लोकसभा चुनाव 2024 से कुछ दिनों पहले 2017 में स्थापित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ऑनलाइन ने INDI गठबंधन को समर्थन देने की घोषणा की है। ‘RSS ऑनलाइन’ के मुखिया जनार्दन मून उसके चेले अब्दुल पाशा ने 25 मार्च, 2024 को प्रेस कॉन्फ्रेंस में घोषणा की कि भाजपा को इन चुनावों में हराना है इसलिए वह INDI गठबंधन और कॉन्ग्रेस को समर्थन देंगे।
जनार्दन मून ने इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा “भाजपा पिछले दस साल से देश की सत्ता में है लेकिन वह संविधान का अपमान कर रही है। इसके सभी फैसलों ने संविधान का अपमान किया है। कोई देश इस तरीके से नहीं चलता। सरकार जानबूझकर विपक्षी पार्टी के नेताओं को निशाना बनाती है और उन्हें भ्रष्ट घोषित करती है। वह विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार करने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का उपयोग करती है। क्या केवल विपक्षी नेता ही भ्रष्ट हैं? कोई भी भाजपा नेता भ्रष्ट नहीं है?”
मून ने देश के संविधान को बचाने के लिए मतदाताओं से अपील की कि INDI गठबंधन के उम्मीदवारों को वोट दें। मून ने यह भी कहा कि RSS ऑनलाइन संगठन महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी (MVA) गठबंधन का समर्थन करेगा। उन्होंने भाजपा नेताओं को भ्रष्ट बताया और कहा कि देश को इस पार्टी से बचाने की जरूरत है।
इस बीच, 2017 में बनाए गए RSS ऑनलाइन के उपप्रमुख अब्दुल गफूर ने दावा कर दिया कि देश में RSS ऑनलाइन एकमात्र RSS है। उसने दावा किया कि और कोई अन्य RSS उनके संगठन के बराबर महत्व नहीं रखता है। उसने इस दौरान रजिस्ट्रेशन के बारे में भी बात की।
बताया गया है कि यह प्रेस कॉन्फ्रेंस महाराष्ट्र के नागपुर में हुई। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस को लेकर यह अफवाह फैलाई जा रही है कि इसे असली RSS द्वारा आयोजित किया गया था। इसमें दावा किया गया कि यह कॉन्फ्रेंस उस RSS की थी जो कि भाजपा सरकार का समर्थन करने वाला एक हिन्दू संगठन है।
आवाज़ टीवी इंडिया नाम के यूट्यूब चैनल ने इस कॉन्फ्रेंस को अपने चैनल पर लाइव प्रकाशित किया। उसने दावा किया कि और दावा किया कि RSS ने कॉन्ग्रेस पार्टी को अपना समर्थन दिया जिसके परिणामस्वरूप देश के राजनीतिक माहौल काफी उथल पुथल हुई है। इस वीडियो के डिस्क्रिप्शन में बताया गया है कि इस कॉन्फ्रेंस का आयोजन RSS ऑनलाइन द्वारा किया गया था, ना कि मूल RSS द्वारा जिसके सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत हैं।
इस मामले की सच्चाई यह है कि RSS और RSS ऑनलाइन दो अलग-अलग संगठन हैं, और इन दोनों में से RSS ऑनलाइन नया है। इसका कर्ता-धर्ता जनार्दन मून है। इसके एक्स हैंडल में मून ने खुद को RSS का मुखिया बताया है। हालाँकि, वह यह नहीं बताता कि वह RSS ऑनलाइन का मुखिया है जो कि नया संगठन है और इसका असली RSS से कोई लेना देना नहीं।
तीसरी बात, जनार्दन मून का RSS से इसलिए कोई लेना-देना नहीं है क्योंकि RSS की कार्यप्रणाली में "संस्थापक अध्यक्ष" शब्द का उपयोग नहीं होता है। pic.twitter.com/PramtZT60Y
— The Pamphlet (@Pamphlet_in) March 26, 2024
इन दोंनो संगठनों की आपस में ना केवल विचारधाराएँ बल्कि संगठन का लोगो, उनके संगठन का ढाँचा आदि भी अलग हैं। RSS ऑनलाइन के सदस्यों का मूल, पुराने, पारंपरिक हिंदू संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से कोई लेना-देना नहीं है। RSS ऑनलाइन दावा करता है कि मूल RSS पंजीकृत नहीं है। इस पर हमने असली RSS से बात की।
