किसान आंदोलन को अब डीटीएच कनेक्शन भी मिला: मसाज, पिज्जा, जिम, टैटू… पहले से ही हैं सारे इंतजाम

लाइब्रेरी, मालिश, टैटू पार्लर के बाद अब प्रदर्शनकारियों के ठिकानों पर नजर आए टाटा स्काई (YouTube Screengrab / Lallantop)

नए कृषि कानूनों को लेकर प्रदर्शन कर रहे पंजाब और हरियाणा के परेशान किसान जिंदगी का असली मजा लेते हुए देखे जा रहे हैं। जिस तरह की तस्वीरें धरना प्रदर्शन स्थलों से आ रही हैं, ऐसा लगता नहीं है कि ये किसान जल्दी ही किसी नतीजे पर पहुँचने के मूड में हैं।

हाई-टेक मसाज और टैटू पार्लर, जिम लंगर, लाइब्रेरी, पिज्जा और बिरयानी के बाद, अब कुछ ऐसे वीडियो सामने आए हैं, जहाँ प्रदर्शनकारी किसान अपने ट्रैक्टरों में आराम से बैठे टेलीविजन देख रहे हैं। यही नहीं, अपने टीवी देखने के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए, ‘किसानों’ ने अपने ठिकानों के छत पर ‘टाटा स्काई’ भी लगा रखे हैं।

प्रदर्शनकारी आराम से टीवी देखते हुए (YouTube Screengrab/Lallantop)

‘हिटलर के लिंग’ की माप बताकर चर्चा में आई वेबसाइट ‘दी लल्लनटॉप’ के एक एंकर से जलंधर से प्रदर्शन स्थल पर पहुँचे एक किसान ने बात करते हुए कहा कि वे सिंघु सीमा पर कम से कम 6 महीने तक रहने के लिए तैयार हैं। उन्होंने बताया कि वो पर्याप्त राशन, कपड़े और अगले 6 महीनों तक जरूरत के लगभग सभी साधन अपने साथ लेकर आए हैं।

किसान विरोध प्रदर्शन के बीच किसानों के ठिकानों पर लगे ‘टाटा स्काई’ (YouTube Screengrab / Lallantop)

उन्होंने अपने ठिकानों के भीतर मोबाइल फोन, टीवी और डीटीएच कनेक्शन के साथ-साथ पोर्टेबल चार्जर, इलेक्ट्रिक चार्जर एक्सटेंशन आदि का इंतजाम कर रखा है।

सिंघु सीमा पर कम्युनिस्ट लीडर्स की पुस्तकों वाली लाइब्रेरी

इससे पहले, ऐसी खबरें भी सामने आईं कि सिंघु बॉर्डर पर लाइब्रेरी की स्थापना की गई थी, जिसमें कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे लोगों को पढ़ने की सामग्री, जैसे- किताबें और अखबार दिए जा रहे हैं। रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि इस पुस्तकालय में आंदोलनकारियों को वर्तमान विषयों पर चर्चा करने और झुग्गी के बच्चों को शिक्षा प्रदान करने और उनके सिलेबस को पूरा करने में मदद करेगा।

किसानों को शिक्षित करने के लिए लॉन्च हुए डिजिटल न्यूज़लेटर

किसानों के विरोध के बीच, ‘ट्रॉली टाइम्स’ के नाम से एक द्वि-साप्ताहिक (माह में दो सप्ताह) समाचार पत्र लॉन्च किया गया। इस डिजिटल समाचार पत्र में क्यूआर कोड की मदद से डिजिटल रूप से भी पढ़ा जा सकता है। लोगों का तर्क है कि किसानों को सरकार के सामने अपनी बात रखने के लिए मंच आसानी से नहीं मिलता और इस समाचार पत्र के माध्यम से उन्हें एक ऐसा मंच देने की कोशिश की गई है, जिससे किसान अपनी बातों को सरकार तक पहुँचा सकें, साथ ही सरकार की योजनाएँ और विचार किसानों तक आसानी से पहुँच सके।

किसानों के लिए मसाज केंद्र

हाल ही में हमने एक रिपोर्ट में बताया था कि ‘किसानों’ ने सार्वजनिक सड़कों को पिकनिक स्पॉट में बदल दिया है। प्रदर्शन स्थलों पर एक सिख संगठन ‘खालसा एड’ द्वारा लगाए गए खास फुट मसाजर के जरिए किसान प्रदर्शनकारियों को पैरों की मालिश करवाते हुए और आराम करते हुए देखा गया।

मसाज पार्लर के अलावा किसान प्रदर्शनकारियों के लिए पिज्जा, टैटू बनाने की व्यवस्था के साथ-साथ जिम की भी व्यवस्था ने सभी लोगों को हैरान कर रखा है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया