Monday, November 18, 2024
Homeविविध विषयअन्यसंघ के दिनों में साथियों के लिए चाय और खाना बनाता था, बर्तन भी...

संघ के दिनों में साथियों के लिए चाय और खाना बनाता था, बर्तन भी धोता था: प्रधानमंत्री मोदी

''अपने जीवन की तेज गति और व्‍यस्‍त कार्यक्रम के बीच कुछ समय अपने लिए निकालें। खुद के बारे में सोंचें और आत्‍ममंथन करें। इससे आपका दृष्टिकोण बदलेगा। आप अपनी अंतरात्‍मा को बेहतर तरीक़े से समझ पाएँगे।''

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शुरूआती जीवन के कई पन्ने अभी भी अनछुए है। हाल ही में लोकप्रिय फ़ेसबुक पेज ‘ह्यूमंस ऑफ बॉम्बे’ (Humans of Bombay) के साथ साझा किए एक इंटरव्‍यू में उन्होंने अपने जीवन यात्रा के विभिन्‍न पड़ावों और अनुभवों को साझा किया है। इस कड़ी में उन्‍होंने हिमालय से लौटने के बाद के अनुभवों को साझा किया है। पढ़िए पीएम मोदी की वो कहानी, जिसने उनके जीवन की दिशा बदल दी।

हिमालय से वापस आने के बाद

उन्होंने साझा किया कि कैसे हिमालय के अनुभवों ने उनके जीवन की दिशा बदल दी, ”हिमालय से वापस आने के बाद मुझे अपने बारे में यह यक़ीन हो गया था कि मैं अपना जीवन दूसरों की सेवा में लगाना चाहता हूँ। लिहाज़ा लौटने के कुछ समय के भीतर ही मैं अहमदाबाद के लिए रवाना हो गया। इस तरह पहली बार मैं एक बड़े शहर में रहने के लिए गया, जहाँ की जीवन की गति बिल्‍कुल अलग थी। वहाँ पर मैंने यदा-कदा अपने अंकल की कैंटीन में उनकी मदद करने से शुरुआत की।”

कैसे सीखी हिंदी

प्रधानमंत्री मोदी के हिंदी सीखने की कहानी भी रोचक है, उन्होंने अन्यत्र कहा था कि ‘जब वह छोटे थे तब उन्‍हें हिंदी आती ही नहीं थी। वह रोज पिता के साथ सुबह चाय की दुकान खोला करते थे। दुकान की साफ़-सफ़ाई की जिम्‍मेदारी उनके ऊपर थी। कुछ देर में ही लोगों का आना शुरू हो जाता था। पिता जब उन्‍हें चाय देने को बोलते तो वह लोगों की बात ध्यान से सुना करते थे। ऐसे ही धीरे-धीरे उन्‍हें हिंदी बोलना आ गया।’

मैं पूर्णकालिक प्रचारक बन गया

सेवा की शुरुआत संघ की पाठशाला से हुई, “अहमदाबाद में ही अंततः मैं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का पूर्णकालिक प्रचारक बन गया। वहाँ मुझे जीवन के अलग-अलग क्षेत्रों के लोगों से मिलने और बातचीत करने का अवसर मिला और इसके साथ विविध क्षेत्रों में काम करने का मौका मिला। वहाँ हम सब बारी-बारी से आरएसएस कार्यालय को साफ़ रखते थे। साथियों के लिए चाय और खाना बनाते थे और बर्तन भी धुलते थे।”

व्यस्त लेकिन स्पष्ट

इसके साथ ही पीएम मोदी ने कहा, “वह उस पड़ाव पर जीवन की कठोरताओं के बीच व्‍यस्‍त थे लेकिन इस बात के लिए भी स्‍पष्‍ट थे कि हिमालय से जो शांति का अनुभव लेकर लौटे हैं, उसको किसी भी सूरत में नहीं जाने देंगे। इस कारण जीवन में संतुलन बनाए रखने के लिए हर साल पाँच दिन एकांतवास में जाने का निश्‍चय किया।”

एकांतवास

ख़ुद की ख़ोज में एकांतवास के अनुभव का भी ज़िक्र करते हुए उन्होंने बताया, ”कई लोगों को यह जानकारी नहीं थी कि मैं दीवाली के मौके पर 5 दिनों के लिए एकांतवास पर चला जाता हूँ। ऐसे किसी जंगल में जहाँ केवल स्‍वच्‍छ जल के अतिरिक्‍त कोई आदमी नहीं होता था। मैं उन 5 दिनों के लिए खाने की पर्याप्‍त सामग्री पैक करके ले जाता था। वहाँ कोई रेडियो या अखबार नहीं होता था और उस दौरान कोई टीवी या इंटरनेट नहीं था।” इसके साथ ही पीएम मोदी ने कहा कि वह एकांतवास उनको जीवन को हैंडल करने की ताकत देता था। उन्‍होंने कहा, “लोग कहते थे कि आप किससे मिलने जाते हो? तो मैं कहता था कि मैं अपने आप से मिलने जाता हूँ।”

अभाव लेकिन संतोष

इससे पहले की कड़ी में प्रधानमंत्री मोदी ने बताया था, “मेरे परिवार के आठ लोग 40X12 के कमरे में रहते थे। यह छोटा सा घर था, पर हमारे परिवार के लिए पर्याप्‍त था। हमारे दिन की शुरुआत सुबह पाँच बजे हो जाती थी। मेरी माँ पढ़ी-लिखी नहीं थी पर भगवान की कृपा से उनके पास एक ख़ास तरह का ज्ञान था। वह नवजात शिशुओं की हर तकलीफ़ तुरंत समझ जाती थीं। माँ के उठने से पहले ही महिलाएँ अपने शिशुओं को लेकर घर के बाहर लाइन लगाए रहती थीं।”

युवाओं को सलाह

इसी कड़ी में पीएम मोदी ने ‘युवा दोस्‍तों’ को सलाह भी दी। उन्‍होंने कहा, ”अपने जीवन की तेज गति और व्‍यस्‍त कार्यक्रम के बीच कुछ समय अपने लिए निकालें। खुद के बारे में सोंचें और आत्‍ममंथन करें। इससे आपका दृष्टिकोण बदलेगा। आप अपनी अंतरात्‍मा को बेहतर तरीक़े से समझ पाएँगे।”

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

मणिपुर में बिहार के लोगों से हफ्ता वसूली, हिंसा के लिए महिला ब्रिगेड: रिपोर्ट से कुकी संगठनों की साजिश उजागर, दंगाइयों को छुड़ाकर भी...

मणिपुर में हिंसा फैलाने के लम्बी चौड़ी साजिश रची गई थी। इसके लिए कुकी आतंकी संगठनों ने महिला ब्रिगेड तैयार की।

404 एकड़ जमीन, बसे हैं 600 हिंदू-ईसाई परिवार: उजाड़ना चाहता है वक्फ बोर्ड, जानिए क्या है केरल का मुनम्बम भूमि विवाद जिसे केंद्रीय मंत्री...

एर्नाकुलम जिले के मुनम्बम के तटीय क्षेत्र में वक्फ भूमि विवाद करीब 404 एकड़ जमीन का है। इस जमीन पर मुख्य रूप से लैटिन कैथोलिक समुदाय के ईसाई और पिछड़े वर्गों के हिंदू परिवार बसे हुए हैं।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -