सीबीआई ने फर्जी गन लाइसेंस मामले में रविवार (मार्च 1, 2020) को दो पूर्व IAS ऑफिसर राजीव रंजन और सेवानिवृत्त केएएस इतरत हुसैन रफीकी को गिरफ्तार किया। दोनों के ख़िलाफ़ फर्जी दस्तावेजों के आधार पर कुपवाड़ा जिले में डीसी रहने के दौरान बड़ी संख्या में गैर प्रांतीय लोगों को सशस्त्र लाइसेंस जारी करने के आरोप में कार्रवाई की गई ।
जानकारी के मुताबिक, सीबीआई ने 17 मई 2018 को 2012 से 2016 तक अलग-अलग जिलों के डीसी की ओर से भारी संख्या में हथियार लाइसेंस जारी किए जाने का मुकदमा दर्ज किया था। इसके बाद इस मामले में जाँच के दौरान रंजन और रफीकी की कथित भूमिका सामने आई थी। रंजन और रफीकी क्रमश: 2015 से 2016 और 2013 से 2015 तक कुपवाड़ा के जिलाधिकारी के पद पर रहे थे।
खबरों के अनुसार, अभी इस मामले पर कुछ अन्य अधिकारियों के ख़िलाफ़ भी कार्रवाई की जा सकती है। इसमें 2012 से 2016 तक बारामुला, राजौरी, उधमपुर, डोडा, और रामबन जिले में डीसी रह चुके अधिकारी प्रमुख रूप से शामिल हैं।
गौरतलब है कि इस संबंध में पिछले साल 10 जुलाई को जाँच एजेंसी ने जम्मू, कठुआ, उधमपुर और श्रीनगर में 11 जगहों पर एक साथ छापा मार कर मामले से जुड़े दस्तावेज बरामद किए थे। जिनके आधार पर गत वर्ष 30 दिसंबर को सीबीआई ने आईएएस अधिकारी यशा मुदगल, कुमार राजीव रंजन, इतरत हुसैन रफीकी, मोहम्मद सलीम, मोहम्मद जुनैद खान, एफसी भगत, फारूक अहमद खान और जहाँगीर अहमद के घरों पर छापा मार कर तलाशी ली थी। इस घोटाले के खुलासे में 4.29 लाख लाइसेंस जारी करने की बात जाँच में सामने आई थी। इसमें 90 फीसदी लाइसेंस दूसरे राज्य के लोगों को जारी किए गए। इसके अतिरिक्त शोपियाँ, राजोरी, कुपवाड़ा उधमपुर, बारामूला डोडा और रामबन जिले में सबसे अधिक लाइसेंस जारी किए गए।
यहाँ बता दें, इससे पहले सीबीआई ने कुछ दिन पहले ही इस मामले के संबंध में राहुल ग्रोवर को गिरफ्तार किया था। ग्रोवर पर आरोप है कि वो हथियार डीलरों और अफसरों के साथ मिलकर जम्मू कश्मीर से पूरे देश में मान्य शस्त्र लाइसेंस खरीदने का काम करता था।
ग्रोवर को राजस्थान पुलिस के आतंकवाद निरोधी दस्ते ने इसी आरोप में 2017 को गिरफ्तार किया था। जिसके बाद उसे एक साल बाद जमानत मिली थी। ग्रोवर पर उपभोक्ताओं को हथियार लाइसेंस के नवीनीकरण या नए लाइसेंस देने की सुविधा देने का आरोप है।