इस्लामी किताबों में ‘थूक’ भी बड़े काम की: मिलती है बरकत, 3 बार बाईं तरफ थूकने से भागता है शैतान

प्रतीकात्मक तस्वीर

इधर-उधर थूकना स्वास्थ्य के लिए सही नहीं है। यह अच्छे तहजीब की भी निशानी नहीं। दुनिया के कई देशों में तो सार्वजनिक जगहों पर थूकने पर भारी जुर्माना देना पड़ता है। खासकर, सिंगापुर में इसके लिए 1000 डॉलर तक जुर्माना देना पड़ सकता है। कोरोना संक्रमण के बाद से तो सार्वजनिक जगहों पर थूकने को लेकर और सख्ती बरती जा रही है, क्योंकि संक्रमण इससे तेजी से फैलता है। लेकिन, ‘इस्लाम’ में थूकने के भी खास मायने हैं। खासकर, शैतान या बुरी आत्माओं को भगाने के लिहाज से।

कई हदीसों में खास तरीके से थूकने को बरकत पाने और शैतान को दूर भगाने के तरीके के तौर पर वर्णित किया गया है। सहीह-अल-बुखारी (वॉल्यूम 4, पुस्तक 54, संख्या 513) के अनुसार बाईं ओर थूकने से बुरे सपनों से छुटकारा मिलता है। किताब के अनुसार इस्लाम के पैगंबर कहते हैं, “एक अच्छा सपना अल्लाह से जुड़ा है। वहीं बुरा सपना शैतान से। जब भी किसी को बुरा सपना आए और वह डरे तब उसे अपनी बाईं ओर थूकना चाहिए, जिससे उसे अल्लाह की शरण मिले और वह बुरी आत्मा से बच जाए।”

सहीह मुस्लिम (किताब 026, संख्या 5463) में भी कहा गया है कि बाईं ओर तीन बार थूकने से शैतान से दूरी बनी रहती है। उतमन अबु-अल के मुताबिक रसूल ने कहा कि जब शैतान इबादत में खलल डाले। कुरान की आयतें पढ़ने से रोके। जब शैतान का असर होने लगे। तो अपनी बाईं ओर तीन बार थूकने से शैतान दूर रहता है।

इस्लाम के अतिरिक्त कहीं और इस प्रकार थूकना वीभत्स और अनादर का भाव उत्पन्न करता है। किसी व्यक्ति के ऊपर थूकने पर तो हाथापाई की नौबत आ जाएगी। किन्तु इस्लाम में कई ऐसे संदर्भ मिलते हैं, जिनमें बताया गया है कि पैगंबर आशीर्वाद देने के लिए लोगों को थूकते थे।

ये संदर्भ नीचे दिए हुए हैं :

1. सहीह बुखारी (वॉल्यूम 1, किताब 12, हदीस 801) महमूद बिन अर-रबी ने कहा, “मुझे याद है अल्लाह का दूत और उसके द्वारा घर पर लाया गया मुँह में भरा पानी जो उसने मुझ पर डाल दिया।”

2. उरवा अपने लोगों के पास वापस आया और बोला, “मैं कई राजाओं, सीजर, खुसरो और अन-नजाशी के पास गया किन्तु कोई भी उतना सम्माननीय नहीं है जितना मोहम्मद अपने साथियों में। यदि वह थूकेंगे तो थूक उनमें से किसी के हाथ में फैल जाएगा जो उसे अपने चेहरे और त्वचा में रगड़ लेगा।” (सहीह-अल-बुखारी, वॉल्यूम 3, किताब 50, हदीस 891)

3. जबिर-बिन-अब्दुल्लाह का वक्तव्य, “मेरी बीवी भी पैगंबर के पास एक लोई लेकर आई और पैगंबर ने उसमें थूका जिससे अल्लाह का आशीर्वाद प्राप्त हो। इसके बाद पैगंबर ने हमारे माँस पकाने वाले बर्तन में भी थूका और उसमें भी अल्लाह की मेहरबानियाँ बिखेर दी।” (सहीह अल-बुखारी, वॉल्यूम 5, किताब 59, हदीस 428)

4. इस्लामिक हदीसों में यह भी संदर्भ मिलता है कि मोहम्मद जिस पानी से स्वयं को साफ करते थे, लोग उस पानी का उपयोग अपने लिए करते थे। (सहीह अल-बुखारी, वॉल्यूम 1, किताब 8, हदीस 373)

5. अबु जुहैफा का कहना है, “मैंने बिलाल को पैगंबर द्वारा उपयोग में लाए गए पानी का उपयोग करते हुए देखा। बाकी लोग भी वही पानी उपयोग कर रहे थे और अपने शरीर पर रगड़ रहे थे। कुछ एक-दूसरे के हाथों पर लगे पानी का उपयोग करने के लिए आतुर थे।” (सहीह अल-बुखारी, वॉल्यूम 1, किताब 8, हदीस 373)

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया