अयोध्या के भव्य राम मंदिर में 22 जनवरी 2024 को भगवान रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा होगी। उससे पहले सरयू तट पर ‘राम नाम महायज्ञ’ शुरू होगा। इसमें हिस्सा लेने के लिए नेपाल से 21 हजार पुजारी आ रहे हैं।
आत्मानंद दास महात्यागी उर्फ नेपाली बाबा के नेतृत्व में होने वाले इस यज्ञ के दौरान सरयू तट पर 1008 नर्मदेश्वर शिवलिंगों की स्थापना की जाएगी। इसके लिए सरयू के किनारे 100 एकड़ में टेंट सिटी बसाया गया है। इसमें 1008 टेंट लगाए गए हैं। महायज्ञ के लिए यज्ञ मंडप भी बनाया गया है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, राम मंदिर से 2 किलोमीटर दूर सरयू नदी के रेत घाट पर टेंट सिटी बसाई गई है। इसी टेंट सिटी में महायज्ञ का आयोजन आत्मानंद दास महात्यागी उर्फ नेपाली बाबा द्वारा किया जाएगा। नेपाली बाबा अयोध्या के ही मूल निवासी हैं, लेकिन बाद में नेपाल में बस गए। वे हर साल इस महायज्ञ का आयोजन करते हैं। इसमें देश-विदेश के लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं।
नेपाली बाबा ने बताया, “मैं यह यज्ञ हर साल मकर संक्रांति के अवसर पर करता हूँ। लेकिन इस साल हमने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के मद्देनजर इसे बढ़ा दिया है।” बता दें कि इस महायज्ञ का आयोजन करने वाले आत्मानंद दास महात्यागी का जन्म अयोध्या के फटिक शिला इलाके में हुआ था। वे तपस्वी नारायण दास के शिष्य हैं। आत्मानंद दास महात्यागी का दावा है कि नेपाल नरेश ने ही उनका नाम नेपाली बाबा रखा था।
जानकारी के मुताबिक, महायज्ञ समाप्त होने के बाद 1008 शिवलिंगों को पवित्र सरयू नदी में विसर्जित किया जाएगा। महायज्ञ रामायण के 24 हजार श्लोकों के जाप के साथ 17 जनवरी से हवन शुरू होगा जो 25 जनवरी तक चलेगा। हर दिन 1008 शिवलिंगों का पंचामृत से अभिषेक किया जाएगा। यज्ञशाला में बने 100 कुंडों में 1100 जोड़े राम मंत्रों के उच्चारण के साथ हवन करेंगे।
अस कहि लगे जपन हरिनामा ।
— BajrangDal (@BajrangDalOrg) January 11, 2024
गईं सती जहँ प्रभु सुखधामा ॥
अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर सरयू नदी के पास 100 एकड़ में राम नाम महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। 14 से 25 जनवरी तक होने वाले यज्ञ में 1008 नर्मदेश्वर शिवलिंग की स्थापना की जाएगी। शिवलिंग की स्थापना के लिए 1008… pic.twitter.com/HOpaHe3LWO
मध्य प्रदेश से आए पत्थर, नक्काशी का काम अंतिम चरण में
नर्मदेश्वर शिवलिंगों को बनाने के लिए पत्थर मध्य प्रदेश से लाए गए हैं, जो नर्मदा नदी से ही एकत्रित किए गए हैं। इन पत्थरों पर नक्काशी का काम आखिरी चरण में है। 17 जनवरी से होने वाले इस महायज्ञ कार्यक्रम के लिए तैयारियाँ अंतिम चरण में है। इस दौरान हर रोज 50 हजार से एक लाख भक्तों के लिए भोजन भी बनता रहेगा।