…वो चर्च जिसकी सीढ़ियाँ जाती हैं स्वर्ग को, लेकिन महिलाओं को नहीं है चढ़ने की अनुमति!

जॉर्जिया का वो चर्च, जहाँ महिलाएँ नहीं जा सकती...

पूर्वी यूरोप में स्थित एक देश है जॉर्जिया। सन् 1991 तक यह जॉर्जियाई सोवियत समाजवादी गणतंत्र के रूप में सोवियत संघ के 15 गणतंत्रों में से एक था। यह देश ऊँची-ऊँची पर्वतमालाओं और बर्फ़ से ढकी चोटियों के लिए जाना जाता है। यहाँ कुछ पहाड़ों की चोटियाँ 15,000 फुट से ज़्यादा ऊँची हैं। इस देश के ख़ासतौर से दो हिस्से हैं, पूर्वी और पश्‍चिमी जॉर्जिया। दोनों हिस्से कई इलाकों से बने हैं और हर इलाके का अपना मौसम, अपने रीति-रिवाज़, संगीत, नृत्य और खान-पान है।

जॉर्जिया की राजधानी त्बिलिसी के पश्चिम में लगभग 200 किलोमीटर की दूरी पर कटक्शी स्तम्भ (Katskhi pillar) पर एक छोटा-सा चर्च है। इसे ईसाइयों के ‘स्तम्भ भिक्षुओं’ के रूप में जाना जाता है। इसकी ख़ासियत है कि यह एक प्राकृतिक चूना पत्थर से बना है और 130 फीट या 40 मीटर ऊँचा है, जिसके ऊपर बना चर्च शायद दुनिया का सबसे अलग चर्च है। 130 फीट ऊँचे स्तम्भ पर बने चर्च तक जाने के लिए सीढ़ियाँ बनी हुई हैं। वहाँ तक पहुँचने में लगभग 20 मिनट का समय लगता है। 2015 तक, फ़ादर मेक्सिम कव्वात्ज़ादे ने वहाँ सबसे अधिक समय (लगभग 20 साल तक) बिताया था। माना जाता है कि इतनी ऊँचाई पर चढ़कर चर्च तक पहुँचने वाला भगवान (जीजस, ईसा मसीह) के समीप पहुँच जाता है, स्वर्ग के नजदीक चला जाता है।

ख़बर के अनुसार, केवल पुरुष ही इस चर्च में प्रवेश कर सकते हैं, महिलाओं को इस चर्च में प्रवेश की अनुमति का कोई भी ऐतिहासिक संदर्भ नहीं है। इस सन्दर्भ में मठ के प्रमुख, नेता इलारियन का कहना है कि 2018 के बाद से जॉर्जियाई ऑर्थोडॉक्स चर्च के आध्यात्मिक गुरु पैट्रिआर्क इलिया-II के आदेश के बाद से चर्च के ऊपर जाने के लिए आम जनता को प्रतिबंधित कर दिया गया है।

इलियारियन ने बताया, “पैट्रिआर्क ने एक आदेश पारित किया, जिसमें कहा गया था कि केवल भिक्षु ही स्तम्भ के शीर्ष पर बने चर्च में प्रवेश कर सकते हैं। जब तक वो अपने उस आदेश को खारिज नहीं कर देते, तब तक हम किसी भी आगंतुक को ऊपर जाने की अनुमति नहीं दे सकते।” साथ ही इसके पीछे यह तर्क भी दिया जाता है कि इस तरह के प्रतिबंधों से कटाक्शी स्तम्भ की पवित्रता बनाए रखने में मदद मिलती है।

प्रतिबंधों से जुड़े तर्क पर त्सेत्स्वाद्ज़े नाम के शख़्स का कहा है, “केवल धार्मिक लोग ही ऊपर जा सकते हैं और हम उस निर्णय का सम्मान करते हैं। इसके पीछे आंशिक रूप से इमारतों की रक्षा करना है, साथ ही उस स्थान को पवित्र बनाए रखने के लिए ऐसा किया जाता है।”

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