दुष्कर्म पीड़ित साथी का साथ देने की सजा: चर्च अधिकारियों ने सिस्टर को भूखा रखा

सिस्टर लूसी (बाएँ) और दुष्कर्म आरोपित बिशप फ्रैंको मुलक्कल (दाएँ)

सिस्टर लूसी कलपूरा ने चर्च के अधिकारियों पर भूखा रखने का आरोप लगाया है। वे उन पॉंच ननों में शामिल हैं जिन्होंने बिशप फ्रैंको मुलक्कल पर रेप का आरोप लगाने वाली नन का समर्थन किया था। शनिवार को उन्होंने बताया कॉन्वेट में अधिकारी उन्हें भूखा रखते थे। खाने के लिए बाहर नहीं जाने देते थे।

मीडिया रिपोर्टों में 52 वर्षीय नन के ह​वाले से कहा गया कि अधिकारियों द्वारा खाना नहीं दिए जाने के बावजूद वे अंतिम सॉंस तक फ्रांसिस्कन क्लेरिस्ट कॉन्ग्रेसेशन (FCC) में बनी रहेंगी। उन्होंने कहा, “कॉन्वेंट के अधिकारियों के खिलाफ मैंने तीन बार शिकायत की। लेकिन, पुलिस कोई कदम उठाने में नाकाम रही। इससे लगता है कि मुझे परेशान करने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर पुलिस भयभीत है।”

बता दें कि FCC ने सिस्टर लूसी कलपूरा को पिछले साल अगस्त में गंभीर अनुशासनहीनता का हवाला देते हुए निष्कासित कर दिया था। सिस्टर कलपूरा ने बताया कि बीते साल दिसंबर में उनकी आत्मकथा ​रिलीज हुई थी। इसके बाद से उन्हें प्रताड़ित करने का सिलसिला तेज हो गया है। उन्होंने बताया कि अपने निष्कासन के खिलाफ वेटिकन चर्च में उन्होंने एक और अपील दायर की है। उम्मीद है कि पोप फ्रांसिस उनके पक्ष में जवाब देंगे।

इस संबंध में जल्द ही अदालत का दरवाजा खटखटाने की बात भी उन्होंने कही है। बीते साल वायनाड की एक अदालत ने एफसीसी की कार्रवाई पर रोक लगा दी थी। इस मामले में एफसीसी के प्रवक्ता ने टिप्पणी से इनकार किया है। गौरतलब हो कि सिस्टर कलापुरा उन नों में शामिल थीं, जिन्होंने मुल्लकल को गिरफ्तार करने में नाकाम रही पुलिस के ख़िलाफ कोच्चि में प्रदर्शन किया था। सिस्टर की ही एक सहयोगी ने मुल्लकल पर बलात्कार का आरोप लगाया था।

जून 2018 में एक 43 वर्षीय नन ने एक पुलिस में शिकायत दर्ज कराते हुए मुल्लकल पर आरोप लगाया था कि, 2014 में एक जरूरी मुद्दे पर चर्चा करने के बहाने मुलक्कल ने उसे बुलाकर उसका यौन उत्पीड़न किया था। इसके बाद यह क्रम लगातार दो वर्ष तक जारी रहा। इसके बाद इस मामले की जाँच के लिए एक कमेटी का गठन किया गया था। जिसने पिछले वर्ष सितंबर में मुल्लकल को कई बार पूछताछ के लिए बुलाया। इसके बाद उसकी गिरफ्तारी हुई थी।

नन ने अपनी आत्मकथा में आरोप लगाया है कि यौन शोषण जैसी घटनाओं को आरोपितों द्वारा सेमिनारों में आसानी से अंजाम दिया जाता है। दूसरी ओर इन्हीं आयोजनों में सहज सुधारों का आह्वान किया जाता है। उसने किताब में यह भी आरोप लगाया है कि उसने अपने कॉन्वेंट जीवन के दौरान कम से कम चार बार यौन उत्पीड़न के प्रयासों का सामना किया और कई नन आसानी से इस तरह की धमकियों का शिकार भी हो जाती हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया