उत्तर प्रदेश और केंद्र की सरकार को बदनाम करने और अपनी राजनीति चमकाने को लेकर कॉन्ग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के लिए हाथरस मामला मुख्य मुद्दा बना हुआ है। उत्तर प्रदेश के हाथरस में चार लोगों द्वारा कथित रूप से यौन उत्पीड़न और गला घोंटने के बाद एक 19 वर्षीय लड़की की मौत हो गई थी। इस मामले की जाँच उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा गठित एक एसआईटी द्वारा की जा रही थी। मामले की गंभीरता और पूरे देश मे फैले आक्रोश को देखते हुए योगी सरकार ने अब इसकी जाँच सीबीआई से कराने का फैसला किया है।
मामले में मृतक लड़की के परिजन लगातार अपने बदलते बयान और स्थिति को लेकर शक के दायरे में हैं। शुरुआत में पीड़ित परिवार ने केवल हमले का आरोप लगाया था। फिर मामले में एक हफ्ते बाद बलात्कार का आरोप जोड़ा गया था। इस बयान से मामले में काफी भ्रम पैदा हो गया है, क्योंकि घटना में सामने आए चिकित्सा और फोरेंसिक सबूत बलात्कार के आरोप का समर्थन नहीं करते हैं। इसी तरह मामले की जाँच को लेकर भी परिवार का रुख बदलता दिख रहा है। खासकर इस मामले में मृतका के भाई की स्थिति समझ के परे है।
जहाँ एक तरफ उत्तरप्रदेश योगी सरकार ने मामले की गंभीरता समझते हुए मामले को सीबीआई को सौंपने का फैसला किया है, वहीं इस फैसले पर आपत्ति जताते हुए मृतका के भाई ने कहा कि इसकी जरूरत नहीं थी। रिपोर्ट के अनुसार, मृतका के भाई ने कहा कि उन्होंने सीबीआई जाँच की माँग नहीं की, क्योंकि एसआईटी जाँच पहले से ही चल रही है। अब परिवार सुप्रीम कोर्ट के तहत न्यायिक जाँच की माँग कर रहा है।
We did not demand CBI inquiry in the case as SIT investigation is already underway: Brother of the victim of #HathrasCase on CBI probe ordered by CM Yogi Adityanath pic.twitter.com/uexdkbc75k
— ANI UP (@ANINewsUP) October 3, 2020
वहीं कल पीड़िता की माँ ने भी यही कहा था। यहीं नहीं परिवार ने मामले से जुड़े सभी पक्षों का नार्को टेस्ट कराने के फैसले का का भी विरोध किया था। बता दें विशेष जाँच दल ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में नार्को टेस्ट की सिफारिश की थी। पीड़िता की माँ ने कहा कि उसका परिवार नार्को टेस्ट नहीं करवाएगा। हालाँकि परिवार ने पहले एसआईटी जाँच पर नाराजगी व्यक्त की थी और अदालत की निगरानी में सीबीआई जाँच की माँग की थी।
गौरतलब है कि 1 अक्टूबर को कई समाचार एजेंसियों ने बताया था कि पीड़ित के भाई ने कहा है कि वह चल रही जाँच से संतुष्ट नहीं हैं। इंडिया टुडे से बात करते हुए पीड़ित के छोटे भाई ने कहा, “हम जाँच से संतुष्ट नहीं हैं। हम इस मामले में सीबीआई जाँच चाहते हैं। मेरी बहन की मौत हो गई है। प्रशासन ने उसका चेहरा दिखाए बिना ही उसकी लाश को जला दिया। उन्हें कैसे लगता है कि हम संतुष्ट होंगे?”
