गृह मंत्री बनने के साथ ही अमित शाह ने टेरर फंडिंग और आतंकवाद के ख़िलाफ़ कार्रवाई करनी शुरू कर दी है। टेरर फंडिग करने के इल्जाम में जम्मू-कश्मीर बैंक पर हाल ही में शिकंजा कसा गया है। फर्जी नियुक्तियों की जाँच के लिए एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने बैंक मुख्यालय में रविवार (जून 9, 2019) को लगातार दूसरे दिन छापेमारी की। गौरतलब है कि सभी नियुक्तियाँ तत्कालीन चेयरमैल परवेज अहमद नेंगरू के कार्यकाल के दौरान हुई।
जाँच से पहले परवेज अहमद नेंगरू को उनके पद से हटा दिया गया था। परवेज को हटाए जाने के कुछ देर बाद ही बैंक के एनए रोड स्थित मुख्यालय पर छापामारी की थी जहाँ अधिकारियों ने फाइलों और दस्तावेजों की जाँच की। इस दौरान चेयरमैन सचिवालय तथा एचआरडी सेक्शन में भी महत्तवपूर्ण कागजातों की जाँच हुई। साथ ही कुछ महत्तवपूर्ण फाइलों को जब्त किया। पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने रविवार परवेज अहमद के बर्खास्त होने को काफ़ी असंतुष्ट करने वाला और शर्मनाक बताया है।
टेरर फंडिंग पर अमित शाह का अटैक pic.twitter.com/n7TEvl30rj
— Zee News Hindi (@ZeeNewsHindi) June 10, 2019
जाँच में 300 से अधिक फाइलें जब्त की गई हैं। साथ ही चेयरमैन सचिवालय और एचआरडी सेक्शन को सील करके वहाँ पर पुलिस की तैनाती कर दी गई है। परवेज अहमद को पद से हटाने के बाद सरकार की ओर से बयान आया कि बैंक के शासन और कार्यप्रणाली संबंधित चिंताओं के साथ-साथ कामकाज में सुधार को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया। दीर्घकालिक उपाय के तहत यह निर्णय लिया है ताकि यह अच्छी तरह से सरकार के स्वामित्व वाले बैंक का उदाहरण बन सके।
खबर के अनुसार उच्च अधिकारियों के अनुसार चेयरमैन बनते ही परवेज अहमद नेंगरू ने अपने भतीजे मुजफ्फर को अपने ऑफिस में नियुक्त कर लिया था। मुजफ्फर को परवेज का खास आदमी माना जाता था। इसके बाद नेंगरू ने अपनी बहु शाजिया अम्बरीन को बैंक के प्रोबेशनरी अधिकारी बना दिया गया था, जो फिलहाल हजरतबल शाखा की प्रमुख है। इतना ही नहीं, नेंगरू ने बैंक की 2 शाखाओं को अपने और अपने ससुर के मकान में ही खोल दिया, जो कि बैंकिंग के लिहाज से उपयुक्त जगह कतई भी नहीं थी।
परवेज के कार्यकाल में कर्मचारियों और अधिकारियों से तबादले के लिए खूब पैसे लिए जाते थे। परवेज ने दो रिश्तेदारों आसिफ बेग और मुहम्मद फाहिम को बैंक के बोर्ड की जिम्मेदारी सौंप रखी थी। इसमें बैंक से दिए जाने वाले लोन भी शामिल थे। परवेज की बहन का बेटा इफ्को टोकियो इंश्योरेंस में कार्यरत है। चूँकि हाल ही में जम्मू-कश्मीर ने इफ्को टोकियो के साथ डील की है, इसलिए इसमें भी नेंगरू की भूमिका संदेह में मानी जा रही है।
इसके अलावा परवेज के कारनामे परिवारवाद को बढ़ाने तक सीमित नहीं रहे। बैंक में चेयरमैन बनने के बाद परवेज ने बैंक की कई शाखाओं की आंतरिक साज-सज्जा सुधारने के लिए 50 लाख से डेढ़ करोड़ रुपए जारी किए थे जबकि खबरों की माने तो इस काम में सिर्फ़ इस रकम का 30 फीसद खर्चा आया था। इन मामलों के अलावा पूरी जाँच में ये भी पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि आखिर किस तरह पूर्व पीडीपी मंत्री फारूक अंद्राबी का 12 वीं पास भाई और महबूबा मुफ्ती के अंकल सीधे मैनेजर बन गए।
परवेज के कार्यकाल में बैंक नियमों को दरकिनार करके सैंकड़ों रुपए बाँटे गए। डिफॉल्ट करने वालों को भी ओवरड्राफ्ट की सुविधा दी गई। सेटलमेंट के नाम पर खूब रिश्वत ली गई। श्रीनगर के रॉयल स्प्रिंग्स गोल्फ़ क्लब के सौंदर्यीकरण पर बैंक पर सीएसआर से 8 करोड़ खर्ज करने की अनुमति दी, जबकि इसका आम जनता से कोई सरोकार नहीं था।