तारीख: 24 दिसंबर 2021। इंडियन एक्सप्रेस ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की। श्यामलाल यादव और संदीप सिंह की यह रिपोर्ट अयोध्या में जमीनों की खरीद से जुड़ी है। ‘खोजी पत्रकारिता’ के नाम पर इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद कुछ ऐसे लोगों या उनके रिश्तेदारों ने जमीन खरीदी है जो ‘पद के दुरुपयोग’ का मामला हो सकता है। ऐसे 14 लोगों का जिक्र इस रिपोर्ट में है। इनमें स्थानीय जन प्रतिनिधि, वे अधिकारी जो अयोध्या में तैनात हैं या रहे हैं, स्थानीय रेवेन्यू अधिकारी और इनके करीबियों के बारे में सवाल उठाया गया है।
इस रिपोर्ट में इंडियन एक्सप्रेस ने ऐसा कोई तथ्य सामने नहीं रखा था, जिससे जमीनों की खरीद में गड़बड़ी दिखे। रिपोर्ट में जिनलोगों का उसने जिक्र किया था, उनलोगों ने भी बातचीत में उसके दावे खारिज कर दिए थे। फिर भी इन जमीनों की खरीद विवादित दिखे, पाठकों के मन में संदेह पैदा हो, ऐसा लगे कि राम मंदिर के नाम पर अयोध्या में लूट मची हुई है, रिपोर्ट में सारी जमीनों को राम मंदिर साइट के 5 किलोमीटर की परिधि में बता दिया गया।
इंडियन एक्सप्रेस की इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने मामले जाँच के निर्देश दिए थे। ऑपइंडिया ने भी रिपोर्ट में जिक्र की गई जमीनों की खरीद की पड़ताल शुरू की। हर जगह जाकर जमीन देखी। जैसे ही हमने पड़ताल शुरू की खोजी पत्रकारिता के नाम पर इंडियन एक्सप्रेस की फरेब की परत एक के बाद एक खुलती गई।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में IAS एमपी अग्रवाल, IPS दीपक कुमार, SDM पीयूष चौधरी, DSP अरविन्द चौरसिया, राजस्व अधिकारी पुरुषोत्तम दास गुप्ता, प्रदेश सूचना आयुक्त हर्षवर्धन शाही, रिटायर्ड IAS अधिकारी उमाधर द्विवेदी, लेखपाल बद्री उपाध्याय, कानूनगो सुधांशु रंजन, पेशकार दिनेश ओझा, अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय, गोसाईंगंज से भाजपा विधायक इंद्रप्रताप तिवारी खब्बू, अयोध्या से भाजपा विधायक वेद प्रकाश गुप्ता और प्रदेश OBC आयोग के सदस्य बलराम मौर्या का जिक्र किया गया है।
ऑपइंडिया ने पाया कि इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट का यह दावा झूठा है कि उसकी रिपोर्ट में उल्लेखित सारी जमीन 5 किलोमीटर के दायरे में है। जिन जमीनों का जिक्र किया गया है उसमें से केवल 5 भूखंड ही ऐसे हैं जो इसके दायरे में आते हैं। कई जमीन दूसरे थाना क्षेत्र और दूसरे जिले तक में भी हैं, लेकिन इन्हें भी राम मंदिर से जोड़ दिया गया है।
OBC आयोग के सदस्य बलराम मौर्या
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में राज्य OBC आयोग के सदस्य बलराम मौर्या का भी नाम है। मौर्या द्वारा महेशपुर में जमीन खरीदने की बात कही गई है। महेशपुर जिला अयोध्या की सीमाओं से बाहर जिला गोंडा में है। साथ ही इसकी राम मंदिर परिसर से दूरी 12 किलोमीटर है, जो इंडियन एक्सप्रेस के 5 किलोमीटर के दावे से ज्यादा है। धर्मनगरी अयोध्या और इस स्थान के मध्य सरयू नदी भी पड़ती है। लगभग 1 किलोमीटर लम्बाई बीच में पड़ने वाले पुल की ही है।
सूचना आयुक्त हर्षवर्धन शाही
