ट्रवाद विरोधी इकोसिस्टम के हाथों में खेलता ट्विटर, लोकतंत्र के लिए जरूरी है यह जानना कि कौन कहाँ खड़ा है

ट्विटर इंडिया के लिए सरकार द्वारा उठाए गए प्रश्नों की अनदेखी न तो कानून सम्मत है और न ही आम भारतीय की अभिव्यक्ति के स्वतंत्रता के पक्ष में है।

कुंभ से कोरोना, चुनावी रैली स्थगित कर रोना… लेकिन ‘किसानों’ को समर्थन देना: देश के संघर्ष में यह है विपक्षी दलों का चरित्र

यह कैसी राजनीति है? पंजाब की सरकार दिल्ली में किसानों के धरने को पूरा समर्थन देती हैं पर पंजाब में उनके धरने को संक्रमण फैलाने का साधन बताती हैं? दिल्ली…

अजीबोगरीब कल्पनाओं वाली नेहरू की विदेश नीति: मुस्लिम राष्ट्रों ने ठुकराया, इजरायल को भारत से कर दिया था दूर

इसे दुर्भाग्य के अलावा क्या ही कहा जाएगा कि एक लोकतान्त्रिक संप्रभु देश की विदेश नीति को तुष्टिकरण के द्वारा तय किया जाता था।

2024 के लोकसभा चुनाव की बात करना जल्दबाजी है फिर भी हमें बात करनी होगी: जानिए क्यों?

पूरा कॉन्ग्रेस-लेफ्ट इकोसिस्टम 2024 तक इस बदलाव की झूठी उम्मीदों को जिन्दा रखने की पूरी कोशिश करेगा। फासीवाद का रोना रोकर भी जो अवसर न मिल पाया, इस इकोसिस्टम को…

इजरायल के विपक्ष से कुछ तो सीखें हमारे नेता… हमारी लोकतान्त्रिक शक्तियाँ राष्ट्रहित को कब आगे रखेंगी?

जब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर राष्ट्रहित की बात आती है तो हमारे कुछ दलों और उनके नेता हर बार गलत जगह खड़े दिखाई देते हैं। इजरायल में ऐसा नहीं।

अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत को लज्जित करने के उद्देश्य के पीछे केजरीवाल की मंशा क्या है?

केजरीवाल को यह विचार करने की आवश्यकता है कि उनके ऐसा बार-बार करने से क्या केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्र सरकार या भारत की छवि...

नेहरू से राहुल तक, अयोध्या से कुंभ तक… इस्लामी कट्टरपंथियों की तरह कॉन्ग्रेस के निशाने पर हिंदू

जब भी बात हिंदुओं, उनके आस्था और परंपराओं की होती है, कॉन्ग्रेस और कट्टरपंथी एक ही नाव के सवार दिखते हैं।