कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में चुनौतियाँ और प्रगति: जेएनयू ने आयोजित किया 2 दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार

जेएनयू में आयोजित वेबिनार में शामिल प्रतिभागी

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय ने कोरोना वायरस से निपटने के उपायों पर चुनौतियों और हाल के स्थितियों पर चर्चा करने के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। इसमें दुनिया भर से करीब 1000 से अधिक लोगों ने अपना रजिस्ट्रेशन करवाया, जिनमें से सैकड़ों ने ऑनलाइन मोड के माध्यम से वेबिनार में सफलतापूर्वक भाग लिया।

इस बैठक का उद्घाटन जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एम जगदीश कुमार ने द्वारा किया गया, उन्होंने पहल की प्रशंसा करते हुए आधुनिक शिक्षा प्रणाली में डिजिटल माध्यम की भूमिका पर प्रकाश डाला। प्रो. कुमार ने जोर दिया कि शिक्षा प्रणाली के डिजिटलीकरण से कोरोना के बाद के समय में बहुत लाभ मिलेगा और JNU इसका नेतृत्व करेगा, जो कि सभी तक शिक्षा पहुँचाने का एक अच्छा तरीका होगा।

आयोजन समिति में संयोजक के तौर पर जेएनयू के मॉलिक्यूलर मेडिसिन के विशेष केन्द्र से प्रो. गोवर्धन दास, कम्प्यूटेशनल और एकीकृत विज्ञान स्कूल के डॉ. अर्नब भट्टाचार्य, समन्वयक के तौर पर जेएनयू के कम्प्यूटर और तंत्र विज्ञान के डॉ. सौरभ कुमार शर्मा ने दो दिन का वेबिनार के द्वारा व्याख्यान सुनिश्चित किया। चीन, इटली, अमेरिका और भारत जैसे देशों सहित दुनिया भर के प्रमुख वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस के लक्षणों के बारे में बताने के साथ इसे रोकने के उपायों से संबंधित अपने शोध प्रस्तुत किए।

25 अप्रैल को वेबिनार के पहले दिन के पहले वक्ता जेएनयू के मॉलिक्यूलर मेडिसिन के विशेष केंद्र से प्रो. गोवर्धन दास थे। उन्होंने बीसीजी वैक्सीन पर अपने चल रहे शोध पर चर्चा की जो कि कोरोना वायरस के वर्तमान प्रकोप से निपटने के लिए प्रभावी हो सकता है। उन्होंने अपने दावे के समर्थन में डॉ. अर्नब भट्टाचार्य के समूह द्वारा किए गए कुछ दिलचस्प डेटा विश्लेषण प्रस्तुत किए। उसके बाद ICMR-NITM के निदेशक देवप्रसाद चट्टोपाध्याय ने महामारी का मुकाबला करने के लिए पारंपरिक चिकित्सा दृष्टिकोण पर चर्चा की।

चीन के शंघाई से प्रोफेसर युफांग शी एक वक्ता के रूप में वेबिनार में शामिल हुए और कोरोना वायरस के रोगियों में प्रतिरोधक क्षमता को लेकर चर्चा की। उन्होंने बताया कि कैसे चीन ने कोरोना वायरस महामारी को काबू में किया और विशेष रूप से लॉकडाउन के महत्व को भी समझाया।

जेएनयू के स्कूल ऑफ लाइफ साइंसेज के प्रोफेसर अरुण खरात ने कोरोनो वायरस महामारी के भारतीय परिदृश्य और लगातार बढ़ रहे इसके से प्रभाव को रोकने के संभावित उपायों पर चर्चा की। उन्होंने भारत के भीतर और दूसरे देशों में कोरोना वायरस के खिलाफ किए जा रहे प्रयासों के तुलनात्मक अध्ययन पर भी चर्चा की। इसके बाद जेएनयू के स्कूल ऑफ कम्प्यूटेशनल और एकीकृत विज्ञान स्कूल के डॉ. आरके ब्रजेन सिंह ने गणितीय मॉडल का उपयोग करते हुए महामारी के मूल्य सिद्धांत के माध्यम से SARS-CoV-2 जीनोम डेटा पर प्रमुखता से चर्चा की।

वेबिनार के दूसरे दिन जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के उप-कुलपति और रेक्टर प्रो. राणा प्रताप सिंह ने अपने विचार रखे। प्रो. सिंह, जो एक विशिष्ट कैंसर जीवविज्ञानी हैं, ने एक संक्षिप्त अवलोकन प्रस्तुत किया कि कोरोनो वायरस कैसे लोगों की मृत्यु का कारण बन रहा है। इसके दूसरे सत्र में प्रो सौमित्र दास, जो अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त एक वायरोलॉजिस्ट हैं और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल जीनोमिक्स (NIBMG) के वर्तमान निदेशक भी हैं, द्वारा व्याख्यान दिया गया।

इसी क्रम में जेएनयू के मॉलिक्यूलर मेडिसिन के विशेष केंद्र की प्रोफेसर विभा टंडन ने कोरोनो वायरस संक्रमण की संभावित दवा के रूप में छोटे अणुओं की पहचान करने के लिए प्रयोगात्मक तरीकों पर चर्चा की। इसके अलावा ICGEB की ग्रुप लीडर प्रो.नील सरोवर भावेश ने कोरोनो वायरस दवाओं की सिलिको डिस्कवरी में विभिन्न मॉलिक्यूलर बॉयोलोजिकल पहलुओं पर चित्रित प्रस्तुति पेश की।

एकीकृत समाधान अनुसंधान के निदेशक प्रो. एनरिको बुसी, जो कि संयुक्त राज्य अमेरिका से वेबिनार में शामिल हुए, ने SARS-CoV-2 महामारी की उत्पत्ति और चमगादड़ से मनुष्यों में इसके संभावित ट्रांसमिशन के बारे में चर्चा की।

नेचर सेल डेथ और डिफरेंसिएशन जर्नल के प्रधान संपादक प्रो गेरी मेलिनो सत्र की अंतिम वक्ता रहीं, जो कि इटली से वेबिनार में शामिल हुई और उन्होंने इटली और चीन में फैले कोरोना वायरस के हालात के अंतर को दिखाने वाले एक तुलनात्मक अध्ययन पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। वेबिनार के संयोजक प्रो. गोवर्धन दास और डॉ. अर्नब भट्टाचार्य के धन्यवाद ज्ञापन के साथ वेबिनार सफलतापूर्वक समाप्त हुआ।

कुल मिलाकर वेबिनार को प्रतिभागियों की ओर से बड़ी संख्या में सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली। आयोजकों को दो-दिवसीय वेबिनार के लिए 1000 से अधिक रजिस्ट्रेशन प्राप्त हुए थे, जिनमें से करीब 300 संकाय के सदस्य थे। इसके साथ ही जेएनयू, आईआईटी, डीयू, बीएचयू, कनाडाई इंस्टीट्यूट फॉर जीनोमिक्स एंड सोसाइटी, शंघाई इंस्टीट्यूट ऑफ बायोलॉजिकल साइंसेज, चीन, एनपीआरसी टेक्सास और रोम विश्वविद्यालय, इटली समेत 84 राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों और संस्थानों से करीब 800 छात्र शामिल हुए।

वेबिनार का आयोजन ‘लैबीफाई’ के सहयोग से किया गया था, जो कि एक वेब-आधारित एप्लीकेशन है और अनुसंधान प्रयोगशालाओं को परियोजना निधि और अनुपालन दस्तावेजों का रिकॉर्ड रखने में मदद करता है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया