जो डर दूसरों में भरा, उसी डर से खुद मरा मुख्तार अंसारी: पूर्व DSP शैलेंद्र सिंह, माफिया पर POTA लगाने वाले पुलिस अधिकारी को ही मुलायम सरकार ने जेल में ठूँस दिया था

मुख्तार अंसारी और पूर्व डीएसपी शैलेंद्र सिंह (फोटो साभार: आजतक और एनडीटीवी)

मुख्तार अंसारी की बांदा जेल में हार्ट अटैक आने से हुई मौत के बाद अब पूर्व डीएसपी शैलेंद्र सिंह का बयान आया है। शैलेंद्र वही पूर्व अधिकारी हैं जिन्होंने 20 साल पहले मुख्तार के खिलाफ केस किया था और बाद में उन्हें खुद ही जेल जाना पड़ा था। अंसारी की मौत की खबर सुन पूर्व डीएसपी कहते हैं मुख्तार अंसारी ने जो डर दूसरों के मन में कायम किया था, वही डर उस पर भी हावी हो गया था। अंत में हार्ट अटैक से उसकी मृत्यु हो गई।

समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए पूर्व अधिकारी शैलेंद्र सिंह ने बताया, “20 साल पहले साल 2004 में मुख्तार अंसारी का साम्राज्य चरम पर था। वह उन इलाकों में खुली जीप में घूमता था जहाँ कर्फ्यू लगा हुआ था। उस समय मैंने मुख्तार से एक लाइट मशीन गन (LMG) बरामद की थी। मुख्तार से एलएमजी की वह पहली बरामदगी थी। उसके बाद आज तक कोई ऐसी रिकवरी नहीं हुई। मैंने उस पर POTA(आतंकवाद निवारण अधिनियम ) के तहत केस दर्ज किया, लेकिन मुलायम सरकार उसे किसी भी कीमत पर बचाना चाहती थी।”

शैलेंद्र सिंह बताते हैं, “मुलायम सरकार द्वारा अधिकारियों पर दबाव डाला गया, आईजी-रेंज, डीआईजी और एसपी-एसटीएफ का तबादला कर दिया गया। यहाँ तक कि मुझे 15 के भीतर इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया, लेकिन मैंने अपने इस्तीफे में अपना कारण साफ लिखा और जनता के सामने रखा कि यह वही सरकार है जिसे आपने चुना था, जो माफियाओं को संरक्षण दे रही है और उनके आदेश पर काम कर रही है।”

उन्होंने बताया, “पुरानी सरकारों में हालात बहुत ही खराब थी। धीरे-धीरे लगाम लग रही है। कोर्ट फैसले दे रहे हैं जबकि दो दशक से निर्णय नहीं हो पा रहे थे। बेशक हालात अब बदले हैं। शायद हम नौकरी में रहे होते यह पक्ष कोई देख नहीं पाता कि पुलिस पर किस तरह का दबाव होता था। उस समय मैंने अपनी जान जोखिम में डाली थी। मुझे नौकरी से हाथ धोना पड़ा था। उस समय मैं सरकारी नौकरी छोड़ने के बाद अगर कहीं प्राइवेट जॉब भी करता तो कंपनी पर मुझे निकलवाले के लिए कॉल आ जाते थे। किराए पर मकान नहीं मिलता था। रात में सामान कहीं रख दिया तो सुबह खाली करना पड़ता था।”

शैलेंद्र सिंह कहते हैं, “मुख्तार अंसारी ने जो डर दूसरों के मन में कायम किया था, वही डर उस पर भी हावी हो गया था। अंत में हार्ट अटैक से उसकी मृत्यु हो गई। ऊपर वाले के यहाँ देर है, अंधेर नहीं। जो जैसा करता है, वैसा भरता है।”

मुख्तार अंसारी की मौत पर शैलेंद्र सिंह ने आजतक से भी बात की। उन्होंने कहा- “जिस तरीके की खबरें आ रही थीं कि मुख्तार अंसारी डरे हुए हैं, वह कोर्ट से अपने बचाव आदि की गुहार लगा रहे हैं और फिर उनकी मौत हो गई, तो ऐसा है कि आदमी अपने अंत समय में डर जाता है, उसके पाप उसके सामने आते हैं तो उसी डर की की वजह से उन्हें ये अटैक आया है। आपके कर्म आपके सामने आते ही हैं और कुछ गलत किया हुआ होता है तो उसकी हाय का नतीजा सामने आता ही है।”

बता दें कि पूर्व डीएसपी शैलेंद्र सिंह ने जब मुख्तार अंसारी के खिलाफ आवाज उठाई थी उस समय उनकी नौकरी को 10-11 साल ही हुए थे, लेकिन माफिया राज से प्रताड़ित होकर उन्होंने नौकरी छोड़ दी जब उनकी नौकरी के 20-22 साल बचे थे। मुख्तार के खिलाफ आवाज उठाने के मामले में उनकी सराहना तो दूर उलटा उनके ऊपर इस मामले में मुलायम सरकार में केस दर्ज हुआ था और उन्हें ही दोषी दिखाते हुए जेल में डाल दिया गया था। साल 2021 में जब उनके ऊपर से सारे मामले हटे तब शैलेंद्र सिंह ने बताया कि जब वो जेल में गए थे तब योगी आदित्यनाथ ने उनके परिवार से फोन करके कहा था, “जब मैं आऊँगा तो न्याय करूँगा।” शैलेंद्र सिंह ने भावुक होते हुए कहा था- “मेरा परिवार योगी आदित्यनाथ का आभारी रहेगा।”

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया