“बॉलीवुड स्टार्स तो आजकल गुटखा बेच रहे हैं। उनको जब फुर्सत मिलती है, तब कोई रिमिक्स या फिर वाहियात फिल्म बना लेते हैं। 5-6 फिल्मों के फ्लॉप होने के बाद भी इन्हें कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। ये जवाबदेही फिल्म प्रोड्यूसर्स, कंटेंट राइटर्स और प्लेटफॉर्म (जिस मीडियम पर लोग फिल्में देखते हैं) की है।”
बॉलीवुड के डायरेक्टर-एक्टर प्रकाश झा (Prakash Jha) ने यह बातें कहीं हैं। इन दिनों प्रकाश झा अपनी फिल्म ‘मट्टो की साइकिल’ को लेकर सुर्खियों में हैं। उनकी फिल्म 16 सितंबर 2022 को सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली है। इससे पहले वो आश्रम, आरक्षण, गंगाजल और राजनीति जैसी सुपरहिट फिल्में और वेब सीरीज बना चुके हैं।
दैनिक भास्कर के साथ बातचीत में प्रकाश झा ने कहा, “इन लोगों को (बॉलीवुड वालों को) लगता है कि बड़े स्टार्स की बदौलत किसी भी फिल्म को हिट करा लेंगे, लेकिन दर्शक अच्छी स्टोरी, अपने बीच की कहानी देखना पसंद करते हैं। ये वाकई में दयनीय स्थिति है। इंडस्ट्री को अपने भीतर चिंतन करने की जरूरत है, नहीं तो जिस जनता ने इन्हें स्टार बनाया हैं, वही इन्हें डुबो देगी।”
फिल्म ‘मट्टो की साइकिल (Matto ki Saikil)’ के प्रमोशन के दौरान उन्होंने बॉलीवुड फिल्मों के बायकॉट और एक के बाद एक बड़े स्टार्स की फ्लॉप हो रही फिल्मों के साथ-साथ साउथ इंडिया में बन रहे सिनेमा और उनके एक्सपेरिमेंट पर भी चर्चा की।
प्रकाश झा के अनुसार बॉलीवुड अच्छी कहानियाँ लिखने के मामले में साउथ इंडिया में बन रहे सिनेमा से कहीं पीछे हैं। इसका कारण उन्होंने बताया कि यहाँ (बॉलीवुड में) अच्छे स्क्रिप्ट राइटर, डायरेक्टर और प्रोड्यूसर को कोई पूछता ही नहीं है। इंटरव्यू के दौरान प्रकाश झा ने साउथ के फिल्मी इंडस्ट्री की जमकर तारीफ करते हुए कहा:
“साउथ इंडस्ट्री लगातार एक्सपेरिमेंट कर रही है, वो ऐसी कहानियाँ ला रहे हैं, जो दर्शकों को लुभाती हैं। साउथ के अलावा पंजाबी, तेलुगु, तमिल, बंगाली जैसी रीजनल फिल्मों में भी ऐसा ही है। लेकिन बॉलीवुड में ऐसा नहीं है। बॉलीवुड में जो अच्छी कहानियाँ कहने वाले डायरेक्टर, प्रोड्यूसर, राइटर हैं, उन्हें तो कोई पूछता ही नहीं है।”
बॉलीवुड में नेपोटिज्म को लेकर लगातार सवाल उठते हैं। क्या वाकई में ऐसा है? इसके जवाब में प्रकाश झा ने कहा, “ऐसा हो भी सकता है, लेकिन मैंने इस पर कोई रिसर्च नहीं की है। मेरे परिवार का भी कोई इंडस्ट्री में नहीं रहा है, लेकिन मैं काम कर रहा हूँ।”
बता दें कि ‘मट्टो की साइकिल (Matto ki Saikil)’ फिल्म एक दिहाड़ी मजदूर की जद्दोजहद को दिखाती है। फिल्म की शूटिंग 2 साल पहले ही पूरी हो चुकी थी। कोरोना के दौरान इसे बुसान इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में भी भेजा गया था, जहाँ इसकी वर्चुअल स्क्रिनिंग हुई थी। दो साल तक सिनेमा हॉल बंद थे, इसलिए अब फिल्म को रिलीज किया जा रहा है।