असम में बुधवार (15 मई) को होने वाली कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस एग्जामिनेशन (CUET) परीक्षा में बैठने से पहले एक हिंदू छात्र को अपना जनेऊ उतारने के लिए मजबूर किया गया। पीड़ित छात्र की पहचान धृतिराज बशिष्ठ के रूप में हुई है। बशिष्ठ अपनी माँ के साथ परीक्षा केंद्र पर गया था। घटना सामने आने के बाद ब्राह्मण संगठन ने कॉलेज के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की बात कही है।
घटना असम के बजाली जिले के भवानीपुर आंचलिक कॉलेज स्थित एक परीक्षा केंद्र पर हुई। रिपोर्ट्स के मुताबिक, हिंदू छात्र से कहा गया कि अगर वह परीक्षा में बैठना चाहता है तो उसे अपना जनेऊ उतार देना होगा। मामले के बारे में बात करते हुए पीड़िता की माँ ने कहा, “मुझे उच्च अधिकारी को सूचित करने के लिए कॉलेज में घुसने की अनुमति भी नहीं दी गई।”
छात्र की माँ ने आगे बताया कि उनके बेटे बसिष्ठ को भवानीपुर आंचलिक कॉलेज के गेट पर रोका गया और अधिकारियों ने उसके पहचान पत्र की जाँच की। जब पीड़ित को पता चला कि उसने इस शर्ट के नीचे जनेऊ पहना हुआ है तो उसे अंदर घुसने नहीं दिया गया। उसके बाद बशिष्ठ ने अपनी माँ को फोन किया और कहा कि कॉलेज के अधिकारी उसे अपना जनेऊ उतारने के लिए कहा है।
उनकी माँ के अनुसार, कॉलेज प्रशासन ने दावा किया कि उनके जनेऊ में एक धातु की वस्तु पाई गई थी। महिला ने न्यूज लाइव को बताया, “पवित्र धागे के बिना, वह खा नहीं सकता, बोल नहीं सकता या अपनी आस्था का अभ्यास नहीं कर सकता। एक ब्राह्मण के रूप में हमारी पहचान प्राथमिक है।” महिला ने वह जनेऊ भी दिखाया, जिसे उतारने के लिए मजबूर किया गया था।
ब्राह्मण संगठन करेगा कानूनी कार्रवाई, कॉलेज ने आरोपों से किया इनकार
इस घटना की जानकारी मिलने पर अखिल भारत ब्राह्मण मोर्चा ने आंदोलन शुरू किया है और भवानीपुर आंचलिक कॉलेज प्रशासन के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की बात कही है। इस बीच, कॉलेज ने हिंदू लड़के पर जनेऊ उतारने के लिए दबाव डालने की बात से इनकार किया है। कॉलेज के प्रिंसिपल मानस कुमार चक्रवर्ती ने दावा किया कि क़ॉलेज के खिलाफ लगाए जाने वाले आरोप सही नहीं हैं।
मानस कुमार चक्रवर्ती ने कहा कि बशिष्ठ को केवल जनेऊ में बँधी धातु की अंगूठी हटाने के लिए कहा गया था, न कि जनेऊ को पूरी तरह से हटाने के लिए। मानस कुमार चक्रवर्ती ने यह भी दावा किया कि उन्होंने पीड़ित को अपना जनेऊ नहीं हटाने का निर्देश दिया था, लेकिन उसने उनके निर्देश का पालन नहीं किया और पूरा जनेऊ निकाल दिया।
मानस चक्रवर्ती ने कहा, “हम NTA के निर्देशों का पालन कर रहे थे, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया था कि परीक्षा हॉल के अंदर किसी भी धातु की वस्तु की अनुमति नहीं है। निर्देशों के अनुसार, हमने छात्र से अपने जनेऊ से अंगूठी निकालने को कहा, लेकिन उसने जनेऊ निकालकर अपनी माँ को सौंप दिया।”