7 हजार करोड़ रुपए से अधिक के बैंक धोखाधड़ी मामले में CBI ने मंगलवार (नवंबर 5, 2019) को दिल्ली, चंडीगढ़, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और गुजरात समेत देश के 15 राज्यों में 169 स्थानों पर छापेमारी की। इस मामले में सीबीआई ने 35 मामले भी दर्ज किए हैं।
#CBI is conducting searches in 169 locations across the country in connection with 35 #BankFraud cases registered by the agency involving funds of over Rs 7,000 crore https://t.co/H73rcGdsxr
— Economic Times (@EconomicTimes) November 5, 2019
ब्यूरो से मिली जानकारी के अनुसार, देशभर में 169 स्थानों पर छापे मारे गए। यह छापे दिल्ली, आंध्र प्रदेश, चंडीगढ़, गुजरात, हरियाणा, कनार्टक, केरल, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और दादरा एवं नगर हवेली में यह छापेमारी की गई है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस मामले के संबंध में वरिष्ठ अधिकारियों की एक उच्च स्तरीय बैठक सोमवार को हुई थी और मंगलवार को सुबह ही देश के विभिन्न हिस्सों में छापेमारी करके ऑपरेशन शुरू किया गया।
सीबीआई ने 7 हजार करोड़ के बैंक फ्रॉड केस में 35 मुकदमें दर्ज किए हैं@divyeshas @MunishPandeyy https://t.co/0fVn2bsTN9
— आज तक (@aajtak) November 5, 2019
बता दें पंजाब नेशनल बैंक में 13,000 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी और नीरव मोदी-मेहुल चौकसी के मामलों के बाद केंद्र सरकार ने सीबीआई को बैंक धोखाधड़ी करने वालों के ख़िलाफ़ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
कहा जा रहा है कि सीबीआई द्वारा दर्ज की गई अधिकतर एफआईआर में डिफॉल्टर्स हैं। जिन्होंने बैंक अधिकारियों के साथ मिलकर अपनी कंपनियों के नाम पर लोन लिया था। जिसे इन्होंने वापस नहीं किया। इनमें कुछ मामलों में बैंक से धोखाधड़ी करने के मामले में क्रेडिट सुविधा का इस्तेमाल किया गया था।
सात हजार करोड़ से अधिक बैंक धोखाधड़ी के मामले में सीबीआई की देशभर में छापेमारी जारी है।#CBI https://t.co/Ydv8W6pH6j
— Hindustan (@Live_Hindustan) November 5, 2019
इसके अलावा इस मामले में सीबीआई ने करोड़ों रुपए के रोजवैली घोटाले की जाँच सिलसिले में उपायुक्त (बंदरगाह संभाग) वकार रजा से भी पूछताछ की थी। हालाँकि सूत्रों ने बताया कि आईपीएस अधिकारी रजा आरोपित नहीं हैं लेकिन रोजवैली समूह ने कथित रूप से वित्तीय अनियमितताएँ की थी, तब उनकी बतौर सीआईडी अधिकारी क्या भूमिका थी, उसका पता लगाने के लिए उन्हें यहाँ सीबीआई के सीजीओ परिसर कार्यालय में तलब किया गया था। ईडी के अनुसार इस समूह ने निवेशकों को 15,000 करोड़ रुपए का चूना लगाया था, जिसमें ब्याज और जुर्माने की राशि भी शामिल है।