हमने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के मीडिया प्रमुख राकेश पांडे से बात की, जिन्होंने पुराने संगठन के पंजीकृत ना होने के दावों को खारिज कर दिया। “RSS 90+ वर्ष पुराना संगठन है और देश की भलाई और विकास के लिए काम कर रहा है। इतने वर्षों से देश के लिए काम कर रही संस्था अप्रामाणिक कैसे हो सकती है? राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ वर्ष 1925 से काम कर रहा है, यह मूल संगठन है और मूल RSS के विषय में प्रामाणिकता पर जो दावे हो रहे हैं, वो पूरी तरह से झूठे हैं।”
RSS के नाम से कुछ लोग फर्जी संगठन बनाकर खुद को और अपने वामपंथी सहयोगियों को धोखा दे सकते है समाज को नहीं।
— Rakesh Pandey (@iRakeshPanday) March 26, 2024
संघ 1925 से देश और फिर दुनिया भर में कार्य कर रहा है। इनका दावा खोखला और राजनीतिक षड्यंत्र से प्रेरित है, जनार्दन मून और उसके गिरोह राष्ट्र विरोधी और मोदी विरोधियो के इशारे… pic.twitter.com/TicBRuN4Ik
द पैम्फलेट द्वारा दी गई एक्सक्लूसिव जानकारी के अनुसार, मून ने 2017 में नागपुर पुलिस से सुरक्षा की माँग की थी। उसने दावा किया था कि उनके नए RSS को पंजीकृत करने के प्रयास करने के बाद असली RSS के कार्यकर्ता उन्हें धमकी दे रहे थे। इस दौरान के RSS के डॉ. राजेंद्र गुंडलवार ने बताया कि उन्होंने RSS को एक NGO के रूप में पंजीकृत किया था, लेकिन महाराष्ट्र के नागपुर जिले में नहीं, बल्कि चंद्रपुर में।
जनार्दन मून ने एक बार आरएसएस कार्यकर्ताओं से अपनी जान को खतरा बताते हुए नागपुर पुलिस से सुरक्षा की मांग भी की थी। इसके बाद ही वे अपनी वाली RSS को रजिस्टर करने भी पहुँचे थे। चैरिटी कमिश्नर के पास उनका आवेदन 14 सितंबर 2017 को सुनवाई के लिए गया था। लेकिन इस बीच डॉ राजेंद्र गुंडलवार… pic.twitter.com/iK7Y2lgegt
— The Pamphlet (@Pamphlet_in) March 26, 2024
इसके बाद डॉ. गुंडलवार ने मून से यह भी कहा कि वह RSS के नाम का दुरुपयोग करना बंद करें क्योंकि वह एक जानामाना हिंदू संगठन है जो देश की भलाई के लिए लगातार काम कर रहा है। पैम्फलेट से उन्होंने कहा “RSS एक बहुत ही प्रतिष्ठित संगठन है जो बिना किसी से कुछ लिए निस्वार्थ भाव से काम करता है और दुनिया भर में लाखों स्वयंसेवक उसी RSS के लिए काम कर रहे हैं।”
गुंडलवार ने कहा कि जनार्दन मून की मंशा संदिग्ध है और वह ऐसा करके लोगों के बीच भ्रम पैदा करना चाहते हैं, जिससे भविष्य में धार्मिक दंगे भड़क सकते हैं। जनार्दन मून ने विक्टिम कार्ड खेलते हुए दावा किया कि गुंडलवार उनकी जान को खतरा पैदा कर रहे हैं। ऑनलाइन RSS से सम्बंधित यह दावे पैम्फलेट द्वारा किए गए हैं और इस रिपोर्ट को लिखे जाने तक कोई भी आधिकारिक स्रोत इसकी पुष्टि नहीं कर सका है। पुष्टि प्राप्त होते ही रिपोर्ट अपडेट कर दी जाएगी।
हाई कोर्ट ने वर्ष 2019 में मून की एक याचिका खारिज कर दी थी। मून ने इस दौरान ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ या RSS नाम पर दावा किया था। मून ने इस नाम के एक NGO के पँजीकरण करने के लिए आवेदन किया था। हाई कोर्ट ने इस मामले में कहा था कि इसी नाम से पहले से ही एक संस्था मौजूद है। मून ने इस बारे में कहा था कि RSS चैरिटी कमिश्नर के साथ पंजीकृत नहीं किया गया था और उसने अपनी संस्था को यह नाम आवंटित करने का अनुरोध किया था।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नाम पर नए संगठन के बनाने और पंजीकरण को लेकर दायर याचिका भी खारिज कर दी थी। जस्टिस चंद्रचूड़ ने इस मामले में कहा था, “क्या याचिकाकर्ता RSS के नाम पर एक और संगठन बनाकर समाज में भ्रम फैलाना चाहता है?” कोर्ट ने यह याचिका खारिज करते हुए कहा कि इस तरह की नई संस्था को पहले से मौजूद संस्था के नाम पर पंजीकृत नहीं किया जा सकता।