जम्मू कश्मीर में अगस्त 2019 में अनुच्छेद-370 के प्रावधानों को निरस्त किए जाने के बाद से न सिर्फ माहौल शांतिपूर्ण हुआ है और कई आतंकी मार गिराए गए हैं, बल्कि विकास कार्यों में भी तेज़ी देखी जा रही है। अब विश्व का सबसे ऊँचा रेलवे आर्च-ब्रिज (चाप सेतु) भी इसी केंद्र शासित प्रदेश में बनने जा रहा है। इस रेलवे ब्रिज की लंबाई 1.325 किलोमीटर होगी, जिस पर दिसंबर 2022 से आवागमन शुरू होने की संभावना है।
भारतीय रेलवे ने एक वीडियो जारी कर के चेनाब नदी पर बन रहे इस आर्च-ब्रिज के बारे में जानकारी दी है। इस रेल पुल से कश्मीर की घाटी रेलवे के द्वारा शेष भारत से जुड़ेगी। इस पुल के आर्च वाले मुख्य भाग की लंबाई 467 मीटर होगी। नदी के तल से इसकी ऊँचाई 359 मीटर होगी। इसकी ऊँचाई का अंदाज़ा इसी बात से लगा लीजिए कि फ़्रांस के पेरिस में स्थित एफिल टॉवर से भी ये 35 मीटर ज्यादा ऊँचा होगा।
एफिल टावर की ऊँचाई 324 मीटर (1063 फ़ीट) है। इस रेलवे आर्च-ब्रिज के कटरा वाली साइड पर स्टील की धातु से बना जो सपोर्ट लगाया गया है, उसकी ऊँचाई 131 मीटर है, जो क़ुतुब मीनार (73 मीटर) से काफी ज्यादा ऊँचा है। इस आर्च-ब्रिज को इस हिसाब से मजबूती देकर डिजाइन किया गया है कि ये 266 किलोमीटर प्रति घंटे तक की रफ़्तार से बह रही हवाओं को बर्दाश्त करने में सक्षम होगा।
Railway Arch bridge on Chenab:
— Ministry of Railways (@RailMinIndia) March 13, 2021
📹 Watch this video to learn some interesting facts about the highest arch Railway bridge 🌉 in the world. pic.twitter.com/2uWs3lGmbj
बता दें कि भारत में अब तक किसी भी चक्रवात या तूफ़ान में हवाओं की रफ़्तार 250 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा नहीं मापी गई है। अम्फान चक्रवात के दौरान उच्चतम स्तर पर 240 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से हवाएँ चली थीं, जो देश में अब तक का सर्वाधिक है। इस आर्च-ब्रिज को बनाने के दौरान एक समय ऐसा भी आया था, जब 3200 लोग काम में लगे हुए थे। इसकी डिजाइन लाइफ 120 वर्षों की बताई गई है।
भारतीय रेलवे ने बताया है कि इसका निर्माण पूरा होने के बाद इंजीनियरिंग के क्षेत्र में ये एक बड़ी उपलब्धि होगी और भारतीय रेलवे के तकनीक विशेषज्ञों के लिए गर्व की बात भी। इस ब्रिज पर -20 डिग्री सेल्सियस तापमान का भी कोई असर नहीं होगा। जम्मू कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में 1893 में -14.4 डिग्री सेल्सियस तापमान रिकॉर्ड किया गया था, जो राज्य में अब तक का सबसे कम है। मोदी सरकार के आने के बाद इन्फ्रस्टरक्चर में ऐसे कई कार्य हुए हैं।
इसी तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अक्टूबर 2020 में रोहतांग में 9.02 किलोमीटर लम्बे ‘अटल टनल’ का उद्घाटन किया था। इससे मनाली और लेह के बीच की दूरी 46 किलोमीटर घट गई थी, अर्थात अब 4-5 घंटे कम हो गई है। ये दुनिया का सबसे लंबा राजमार्ग टनल है, जो पूरे साल मनाली को लाहौल-स्पीति घाटी को जोड़ कर रखता है। यह घोड़े की नाल के आकार में 8 मीटर सड़क मार्ग के साथ सिंगल ट्यूब और डबल लेन वाली टनल है।