काशी-मथुरा की मुक्ति के लिए अखाड़ा परिषद का प्रस्ताव, कहा- बात से नहीं सुलझा मामला तो होगी कानूनी लड़ाई

संगमनगरी प्रयागराज के बाघंबरी मठ में अखाडा परिषद की बैठक (फोटो साभार: दैनिक जागरण)

प्रयागराज में सोमवार (सितम्बर 7, 2020) को अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की बैठक हुई। इसमें 8 महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर मुहर लगाई गई। इसमें सबसे महत्वपूर्ण है काशी और मथुरा की मुक्ति का प्रस्ताव। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने इस कार्य में विश्व हिन्दू परिषद का भी सहयोग माँगा है। संगमनगरी में हुई इस बैठक में इस कार्य के लिए सभी पक्षों की सहमति लेने की बात भी कही गई।

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी की अध्यक्षता में हुई बैठक में माँग की गई कि अब जब अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन हो गया है, काशी में बाबा विश्वनाथ और मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण के मंदिर को मुक्त कराने की ओर प्रयास किया जाए। बता दें कि बाबा विश्वनाथ द्वादश ज्योतिर्लिंगों में शामिल हैं। बाघंबरी मठ में आयोजित इस बैठक में 13 प्रतिनिधि शामिल हुए।

इस बैठक में संगम तट पर माघ मास में लगने वाले माघ मेला, प्रयागराज की परिक्रमा और हरिद्वार में कुंभ की तैयारियों से जुड़े प्रस्तावों पर भी मुहर लगाई गई। हर मुद्दे की धार्मिक और पौराणिक महत्वों पर भी चर्चा की गई। इन प्रस्तावों को पीएम नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एवं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को भेजा जाएगा। सभी मुद्दों पर निगरानी रखी जाएगी।

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प्रस्ताव पास हुआ कि काशी और मथुरा की मुक्ति के लिए रणनीति तैयार की जाए और उसी हिसाब से आगे के क्रियाकलाप हों। कहा गया कि इसके लिए पहले तो बातचीत के जरिए सहमति बनाने का प्रयास किया जाएगा, लेकिन अगर सभी पक्ष राजी नहीं होते हैं तो कोर्ट में कानूनी लड़ाई लड़ी जाएगी। अखाड़ा परिषद ने सीएम योगी आदित्यनाथ द्वारा उत्तर प्रदेश में किए जा रहे कार्यों की भी सराहना की गई और अपराध व कोरोना से निपटने के लिए उनके द्वारा किए जा रहे कार्यों की प्रशंसा की गई।

रविवार को ही वीडियो जारी कर के महंत नरेंद्र गिरि ने काशी विश्वनाथ मंदिर में ज्ञानवापी मस्जिद के निर्माण को अवैध करार दिया था। उन्होंने ये भी कहा कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि में मस्जिद जबरन बनाई गई है। उन्होंने दोनों स्थलों को हिन्दुओं की आस्था का केंद्र करार देते हुए कहा कि इन्हें जल्द से जल्द मुक्त कराया जाए। संतों ने एक सुर में कहा कि माघ मेले पर रोक न लगे और संस्थाओं पर रोक लगाकर संत-महात्माओं और कल्पवासियों को मेले में स्थान दिया जाए।

ज्ञात हो कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 अगस्त को अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर की नींव रखी थी, तब मंदिर का भूमि पूजन कराने वाले आचार्य पंडित गंगाधर पाठक की बातों में सबसे ज़्यादा उल्लेखनीय था प्रधानमंत्री मोदी से दक्षिणा का निवेदन। आचार्य गंगाधर पाठक ने दक्षिणा में गोहत्या पर पाबंदी और काशी तथा मथुरा की मुक्ति की माँग रख दी थी। उन्होंने पीएम मोदी को अपना यजमान करार देते हुए ये संकल्प कराया था।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया