व्हाट्सएप के जरिए डाटा लीक पर केंद्र सरकार सख्त रुख दिखाया है। आईटी मंत्रालय ने इस संबंध में व्हाट्सएप से जवाब मॉंगा है। मंत्रालय ने इस बात पर हैरानी जताई है कि उसे स्पाइवेयर अटैक की जानकारी नहीं दी गई। वहीं, व्हाट्सएप ने बयान जारी कर कहा है कि यूजर्स की निजता और सुरक्षा उसकी प्राथमिकता है। मई में उसने सुरक्षा से जुड़ा मामला जल्दी ही सुलझा लिया था और इसे लेकर भारत सरकार के अधिकारियों को सूचित किया था।
Sources: WhatsApp had given information to CERT-IN, a government agency as seen in the attached image in May. As is seen in the image, it is a communication in pure technical jargon without any mention of Pegasus or the extent of breach. pic.twitter.com/RPIgIntu1X
— ANI (@ANI) November 1, 2019
सरकारी सूत्रों का कहना है कि व्हाट्सएप ने पेगासस या ब्रीच की सीमा का उल्लेख किए बगैर मई में सरकारी एजेंसी CERT-IN को जानकारी दी थी। साझा की गई जानकारी केवल एक तकनीकी भेद्यता के बारे में थी और इस तथ्य से कोई लेना-देना नहीं था कि भारतीय यूज़र्स की गोपनीयता से समझौता किया गया था।
व्हाट्सएप के प्रवक्ता ने कहा कि हम निजता की सुरक्षा को लेकर भारत सरकार की चिंता से सहमत हैं। इसलिए कंपनी ने मामले की गंभीरता को समझते हुए कठोर क़दम उठाए हैं। हम पूरी कोशिश कर रहे हैं कि किसी भी यूजर्स के डेटा के साथ किसी तरह का खिलवाड़ ना हो। व्हाट्सएप यूजर्स के मैसेज की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
WhatsApp Spokesperson: We agree with the government of India, it is critical that together we do all we can to protect users from hackers attempting to weaken security. WhatsApp remains committed to the protection of all user messages through the product we provide. https://t.co/pmLsOlBztH
— ANI (@ANI) November 1, 2019
टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने सूत्रों के हवाले से लिखा कि व्हाट्सएप अधिकारियों ने पिछले पाँच महीनों में भारत सरकार से मुलाकात की है। यह घटना अगस्त की है। बावजूद इसके व्हाट्सएप ने उस समय सूचित नहीं किया। भारत के बाद अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया भी व्हाट्सअप पर दबाव बना रहे हैं।
दरअसल, भारत सरकार को जासूसी मामले में व्हाट्सएप पर साज़िश कराने का शक है। सूत्र के मुताबिक़, टेलीकॉम मंत्रालय लगातार व्हाट्सएप से मैसेज के सोर्स सुरक्षा एजेंसियों को डिस्क्लोज करने की माँग कर रहा है , लेकिन हर बार प्राइवेसी का हवाला देकर व्हाट्सएप ने सरकार की बात नहीं मानी। बता दें कि व्हाट्सएप का स्वामित्व फेसबुक के पास है।
व्हाट्सएप के ज़रिए भारत के कुछ पत्रकारों और हस्तियों की जासूसी की खबर ने भारतीय राजनीति में भूचाल ला दिया है। व्हाट्सएप ने इस बात की पुष्टि की है कि इजरायल की साइबर खुफिया कंपनी एनएसओ ग्रुप की ओर से भारत के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और पत्रकारों को स्पाइवेयर द्वारा टारगेट कर उनकी जासूसी की गई।
इजरायली कंपनी के द्वारा Pegasus नाम के स्पाइवेयर से भारतीय पत्रकारों को निशाना बनाया गया, जिसमें 2 दर्जन से ज्यादा पत्रकार, वकील और हस्तियाँ शामिल हैं। अगर दुनियाभर में इस आँकड़े को देखें तो ये नंबर करीब 1400 तक जाता है। अब Pegasus के दस्तावेज जो सामने आ रहे हैं, उससे ये खुलासा हो रहा है कि ये जासूसी सिर्फ व्हाट्सएप तक सीमित नहीं है।
इन दस्तावेजों में दावा किया गया है कि Pegasus स्पाइवेर का खेल व्हाट्सएप के अलावा सेल डाटा, स्काइप, टेलिग्राम, वाइबर, एसएमएस, फोटो, ईमेल, कॉन्टैक्ट, लोकेशन, फाइल्स, हिस्ट्री ब्राउज़िंग और माइक-कैमरा तक को अपने कब्जे में ले सकता है। इस स्पाइवेर के द्वारा टारगेट किए गए फोन नंबर के कैमरा, माइक के डाटा को इकट्ठा किया जा सकता है। कागजों के मुताबिक, इसके लिए सिर्फ स्पाइवेर को इन्स्टॉल करने की जरूरत है, जो कि सिर्फ फ्लैश SMS से भी हो सकता है।