मीडिया और सोशल मीडिया के तमाम प्लेटफॉर्म पर पिछले कुछ समय से कानपुर की एक खबर वायरल है। इस खबर में शकील नाम के एक व्यक्ति द्वारा भाजपा का झंडा लगाने पर पड़ोसियों द्वारा पीटे जाने का आरोप है। शकील ने अपने पड़ोसियों पर उनकी आँख निकालने और गर्दन काटने जैसी धमकी के आरोप लगाए हैं। कुछ मीडिया संस्थान इस पूरे मामले को कुशीनगर के बाबर अली की घटना से जोड़ कर देख रहे हैं।
1 अप्रैल 2022 (शुक्रवार) को आज तक द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया, “पढ़े-लिखे मुस्लिम युवक को बीजेपी का झंडा लगाने पर पड़ोसियों ने आँख फोड़ कर गर्दन काटने की धमकी ही नहीं दी बल्कि कई बार उसके साथ सरेआम मारपीट भी की गई। शकील एक मल्टीनेशनल कम्पनी में काम करता है। उसने FIR तो दर्ज करवा दी लेकिन अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।”
TV9 की रिपोर्ट के मुताबिक, “मामला किदवई नगर के जूही कॉलोनी का है। घटना 29 मार्च (मंगलवार) की है। इस केस में शाहनवाज, राशिद, रिज़वान और भल्लू नामजद हैं। पीड़ित शकील ने आरोपितों द्वारा खुद को लगातार धमकियाँ मिलने का भी आरोप लगाया है।”
इसी मामले में अमर उजाला की खबर के अनुसार, “शकील के घर पर लगा भाजपा का झंडा नोच कर फेंक दिया गया है। शकील अहमद का भाजपा समर्थक होने का दावा है। कुछ दिन पहले एक भाजपा विधायक ने उसको माला भी पहना दी थी। यह बात कइयों को अच्छी नहीं लगी। यही शकील की पिटाई की वजह बनी है।”
न्यूज़ 18 की रिपोर्ट के मुताबिक, “शकील को धमकी मिली है कि मुसलमानों के साथ न चले तो आँखें निकाल कर सिर कलम कर दिया जाएगा। उसके घर में दहशत का माहौल है। शकील खुद को साल 2013 से ही भाजपा का समर्थक बताता है।”
इसी घटनाक्रम पर द क्विंट ने लिखा, “इस बार विधानसभा चुनाव में उसने अपने घर पर बीजेपी का झंडा लगाया जबकि बाकी पूरे मोहल्ले में कॉन्ग्रेस का झंडा लगा था। बीजेपी का झंडा लगाने पर पड़ोसी शहनवाज ने अपने घरवालों के साथ मिलकर उसकी जमकर पिटाई की। इसके बाद उसने किदवई नगर थाने में मामले की एफआईआर दर्ज कराई।”
भाजपा के मुताबिक शकील का पार्टी से कोई वास्ता नहीं
शकील के आरोपों पर भाजपा निराला नगर वार्ड 84 के अध्यक्ष अरविंद कुशवाहा ने पत्र जारी किया है। यह पत्र SHO किदवई नगर को सम्बोधित है। इस पत्र में लिखा गया है, “मेरे वार्ड 84 में रह रहे अब्दुल शकील का भाजपा से कोई रिश्ता न था और न ही अभी है।”
किराएदारी से जुड़ा विवाद – शकील के पड़ोसी
कानपुर पुलिस द्वारा शेयर किए गए एक वीडियो में शकील के पड़ोसी राजेंद्र सिंह ने बताया, जूलरी की दुकान थी। उसको खाली करवाया गया। तब से मोहल्ले में थोड़ा विवाद चलने लगा। घटना के दिन दोनों पक्ष आपस में खींचातानी कर रहे थे। चूँकि मैं मोहल्ले का था इसलिए मैं खुद वहाँ पहुँचा और दोनों पक्षों को अलग किया। जब मैंने दोनों को अलग किया तब शकील के घर कोई झंडा नहीं टंगा था। मैंने दोनों पक्षों को दुबारा झगड़ा न करने और करने पर पुलिस बुला कर जेल भिजवाने की चेतावनी दी। उसके बाद कोई बात नहीं हुई। इसने (शकील) कब FIR करवाई, ये पता नहीं। इसमें मेरा भी नाम है, इसलिए मैं सामने आकर आपको बता रहा हूँ कि मेरे आगे कोई भी मारपीट जैसी घटना नहीं हुई थी। BJP का झंडा कल से लगा दिया गया है। मामला मकान का था, जिसमें सिर्फ खींचतान हुई थी। इसमें कोई घायल नहीं है और किसी को कोई नुकसान भी नहीं हुआ है।”
#POLICE_COMMISSIONERATE_KANPUR_NAGAR के थाना किदवई नगर में मकान में झंडा लगाने को लेकर हुए विवाद में सामने आए चश्मदीद गवाह और पड़ोस में रहने वाले राजेन्द्र सिंह ने बताया कि विवाद राजनीतिक पार्टी के झंडे या मारपीट का नहीं बल्कि किरायेदारी को लेकर है। @Uppolice @News18P @aajtak pic.twitter.com/SQqNlNuvOC
— POLICE COMMISSIONERATE KANPUR NAGAR (@kanpurnagarpol) April 1, 2022
न फैलाएँ भ्रामक सूचना: कानपुर पुलिस
कानपुर पुलिस ने इस झंडा विवाद में भ्रामक सूचना फैलाने से मना किया है। पुलिस के मुताबिक, “थाना किदवई नगर में मकान में झंडा लगाने के विवाद में सामने आए चश्मदीद पड़ोसी व वार्ड अध्यक्ष के बयानों ने घटना की मंशा जाहिर कर दी है। उचित कार्रवाई के लिए पुलिस जाँच कर रही है। कृपया भ्रामक सूचनाएँ न फैलाएँ।’
#POLICE_COMMISSIONERATE_KANPUR_NAGAR के थाना किदवई नगर में मकान में झंडा लगाने के विवाद में सामने आए चश्मदीद पड़ोसी व वार्ड अध्यक्ष के बयानों ने घटना की मंशा स्पस्ट कर दी है, उचित कार्रवाई के लिए पुलिस जांच कर रही है, कृपया भ्रामक सूचनाएं न फैलाएं। @News18P
— POLICE COMMISSIONERATE KANPUR NAGAR (@kanpurnagarpol) April 1, 2022
इंदौर में भी ऐसी ही घटना, पुलिस ने किया था खंडन
कानपुर जैसी ही घटना मध्य प्रदेश के इंदौर में भी हुई थी। यहाँ इसी साल मार्च के महीने में एमजी रोड थानाक्षेत्र के युसूफ ने अपने घर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फोटो लगाने पर शरीफ मंसूरी द्वारा खुद पर हमला किए जाने का आरोप लगाया था। पुलिस जाँच में युसूफ और शरीफ मंसूरी में किराएदारी का विवाद निकल कर सामने आया था।
युसूफ और शरीफ के बीच विवाद लम्बे समय से चल रहा था। इसमें खुद युसूफ ही पुलिस के आगे कई बार बुलाने के बाद भी पेश नहीं हुआ था। इस मामले में शरीफ मंसूरी ने युसूफ पर इस आरोप के बहाने सस्ती लोकप्रियता लेने का आरोप लगाया था।