उत्तर प्रदेश सूचना आयुक्त हर्षवर्धन शाही की पत्नी और बेटे द्वारा जमीन खरीदने की बात कही गई है। यह जमीन अयोध्या के सरायरासी माँझा क्षेत्र में है। जमीन राममंदिर परिसर से इंडियन एक्सप्रेस के 5 किलोमीटर के दावे से उलट लगभग 14 किलोमीटर दूर है। इस स्थान का थाना क्षेत्र भी राम मंदिर परिसर थाना क्षेत्र से अलग है।
ऑपइंडिया ने सरायरासी गाँव का दौरा किया। वह क्षेत्र अभी अधिकतर वीरान है। यह वही गाँव है जहाँ के कई लोगों ने अयोध्या मंदिर पर बाबर के हमले के दौरान मंदिर बचाते हुए अपने प्राण दिए थे।
SDM आयुष चौधरी
SDM आयुष चौधरी की चचेरी बहन शोभिता रानी द्वारा रामजन्मभूमि मंदिर परिसर के 5 KM के अंदर 2 अलग-अलग जमीन खरीदे जाने की बात कही गई है। ऑपइंडिया ने इन दोनों स्थानों का दौरा किया। मई 2020 में खरीदी गई पहली जमीन गाँव बिरौली में है, जो राम मंदिर परिसर से लगभग 13 KM दूर है। जमीन झुरमुटों और बेहद ऊबड़-खाबड़ इलाके में है। रास्ता धूल से भरा है।
यह सड़क बिलहरघाट और मसौधा नाम के 2 स्थानीय बाजारों को जोड़ती है।
दूसरी जमीन अयोध्या के गाँव मलिकपुर में है। यह स्थान राम मंदिर से लगभग 10 KM के फ़ासले पर है। दोनों जमीनों के थाना क्षेत्र भी जन्मभूमि परिसर से अलग हैं। यह जमीन नवम्बर 2019 में शोभिता द्वारा संचालित एक संस्था के नाम पर खरीदने का दावा किया गया है। SDM आयुष चौधरी अयोध्या जिले के विभिन्न क्षेत्रों में अक्टूबर 2019 से अक्टूबर 2021 तक तैनात रहे हैं। फिलहाल उनकी तैनाती कानपुर जिले में है।
कानूनगो सुधांशु रंजन और लेखपाल बद्री उपाध्याय
रिपोर्ट के मुताबिक कानूनगो सुधांशु रंजन और लेखपाल बद्री उपाध्याय के परिजनों ने गंजा गाँव में जमीन खरीदी। कानूनगो सुधांशु की पत्नी अदिति द्वारा मार्च 2021 जमीन खरीदने का दावा किया गया है। वहीं लेखपाल बद्री उपाध्याय के पिता वशिष्ठ नारायण ने भी मार्च 2021 में ही उसी क्षेत्र में जमीन ली।
ऑपइंडिया की टीम ने इस गाँव का दौरा किया। गंजा गाँव भी राम मंदिर परिधि से लगभग 9 KM दूर है। इसका थानाक्षेत्र भी रामजन्मभूमि से अलग है। यह स्थान अयोध्या-प्रयागराज राजमार्ग पर पड़ने वाले डाभासेमर बाज़ार के पास एक गाँव में आता है।
DSP अरविन्द चौरसिया
इंडियन एक्सप्रेस का दावा है कि अरविन्द चौरसिया के रिश्तेदारों ने अयोध्या के हरकारा का पुरवा और कोरखाना में जमीन खरीदी। यह जमीन चौरसिया के ससुर संतोष कुमार और सास रंजना के नाम से हैं। जमीन जून और सितम्बर माह 2021 में खरीदी गई है। चौरसिया अयोध्या जनपद के विभिन्न क्षेत्रों में बतौर DSP जुलाई 2017 से अगस्त 2020 तक तैनात रहे। ऑपइंडिया ने इन दोनों स्थानों का दौरा किया। दोनों जमीनों के थाना क्षेत्र राम मंदिर से अलग पाए गए। पहली जमीन हरकारा का पुरवा राम मंदिर से लगभग 15 KM और दूसरी जमीन कोरखाना लगभग 7 KM दूर है। हरकारा का पुरवा अयोध्या-आज़मगढ़ मार्ग पर स्थित है, जबकि कोरखाना अयोध्या कैंट क्षेत्र की बाहरी सीमाओं पर है।
DSP अरविन्द चौरसिया वर्तमान में मेरठ शहर के DSP कोतवाली हैं। जमीन खरीदे जाने के समय भी यहीं थे। पिछले माह मेरठ के कुख्यात कबाड़ी हाजी गल्ला पर कानूनी कार्रवाई करने वाली टीम में वो भी शामिल रहे हैं। हाजी गल्ला के आपराधिक प्रभाव की चर्चा खुद मुख्यमंत्री योगी और उसके इलाके सोतीगंज का नाम प्रधानमंत्री मोदी ने भी लिया था। हाजी गल्ला को पिछली सरकारों के राजनैतिक संरक्षण होने की भी बात कही गई थी।
