किसानों ने की कंगना रनौत और दिलजीत के बीच मध्यस्थता की पेशकश, समझौता न होने पर दी प्रदर्शन की चेतावनी

कंगना और दिलजीत के बीच मध्यस्थता के लिए तैयार हैं प्रदर्शनकारी किसान

बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत और पंजाबी गायक और ‘श्वेत महिलाओं को ऑनलाइन स्टाक’ करने वाले दिलजीत दोसाँझ के बीच ट्विटर पर जारी शास्त्रार्थ अब ‘ऑनलाइन गतिरोध’ का मामला बन चुका है। कृषि कानूनों को लेकर धरना-प्रदर्शन कर रहे किसानों ने इन दोनों कलाकारों पर आरोप लगाया है कि यह उनके धरने से ध्यान भटकाने के लिए करण जौहर के काम देने के तरीकों को राष्ट्रीय चर्चा बनाकर इस तरह का ‘सीन तैयार’ कर रहे हैं।

गौरतलब है कि बृहस्पतिवार शाम ट्विटर पर छिड़ी एक जंग में कंगना रनौत ने दिलजीत दोसाँझ की जिस तरह से वर्चुअल कम्बल पिटाई की, उसने पूरे देश का ध्यान भटकाया और किसानों का मुद्दा हासिए पर धकेल दिया। इस पर शाहीन बाग़ फेम बिलकिस दादी का भी बड़ा बयान सामने आया है। बिलकिस दादी का कहना है कि ‘वो तो धरनों की आदत सी पड़ गो है, वरना असली ‘फन’ तो इसी लड़ाई में आरो है।’

किसान अब केंद्र सरकार से माँग कर रहे हैं कि वो किसानों के मुद्दों से पहले ट्विटर पर कंगना रनौत और दिलजीत दोसाँझ के बीच चलने वाली जुबानी जंग पर विराम लगाएँ। किसानों की एक नई टुकड़ी बुला ली गई है और केंद्र सरकार को सख्त चेतावनी दे दी गई है कि अगर एक बार फिर कंगना रनौत और दिलजीत ट्विटर पर उलझते हैं तो किसानों की नई टुकड़ी धरने पर बैठ जाएगी।

कुछ लोगों का दावा है कि दिलजीत दोसाँझ की जिस तरह से वर्चुअल कुटाई कंगना रनौत ने की है, उसे देखकर उन्हें रामलीला का वो दृश्य याद आ गया, जब बाली ने सुग्रीव के ललकारने पर उसकी जमकर धुलाई की थी। इस पर विवादित मजहबी आरजे सायमा ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए मशहूर गजल गायक अल्ताफ राजा की नज्म को याद करते हुए कहा – “वो साल दूसरा था, ये साल दूसरा है।”

किसानों ने यह भी सुझाव दिया है कि अगर केंद्र सरकार चाहे तो किसान कंगना रनौत और दिलजीत के बीच मध्यस्थता करने को भी राजी हैं। पहले से ही प्रदर्शन कर रहे किसानों का कहना है कि वो अपनी समस्याओं से क्या कम परेशान हैं जो अब उन्हें मिलने वाली अटेंशन को करण जौहर के काम देने के तरीकों को उछालकर शिफ्ट किया जा रहा है।

इस विषय पर जब उन्होंने पूछा कि अपनी माँगों के अलावा उन्हें और क्या बातें परेशान कर रही हैं तो इस पर अपनी जगुआर के सनरूफ से गर्दन बाहर निकालकर एक ‘किसान पुत्र’ ने कहा कि उन्हें संदेह है कि उनके प्रदर्शन में कुछ समाजवादियों ने अपनी नाक घुसानी शुरू कर दी है। इसके प्रमाण में उन्होंने जिस अखबार की कटिंग को हवा में उछाला, उसका शीर्षक था- “किसानों के 3 मोबाइल और 40 टोंटियाँ चोरी।”

टोंटी चोरी की अपुष्ट किन्तु ‘वायरल’ खबर

हालाँकि, इस खबर को पुष्टी के लिए सॉल्ट न्यूज़ के फैक्ट चेकर जुब्बू मियाँ को भेज दिया गया है। टोंटी चोरी का समाजवाद से क्या सम्बन्ध हो सकता है इसका पता लगाने के लिए फैक्ट चेकर ज़ुब्बू का कहना है कि वो रिवर्स इमेज सर्च कर जल्द ही इस सम्बन्ध का पता लगा लेंगे।

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