आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीय के अवसर पर रविवार (7 जून, 2024) को महाप्रभु भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा ओडिशा के पुरी में शुरू हो गई है। दशमी तिथि तक, यानी 10 दिनों तक भगवान अपने भक्तों के बीच में होते हैं। इस दौरान रथ पर उनकी बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलराम भी सवार होते हैं। गुंडीचा मंदिर तक ये यात्रा 10 दिनों में तय की जाती है। भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा के दर्शन मात्र से 1000 यज्ञों का फल मिलने की बात कही जाती है।
इस रथयात्रा में सबसे आगे तालध्वज पर बलराम जी चलते हैं, उनके पीछे पद्मध्वज पर माँ सुभद्रा और सुदर्शन चक्र को विराजमान किया जाता है। सबसे पीछे गरुड़ ध्वज पर स्वयं भगवान जगन्नाथ चलते हैं। स्कन्द पुराण में भी रथयात्रा का विवरण है, बताया गया है कि रथ के पीछे कीर्तन करते हुए चलने वाले भक्त पुनर्जन्म के चक्र से मुक्त हो जाते हैं। कहा जाता है कि राजा इन्द्रद्युम्न ने इस परंपरा को शुरू किया था। भगवान जगन्नाथ के महाप्रसाद में 7 प्रकार के चावल, 4 प्रकार की दाल, 9 तरह की सब्जियाँ और कई प्रकार की मिठाइयाँ परोसी जाती हैं।
हालाँकि, मिठाइयों में शक्कर की जगह गुड़ का इस्तेमाल होता है, मंदिर में आलू, टमाटर और फूलगोभी का भी इस्तेमाल नहीं किया जाता है। रविवार को सिंहद्वार से महाप्रभु की सवारी प्रस्थान करेगी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी इस दौरान रथयात्रा में भगवान का आशीर्वाद लेने पहुँचेंगी। सबसे पहले पुरी मठ के शंकराचार्य रथ का पूजन करते हैं, उसके बाद ओडिशा के महाराज गजपति सोने की झाड़ू से बुहार कर साफ़-सफाई करते हैं। इस बार दिव्यसिंहदेव इस रस्म को पूरा करेंगे।
Adorning the floral crown or "Tahia", Lord Shree Balabhadra is moving to Taladhwaja "Ratha" in "Dhadi Pahandi" procession with the rhythms of traditional instruments. pic.twitter.com/Hc3eu9efTr
— Shree Jagannatha Temple, Puri (@JagannathaDhaam) July 7, 2024
8 जुलाई, या फिर 9 जुलाई को महाप्रभु की सवारी गुंडीचा मंदिर तक पहुँच जाएगी। 8-15 जुलाई तक वहीं पकवानों का महाप्रसाद उन्हें चढ़ाया जाएगा। रथयात्रा का समापन होने के साथ ही इन्हें वापस मंदिर में ले जाया जाता है’। फ़िलहाल ‘धडी पहांदी’ रस्म निभाई गई है, जिसके तहत प्राचीन वाद्ययंत्रों को ध्वनि गूँजती है। रथों की प्रतिष्ठा पूजा भी कर ली गई है। राजा इन्द्रद्युम्न द्वारा इस परंपरा को शुरू किए जाने की बात पुराणों में वर्णित है।