पीड़ित के भाई ने 3 अक्टूबर को फिर से कहा कि वे चल रही जाँच से संतुष्ट नहीं हैं। एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा, “हम चल रहे जाँच से संतुष्ट नहीं हैं, क्योंकि हमें अब तक हमारे सवालों के जवाब नहीं मिले हैं। खुले तौर पर हमें धमकी देने वाले डीएम को अभी तक निलंबित नहीं किया गया है।” वहीं सीएम योगी आदित्यनाथ ने एसआईटी की प्रारंभिक रिपोर्ट के बाद एसपी, डीएसपी, इंस्पेक्टर और कुछ अन्य अधिकारियों के निलंबन आदेश दिए थे।
We want an investigation to be held under a retired Supreme Court judge. We want the #Hathras District Magistrate to be suspended: Brother of the victim in the alleged gangrape case pic.twitter.com/Mv6bbDYmbt
— ANI UP (@ANINewsUP) October 4, 2020
उल्लेखनीय है कि अब यानी 4 अक्टूबर को परिवार ने सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में न्यायिक जाँच की माँग की है, क्योंकि उन्हें राज्य सरकार के साथ-साथ SIT और CBI सहित किसी भी जाँच एजेंसी पर भरोसा नहीं है। इसके अलावा पीड़िता के भाई ने हाथरस जिलाधिकारी को निलंबित करने की भी माँग की।
मीडिया ट्रायल और पॉलिटिकल ड्रामा
स्थानीय और राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर विपक्षी दल उक्त मामले में अपनी सारी ताकत को झोंकने में तुले हैं। राज्य सरकार द्वारा मीडिया और राजनेताओं को पीड़ित परिवार से मिलने की अनुमति देने के बाद राजनेताओं और मीडिया कर्मियों का गाँव के आसपास के क्षेत्र में जमावड़ा है। कॉन्ग्रेस नेता राहुल और प्रियंका गाँधी परिवार से मिलने गए थे। हालाँकि परिवार से मिलने से पहले सोशल मीडिया पर उनकी एक वीडियो वायरल हुई, जिसमें वह हाथरस की यात्रा के दौरान जोर-जोर से ठहाके लगाते हुए नजर आए।
वहीं अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी के सदस्य भी 4 अक्टूबर को परिवार से मिले। उन्होंने पहले परिवार के नार्को टेस्ट औए एसआईटी की सिफारिश पर सवाल उठाए थे और कहा था कि यह परीक्षण केवल पुलिस अधिकारियों का होना चाहिए, परिवार वालों का नहीं।
‘हाथरस कांड’ में मृतका के परिजनों का नहीं बल्कि उन अधिकारियों का नार्को टेस्ट होना चाहिए जिन्होंने इस कांड को अंजाम दिया, जिससे ये सच उजागर हो कि उन्होंने किसके ‘महा-आदेश’ पर ऐसा किया.
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) October 3, 2020
असली गुनाहगार कितनी भी परतें ओढ़ लें लेकिन एक दिन सच सामने आयेगा और आज की सत्ता का राज जाएगा.
हाल ही में ऑपइंडिया ने कुछ ऑडियो रिकॉर्डिंग शेयर की थी। जिसमें इंडिया टुडे की पत्रकार तनुश्री को पीड़ित के भाई को वीडियो बनाने और उसे भेजने के लिए मार्गदर्शन करते हुए सुना गया। वहीं कई अन्य समाचार एजेंसियों के रिपोर्टर को पुलिसकर्मियों को डराने की कोशिश करते हुए भी देखा गया था, जिनको जाँच की वजह से गाँव मे जाने से रोक दिया गया था।
हाथरस मामला
गौरतलब है कि दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में हाथरस की कथित सामूहिक बलात्कार पीड़िता की मौत हो गई थी। जिसके बाद से ही मामले में सभी विपक्षी पार्टियों को अपनी राजनीतिक रोटियाँ सेकने का मौका मिल गया। खबरों के अनुसार, उसके साथ दो सप्ताह पहले कथित तौर पर बलात्कार किया गया था। वहीं लोगों का गुस्सा तब और भड़क गया जब सोशल मीडिया पर यह भ्रामक चलाई गई कि हाथरस पुलिस ने परिवार के सदस्यों की सहमति के बिना लड़की का जबरन अंतिम संस्कार कर दिया। हालाँकि पुलिस ने बाद में खबरों को खरिज करते हुए कहा था कि दाह संस्कार के दौरान मृतका के पिता मौजूद थे।
एडीजी प्रशांत कुमार ने एएनआई से बात करते हुए बताया था कि फोरेंसिक रिपोर्ट के मुताबिक़ लड़की के साथ बलात्कार की घटना नहीं हुई थी। पीड़िता के साथ किसी भी तरह का यौन शोषण नहीं हुआ। मौत का कारण गला दबाना और रीढ़ की हड्डी में लगी चोटें थी।