जम्मू-कश्मीर प्रशासन संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए हर संभव कोशिश कर रहा है। इसी कड़ी में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने गुरुवार (19 अगस्त) को कठुआ जिले के बसोहली में चूड़ामणि संस्कृत संस्थान के नए भवन का शिलान्यास किया।
मनोज सिन्हा ने कहा कि 5 आधिकारिक भाषाओं के साथ जम्मू-कश्मीर प्रशासन नई शिक्षा नीति की सिफारिशों के अनुसार संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा, ”संस्कृत भाषा के गौरव को पुनर्जीवित करना प्रत्येक भारतीय की सामूहिक जिम्मेदारी है। हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम अपनी सभ्यता, मूल्यों को संरक्षित और बढ़ावा देने के लिए अवसर पैदा करें।”
उन्होंने आगे कहा, “चूड़ामणि संस्कृत संस्थान के नए भवन का शिलान्यास एक ऐतिहासिक क्षण है। संस्थान की स्थापना दिवंगत पंडित उत्तम चंद पाठक शास्त्री ने की थी। उन्होंने इस विद्यालय के माध्यम से संस्कृत भाषा, सांस्कृतिक और विरासत मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए अद्भुत और महान कार्य किया था। संस्कृत हमारे देश की एकमात्र ऐसी भाषा रही है, जिसने न केवल विभिन्न क्षेत्रों को एकजुट किया है, बल्कि शिक्षकों और उनके शिष्यों के बीच घनिष्ठ संबंध भी बनाए हैं। संस्कृत भाषा के मूल्यों को अल्बर्ट आइंस्टीन, ओपेनहाइमर और मैक्समूलर जैसी महान हस्तियों ने भी पहचाना था।”
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा, “हमारा प्रयास होना चाहिए कि स्कूलों में आधुनिक आवश्यकताओं के अनुसार संस्कृत पढ़ाई जाए। प्राचीन एवं आधुनिक शिक्षा का तालमेल होना जरूरी है। जैसे कोरोना महामारी के समय में भी आधुनिक तकनीक से घर से पढ़ाई करवाई जा रही है।”
उपराज्यपाल ने कहा कि बसोहली में विभिन्न परियोजनाओं का उद्घाटन बसोहली और आसपास के क्षेत्रों में आर्थिक, सांस्कृतिक और सामाजिक विकास के प्रति केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासन की दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उनके अनुसार इससे आने वाले समय में बसोहली बनारस की तरह फिर संस्कृत का केंद्र बन सकता है। छोटी काशी के नाम से मशहूर बसोहली के ज्यादातर विद्वान बनारस में भी थे।
बता दें कि उपराज्यपाल ने अभिभावकों से अपील की है कि कि वह अपने बच्चों से संस्कृत पढ़ने के लिए प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि अपनी संस्कृति को पास से देखने के लिए सरकारी स्कूलों में भी संस्कृत विषय शुरू करना होगा।