Tuesday, November 19, 2024
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पानी की बोतलें बेचीं, होटलों में काम किया: ‘कांतारा’ की सफलता से पहले 18 सालों तक संघर्ष करते रहे ऋषभ शेट्टी, भिखारी तक का निभाया किरदार

'कांतारा' की कहानी ऋषभ ने अपने गाँव में की जाने वाली देव कोला और अन्य लोक कथाओं का रेफरेंस लिया था। फिल्म कांतारा कन्नड़ में बनी और बेहद सफल रही। इसकी सफलता को देखकर अन्य भाषाओं में भी इसे रिलीज किया गया। ऋषभ शेट्टी ने इसको लेकर कहा था कि इस फिल्म को उन्होंने सिर्फ रीजनल सिनेमा के लिए बनाया था। इस फिल्म की सफलता ने उन्हें सुपर स्टार बना दिया है।

देश भर में बॉक्स ऑफिस पर धूम मचाने वाली दक्षिण भारत की फिल्म ‘कांतारा’ (Kantara) के लेखक, निदेशक और अभिनेता ऋषभ शेट्टी (Rishabh Shetty) ने वर्तमान मुकाम को हासिल करने के लिए बेहद कठिन संघर्ष किया। उन्होंने आज लगभग 18 पहले शुरू किए फिल्मी दुनिया के सफर में सर्वाइवल के लिए पानी की बोतलें बेचीं, होटलों में काम किया और अंतत: अपने लक्ष्य को हासिल कर लिया।

इस फिल्म की सफलता का अंदाजा इसी बात से लगाई जा सकती है कि यह फिल्म कन्नड़ भाषा में सबसे ज्यादा कमाई करने वाली तीसरी सबसे बड़ी फिल्म बन गई है। ‘कांतारा’ ने एक महीने में वर्ल्डवाइड 250 करोड़ से ज्यादा की कमाई की है और यह फिल्म लोगों को अभी भी आकर्षित कर रही है।

इस फिल्म को बनाने से पहले ऋषभ शेट्टी का फिल्म इंडस्ट्री में कोई कनेक्शन नहीं था। वे इंडस्ट्री के लिए बिल्कुल आउटसाइडर थे। उन्होंने लगभग 18 साल स्ट्रगल किया। कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद ऋषभ शेट्टी ने एक्टिंग के क्षेत्र में करियर बनाने का सपना देखा था। एक्टर बनने के अपने सपने को पाने के लिए उन्होंने पानी की बोतलें बेचीं, होटलों में काम किया और कुछ समय तक रियल एस्टेट के फील्ड में भी काम किया।

ऐक्टर बनने के अपने प्रतिभा को निखार देने के लिए ऋषभ ने थिएटर जॉइन कर लिया। उनका पहला प्ले कुंडापुरा में था। समय के साथ ऋषभ शेट्टी नाटकों में काम करने लगे और उनकी एक्टिंग की चर्चा भी होने लगी। अपने खर्च को चलाने के लिए वे छोटे-मोटे काम करते रहे और फिल्मों में फिल्मों के लिए भी ट्राई करते रहे।

कहते हैं कर्म का फल जरूर मिलता है। ऋषभ शेट्टी को भी फिल्मों में एक्टिंग करने का पहला मौका मिला। यह साल था 2004 और फिल्म का नाम Nam Areali Ondina था। फिल्म में उनके रोल और किरदार का कोई नाम नहीं था। फिर भी ऋषभ ने खुशी से इसे स्वीकार किया। इसी तरह उन्होंने कई और भी फिल्मों में छोटे-छोटे किरदार निभाए।

भिखारी जैसे छोटे-मोटे रोल करके थक गए ऋषभ शेट्टी का दर्द एक बार झलक उठा था। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, “मुझे इंडस्ट्री में आए हुए 18 साल हो गए हैं। साल 2004 में मैंने कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री जॉइन की थी। मैं एक्टर बनना चाहता था, लेकिन जब फिल्म इंडस्ट्री में आया तो पता चला कि अगर फिल्मी बैकग्राउंड नहीं है, कोई गॉडफादर नहीं है तो चांस नहीं मिलेगा।”

ऋषभ के मुताबिक, एक बार उन्होंने किसी का इंटरव्यू देखा था, जिससे पता चला कि असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर काम करना बहुत मददगार होता है। इससे लोगों से मिलना-जुलना होता है और संपर्क बनते हैं। इसके बाद छोटे-मोटे किरदारों में ब्रेक मिल जाता है। तब ऋषभ शेट्टी ने पहली फिल्म में असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर काम किया। फिल्म का नाम ‘सायनाइड’ था। उन्होंने फिल्मों की बारीकियाँ सीखीं।

असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर काम करने के बाद साल 2019 में ऋषभ शेट्टी को लीड रोल का मौका मिला। यह फिल्म थी ‘बेल बॉटम’। इसके बाद ऋषभ ने कई और फिल्में कीं, पर सबसे छोटे-मोटे किरदार ही थे। साल 2021 में ऋषभ ने ‘कांतारा’ फिल्म की कहानी पर काम करना शुरू किया। इस फिल्म को उन्होंने खुद डायरेक्ट करने और एक्टिंग करने का फैसला लिया।

‘कांतारा’ की कहानी ऋषभ ने अपने गाँव में की जाने वाली देव कोला और अन्य लोक कथाओं का रेफरेंस लिया था। फिल्म कांतारा कन्नड़ में बनी और बेहद सफल रही। इसकी सफलता को देखकर अन्य भाषाओं में भी इसे रिलीज किया गया। ऋषभ शेट्टी ने इसको लेकर कहा था कि इस फिल्म को उन्होंने सिर्फ रीजनल सिनेमा के लिए बनाया था। इस फिल्म की सफलता ने उन्हें सुपर स्टार बना दिया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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