विश्व फुटबॉल की सर्वोच्च संस्था फीफा (FIFA) ने सोमवार (15 अगस्त 2022) को अखिल भारतीय फुटबॉल संघ (AIFF) को निलंबित कर दिया। फीफा के मुताबिक एआईएफएफ ने फीफा के नियमों का गंभीर उल्लंघन किया है। यह फैसला फीफा के नियमों के उल्लंघन और तीसरी पार्टियों के अनुचित प्रभाव के कारण लिया गया। इसके अलावा भारत से अक्टूबर में होने वाले फीफा अंडर-17 महिला वर्ल्ड कप 2022 की मेजबानी भी छीन ली गई है। फीफा के नियमों के मुताबिक, सदस्य संघों को अपने-अपने देशों में कानूनी और राजनीतिक हस्तक्षेप से मुक्त होना चाहिए।
The All India Football Federation (AIFF) is suspended by FIFA due to third party interference. Can still be lifted… pic.twitter.com/ZHJP0eKxM0
— Subhayan Chakraborty (@CricSubhayan) August 15, 2022
कब हटेगा निलंबन?
फीफा ने कहा है कि AIFF कार्यकारी समिति की शक्तियों को ग्रहण करने के लिए प्रशासकों की एक समिति गठित करने के आदेश के निरस्त होने और AIFF प्रशासन द्वारा दैनिक मामलों पर पूर्ण नियंत्रण हासिल करने के बाद निलंबन हटा लिया जाएगा।
The Bureau of the FIFA Council has unanimously decided to suspend the All India Football Federation (AIFF) with immediate effect due to undue influence from third parties, which constitutes a serious violation of the FIFA Statutes: FIFA
— ANI (@ANI) August 16, 2022
बैन के पीछे NCP नेता प्रफुल्ल पटेल!
भारतीय फुटबॉल संघ का निलंबन पूर्व केंद्रीय मंत्री और शरद पवार की पार्टी एनसीपी के नेता प्रफुल्ल पटेल के कारण हुआ है। दरअसल, यूपीए सरकार में मंत्री रहे प्रफुल्ल पटेल 13 साल तक भारतीय फुटबॉल संघ के अध्यक्ष थे। देश का स्पोर्ट्स कोड कहता है कि कोई भी व्यक्ति 3 बार से ज्यादा अध्यक्ष नहीं रह सकता। हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उन्हें यह पद छोड़ना पड़ा।
पटेल 2009 से भारतीय फुटबॉल संघ के अध्यक्ष रहे। 2020 में पटेल का तीसरा कार्यकाल भी खत्म हो गया था। 2020 में चुनाव होना था लेकिन पटेल ने अध्यक्ष पद छोड़ा ही नही। 2022 की मई में शिकायत के बाद सुप्रीम कोर्ट ने पटेल को अध्यक्ष पद से हटने का आदेश दिया। पटेल ने एक याचिका दायर करके माँग की थी कि जब तक नए अध्यक्ष को नहीं चुना जाता, तब तक उनकी एग्जिक्यूटिव काउंसिल का समय बढ़ा दिया जाए, लेकिन कोर्ट ने उनकी माँग को ठुकराते हुए, प्रशासनिक काम काज देखने के लिए एक कमेटी ऑफ एडमिनिस्ट्रेटर्स (COA) का गठन कर दिया।
हालाँकि, पद से हटते ही प्रफुल्ल पटेल ने गंदी राजनीति शुरू कर दी। राज्य संघों के साथ मिलकर चुनाव नहीं होने दिया। इधर पटेल चुनाव में अड़ंगा लगाते रहे। दूसरी ओर FIFA में अपनी जुगाड़ से AIFF को बैन करने की कोशिशों में भी लगे रहे। फीफा से लगातार धमकी दिलवाते थे। प्रफुल्ल पटेल ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करते हुए एआईएफएफ और राज्य संघों के 35 सदस्यों की 6 अगस्त को एक बैठक आयोजित किया था। आखिरकार सोमवार देर रात रात फीफा ने इंडियन फुटबॉल एसोसिएशन को बैन कर दिया।
दरअसल, चुनाव न होने के चलते भारतीय फुटबॉल को सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी ऑफ एडमिनिस्ट्रेटर्स (COA) चला रही है। मगर नियम कहता है कि किसी भी देश में अगर फुटबॉल को चलाने वाली प्रॉपर संस्था या ऑर्गनाइजिंग बॉडी नहीं हो तो उसकी मान्यता खतरे में पड़ सकती है। इसका मतलब ये है कि अब अक्टूबर में होने वाले महिला अंडर-17 विश्व कप की मेजबानी भारत से छीन गई।
बैन करने की वजह
पहली वजह AIFF की स्वायत्ता पर सवाल है। फीफा के अनुसार किसी भी देश में फुटबॉल को देखने वाली बॉडी पूरी तरह से स्वतंत्र होनी चाहिए। उसमें सरकार या किसी अन्य एजेंसी का दबान नहीं होना चाहिए। दूसरी वजह यह है कि फीफा के अनुसार समय पर चुनाव होने चाहिए, लेकिन AIFF में 2020 के बाद से चुनाव नहीं हुए हैं। इसके अलावा फीफा सुप्रीम कोर्ट की कमेटी ऑफ एडमिनिस्ट्रेटर्स को बाहरी दखलअंदाजी यानी तीसरा पक्ष मानती है। इन्हीं सब वजहों से फीफा ने AIFF को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।
छेत्री ने कहा था- फीफा की चेतावनी पर ध्यान न दें
गौरतलब है कि हाल ही भारतीय कप्तान सुनील छेत्री ने सस्पेंशन को लेकर बयान दिया था। उन्होंने अपने साथी खिलाड़ियों से फीफा की चेतावनी को गंभीरता से नहीं लेने की बात कही थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक छेत्री ने खिलाड़ियों से सिर्फ अपने खेल पर ध्यान देने की बात कही थी।