बिहार ने जातिवादी राजनीति का खेल खेलने वालों की कब्र खोदी, मगर वाम आतंकियों का मजबूत होना चिंताजनक
आखिर अस्सी-नब्बे के दशक में जो लोगों को अपने उपनाम छुपाने पड़े थे, वो किसे याद नहीं? एक कथित सेक्युलर चैनल के ईनामी पत्रकार भी तो अपना नाम 'कुमार' तक…
आखिर अस्सी-नब्बे के दशक में जो लोगों को अपने उपनाम छुपाने पड़े थे, वो किसे याद नहीं? एक कथित सेक्युलर चैनल के ईनामी पत्रकार भी तो अपना नाम 'कुमार' तक…
मध्य प्रदेश में किसानों के बीच कृषि कानूनों को लेकर फैलाए जा रहे दुष्प्रचार से भाजपा ने कैसे निपटी? वो मुद्दा, जिसने कॉन्ग्रेस से किसानों का विश्वास छीन लिया।
वहीं जब किसी ने सिर्फ मजाकिया तौर पर एक राज्य के मुख्यमंत्री का मीम्म बनाया, तो उसे गैर-जमानती आरोपों के साथ धर लिया गया। ‘हिटलर’ ने क्या किया?
एक 'जातउद्घोषक' सरकार में एक जाति विशेष की महिलाओं के चुन-चुन कर बलात्कार किए जाने की बात हो या बाहुबलियों की अतिशयोक्ति, बिहार की ललनाओं की परीक्षा सदियों तक चली।
यह महज संयोग नहीं, प्रयोग है। इसका असर हुआ तो एनडीए उस स्थिति में पहुँच सकती है, जिसका अनुमान कोई नहीं लगा रहा।
भारतीय 'लिबरलिज़्म' का एक नया उभरता चेहरा हैं बिहार के राजद नेता तेजस्वी यादव। उनके वोट माँगने का आधार है क्या? क्या हैं तेजस्वी के कीर्तिमान?
जब तक ये फैसला आया तब तक अपराधियों में से एक मर चुका था, लेकिन पच्चीस साल बीतने पर भी एक दूसरा अपराधी फरार ही...
1962 में चीन और 1965 में पाकिस्तान के साथ युद्ध में जनसंघ और आरएसएस के कार्यकर्ताओं ने सिविक और पुलिस ड्यूटी का किरदार निभाया था।
दहेज़ के बारे में सोचा है? एक तो इसमें ‘ज’ के नीचे जो बिंदी होती है, वो देवनागरी लिपी में होती ही नहीं। यानी, ये देशज नहीं, विदेशज शब्द है।…
मैथिली ठाकुर के गाने पर विवाद तो होना ही था। लेकिन यही विवाद तब नहीं छिड़ा जब जनकवियों के लिखे गीतों को यूट्यूब पर रिलीज करने पर लोग उसके खिलाफ…