असम में प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (आई) को हाल के दिनों में काफी बड़ा झटका लगा है। संगठन के काफी संख्या में कैडर आत्मसमर्पण कर राष्ट्र की मुख्यधारा में शामिल हो चुके हैं। बता दें कि अर्धसैनिक बलों और भारतीय सेना के संयुक्त अभियान के बाद उल्फा (आई) के आठ उग्रवादियों ने असम के तिनसुकिया जिले में पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। अधिकारियों ने शनिवार (अक्टूबर 26, 2019) को इसकी सूचना दी।
तिनसुकिया के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक आर काकोटी ने बताया कि उल्फा (आई) के आठ कैडरों ने आत्मसमर्पण किया है। इनमें से दो कैडरों ने गुरुवार (अक्टूबर 24, 2019) को आत्मसमर्पण किया, जबकि छ: ने शुक्रवार (अक्टूबर 25, 2019) को दो अलग-अलग अभियानों में आत्मसमर्पण किया।
Surrender of 8 ULFA(I) cadres within last 24 hours with huge cache of arms and explosives. Ops led by @assampolice Tinsukia team, with all security forces in tow pic.twitter.com/BcO7GPK7uy
— Tinsukia Police (@TinsukiaPolice) October 25, 2019
आत्मसमर्पण करने वाले उग्रवादियों की पहचान फोमन मोरन, मिंटू मोरन, प्राणजीत मोरन, राजीब मोरन, मिलनज्योति महंता, कल्याण बैरवा, प्रांजल काकती और बिजित कांति बोरा के रूप में हुई है।
पुलिस के मुताबिक उनके पास से आठ एके सीरीज राइफलें, जिंदा गोला बारूद और दो हैंड ग्रेनेड बरामद किए गए। पुलिस उप महानिरीक्षक पीके भुइयां ने कहा कि आने वाले दिनों में और भी उल्फा (आई) कैडरों के आत्मसमर्पण करने की उम्मीद है।
पीके भुइयां का कहना है कि आत्मसमर्पण का एक बड़ा कारण यह है कि सेना द्वारा ऑपरेशन शुरू किए जाने के बाद उल्फा (आई) के कैडरों को अपने शिविरों से तितर-बितर होना पड़ा। क्योंकि इस दौरान उनके शिविरों को ध्वस्त कर दिया गया।
बता दें कि साल की शुरुआत में म्यांमार सेना ने एक ऑपरेशन को अंजाम दिया था, जिसमें उन्होंने उन शिविरों को निशाना बनाया था, जहाँ उल्फा (आई) समेत अन्य विद्रोहियों के संगठनों ने शरण ली थी।
असम पुलिस के खुफिया विंग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस साल 18 अक्टूबर तक 54 आतंकवादियों ने आत्मसमर्पण कर दिया है, जिसमें से 42 उल्फा (आई) के थे।