MRVT की जमीन
विवाद के सबसे प्रमुख विषय के रूप में MRVT (महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट) का नाम है। इस ट्रस्ट की कुछ जमीनों पर न्यायालय में केस चल रहा है। इसी ट्रस्ट पर दलित से जमीन खरीदने के भी आरोप हैं। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में इन जमीनों को IAS एमपी अग्रवाल, वर्तमान में ADM गोरखपुर पुरुषोत्तम दस गुप्ता, गोसाईंगंज विधायक इंद्रप्रताप तिवारी उर्फ़ खब्बू, वर्तमान DIG अलीगढ़ IPS दीपक कुमार, रिटायर्ड IAS उमाधर द्विवेदी से जोड़ा गया है।
ऑपइंडिया की टीम ने बरहटा माझा का दौरा किया। यह स्थान इंडियन एक्सप्रेस के राम मंदिर से 5 किलोमीटर दायरे के दावे के अंदर पाया गया। यहाँ पर 3 बड़े-बड़े प्लॉटों में बाउंड्री और बड़े गेट लगे दिखे। स्थानीय लोगों ने इन्ही जमीनों को कमिश्नर और DIG के संबंधियों द्वारा खरीदी जमीन बताया। इस स्थान से लगभग डेढ़ किलोमीटर दूर नदी के पास दावे के मुताबिक भाजपा विधायक इंद्र प्रताप तिवारी उर्फ़ खब्बू के रिश्तेदार द्वारा ली गई जमीन है। इंद्रप्रताप तिवारी उर्फ़ खब्बू तिवारी फिलहाल एक अन्य मामले में अयोध्या की जेल में हैं। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि ये वहीं जमीनें हैं जिनकी दलितों से खरीद को लेकर विवाद चल रहा है, क्योंकि MRVT की सभी जमीनें विवादित नहीं हैं।
विधायक वेद प्रकाश गुप्ता और मेयर ऋषिकेश उपाध्याय
बरहटा माझा में भाजपा विधायक वेद प्रकाश के परिजन द्वारा जमीन लिए जाने का दावा है। यह जमीन राम मंदिर से 5 किलोमीटर के दायरे में जरूर है, लेकिन इसकी खरीदारी MRVT ट्रस्ट से नहीं हुई है। यहाँ पर अधिकतर जमीनों पर मकान बने हुए हैं। सड़कों की हालत ठीक नहीं। नदी के किनारे बने बाँध के बगल स्थित इस इलाके में अधिकतर जमीनें MRVT ट्रस्ट की हैं। मेयर ऋषिकेश उपाध्याय द्वारा काजीपुर चितावा में जमीन लिए जाने का जिक्र है। इस जमीन की दूरी राम मंदिर से 5 किलोमीटर से कुछ ही अधिक है। यह जमीन भी MRVT ट्रस्ट की नहीं है।
Some news channels/media have run false/misleading reports about me as a beneficiary in land sale by Maharshi Ramayan Vidyapeeth Trust in District Ayodhya. My statement in this regard.@aajtak @abplivenews @IndianExpress pic.twitter.com/FhpnxtBhdn
— Anuj Kr Jha (@anujias09) December 24, 2021
IAS अनुज कुमार झा
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में आईएएस अनुज कुमार झा का जिक्र नहीं है। पर कई मीडिया रिपोर्टों में उनके रिश्तेदारों को लेकर भी सवाल उठाए गए हैं। वे अयोध्या में डीएम रह चुके हैं। इन आरोपों पर उनका जवाब भी सामने आ चुका है। उन्होंने कहा है कि उन्होंने या उनके किसी संबंधी ने महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट से जमीन नहीं खरीदी है। उनके पिता ने एक अन्य स्थान पर रहने के लिए 320 स्क्वायर मीटर जमीन खरीदी है, जिसका MRV ट्रस्ट से कोई लेना-देना नहीं है। वह जमीन किसी दलित की भी नहीं है। यह भी बताया है कि उनके पिता ने यह जमीन किसी ट्रस्ट को नहीं बेची। इसका किसी सरकारी काम में उपयोग नहीं किया गया है।