दक्षिण एशिया, बांग्लादेश के लोगों में कोरोना का अधिक खतरा: निएंडरथल के साथ यौन संबंध रखने वाले प्राचीन मनुष्यों का मिला डीएनए

दक्षिण एशिया और बांग्लादेश के लोगों में कोरोना वायरस से संक्रमण का अधिक खतरा साभार-ट्विटर

न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक एक नए अध्ययन में पता चला है कि 60,000 साल पहले निएंडरथल मानवों के जीनोम में गंभीर कोरोना वायरस पाया गया है। शोधकर्ताओं के अनुसार, 60,000 साल पहले हुआ इंटरब्रैडिंग प्रभाव आज भी असरकारी है। उन्होंने पता लगाया कि जीनोम का एक विशेष खंड, जोकि क्रोमोसोम 3 पर छह जीनों तक फैलने वाला है, कोरोना वायरस के चलते गंभीर बीमारी की वजह हो सकता है।

यह अध्ययन अस्पताल में भर्ती 3,199 कोरोना रोगियों और कण्ट्रोल रोगियों के आँकड़ों के आधार पर किया गया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि पूरे मानव इतिहास में विशेष रूप से यह जीनोम खंड बड़े पैमाने पर विरासत में मिला है। इसके अलावा अध्ययन से यह भी पता चला है कि 63 प्रतिशत बांग्लादेशियों में इसकी कम से कम एक कॉपी पाई जाती है।

49.4 किलोबेसेस (kilobases) आकार का यह जीनोम सेगमेंट हालाँकि दुनिया के अन्य हिस्सों में उतना नहीं पाया जाता है जितना एशिया, खासकर बांग्लादेश में पाया जाता है। यह केवल आठ प्रतिशत यूरोपीय और चार प्रतिशत पूर्वी एशियाई लोगों में पाया जाता है। दिलचस्प बात यह है कि यह विशेष जीन अफ्रीकियों में मौजूद नहीं है।

शोधकर्ता यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि कोरोना वायरस कुछ लोगों के लिए दूसरों की तुलना में अधिक खतरनाक क्यों है? नए आँकड़ों से पता चलता है कि इस बीमारी और क्रोमोसोम 3 खंड के बीच एक मजबूत संबंध है। जिन लोगों में इन जीनों की दो प्रतियाँ पाई जाती हैं, वे उन लोगों की तुलना में गंभीर बीमारी से तीन गुना अधिक पीड़ित होते हैं, जिनमें यह नहीं पाया जाता है।

क्रोमोसोम 3 निएंडरथल से आधुनिक मनुष्यों के तक गया

स्वीडन में कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट के एक आनुवंशिकीविद् ह्यूगो ज़ेबर्ग, जो प्रकाशित होने जा रहे अध्ययन में सह-लेखक हैं, के मुताबिक करीब 60,000 साल पहले यूरोप, एशिया और ऑस्ट्रेलिया में आधुनिक मानवों के कुछ पूर्वज बसे थे। इन लोगों ने निएंडरथल का सामना किया और उनके साथ संबंध बनाए। निएंडरथल डीएनए के रूप में हमारे जीन पूल में प्रवेश किया और यह पीढ़ियों तक फैलता गया, जबकि निएंडरथल विलुप्त हो गए।

हालाँकि, निएंडरथल जीन आधुनिक मनुष्यों के लिए हानिकारक साबित हुए और लोगों के स्वास्थ्य पर बोझ बन गए, साथ ही इससे बच्चे पैदा करना भी कठिन हो गया। परिणामस्वरूप विकास के चलते निएंडरथल जीन विलुप्त होने लगे और हमारे जीन पूल से भी गायब होने लगे, लेकिन कुछ जीन एक विकासवादी बढ़त बनाते हुए काफी सामान्य हो गए हैं। वैज्ञानिक अनुमान लगाते हैं कि इसने कुछ विशेष क्षेत्रों में वायरस के खिलाफ एक बेहतर प्रतिरक्षा प्रदान की है।

मई में जर्मनी के लीपज़िग में मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट के डॉ ज़ेबर्ग और उनके सह-लेखक डॉ पाबो और डॉ जेनेट केलो को पता चला कि कम से कम एक-तिहाई यूरोपीय महिलाओं में निएंडरथल हार्मोन रिसेप्टर है। यह बढ़ी हुई प्रजनन क्षमता और कम गर्भपात से जुड़ा हुआ है।

जब डॉ ज़ेबर्ग ने निएंडरथल जीनोम के एक ऑनलाइन डेटाबेस में क्रोमोसोम 3 को देखा, तो उन्होंने पाया कि जो संस्करण लोगों में गंभीर कोरोना वायरस के जोखिम को बढ़ाता है। वही संस्करण उन निएंडरथल में पाया जाता है, जो 50,000 साल पहले क्रोएशिया में रहते थे।

अब तक हुए अनुसंधान में यह बात सामने आई है कि इस वायरस का महिलाओं की तुलना में पुरुषों को अधिक खतरा है और युवा लोगों की तुलना में बूढ़े लोगों को अत्यधिक खतरा होता है। जोखिम की स्थिति पर उनके प्रभाव के बारे में जानने के लिए अब सामाजिक परिस्थितियों और यहाँ तक ​​कि रक्त के प्रकारों का अध्ययन किया जा रहा है।

वैज्ञानिकों ने कहा है कि यह भी संभव है कि निएंडरथल का जीनोम खंड, जिसने हजारों साल पहले वायरस से प्रतिरक्षा प्रदान की थी, अब नए कोरोना वायरस के खिलाफ ‘ओवररिएक्शन’ शुरू कर रहा है।

यह बात भी सामने आई है कि कोरोना वायरस के जिन गंभीर मामलों में फेफड़ों के नुकसान के साथ बढ़ी हुई सूजन भी मिलती है, यह कुछ व्यक्तियों में उत्तेजित प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया के कारण होते हैं। रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि यूनाइटेड किंगडम में कोरोना वायरस के कारण बांग्लादेशी वंश के लोगों में अधिक मृत्यु दर दर्ज की जा रही है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया