अब्बू अनजान-बीवी को करतूतों का भान, चाहिए माफी: युसूफ जैसा ही होता है आतंकी का ‘आदर्श’ परिवार

ISIS आतंकी युसूफ की बीवी और अब्बा (फोटो साभार: ANI)

करीम। बेचारा करीम। वो तो गाड़ी से जा रहा था, लेकिन आतंकरोधी दस्ते ने घेर कर मार डाला। वो करीम, जिसने ISIS आतंकियों के कई ऑफर्स को ठुकरा दिया था, उसे इसी संगठन का आतंकी पेंट कर दिया गया। करीम की एक गर्लफ्रेंड भी है, जो सच्चाई का पता लगाती है। आतंकवाद में बहन-बीवी वाला तड़का लगता है और तैयार हो जाती है एक उम्दा कहानी।

फ़िल्मी दुनिया और वास्तविकता: आतंकियों को ‘आम आदमी’ बनाने की कहानी

अमेज़न प्राइम की एक बड़ी ही लोकप्रिय सीरीज आई थी, ‘द फॅमिली मैन’, इस घटना को उसी में दिखाया गया है। ये दिखाता है कि कैसे एक खा समझब का व्यक्ति ‘बेचारा’ किसी मंत्री की पार्टी के खाने में बीफ मिलाने जा रहा था और उसके साथी ने बस गोली क्या चला दी, सुरक्षा एजेंसियों ने उसका सम्बन्ध ISIS से घोषित कर दिया। इस ऑपरेशन को अंजाम देने वाला अधिकारी ये सोच-सोच कर शोकाकुल हो जाता है।

हाथीराम चौधरी एक ऐसा पुलिस अधिकारी है, जिसे उसके वरिष्ठ अक्षम मानते हैं। कुछ लोगों की गिरफ़्तारी का मामला उसे जाँच करने के लिए दिया जाता है लेकिन अचानक से मामला उसके हाथ से ले लिया जाता है और सीबीआई इसमें घुसती है। सीबीआई तुरंत उन ‘साधारण अपराधियों’ को आईएसआईएस का बता कर मामले को रफा-दफा करती है। इन अपराधियों की भी गर्लफ्रेंड है और ‘उच्च जाति’ के क्रूर अत्याचार की पुरानी कहानी है।

ये कहानी दिखाई गई है अमेज़न प्राइम की ही एक दूसरी सीरीज ‘पाताल लोक’ में, जिसमें दिखाया गया है कि सीबीआई कितनी जल्दी-जल्दी मामले को सुलझाने के लिए किसी अपराध में किसी को बचाने के लिए ISIS से जोड़ देती है। आतंकियों का बाप होता है, भाई-बहन-बीवी-गर्लफ्रेंड सब होते हैं, वो भी आम आदमी हैं- ये सब अब फिल्मों से निकल कर वास्तविक दुनिया में आ गया है और कुछ पत्रकार इसके सिद्धहस्त हैं।

लेकिन, वास्तविकता ये है कि असलियत इसके एकदम उलट है। यहाँ किसी करीम की गर्लफ्रेंड ये साबित करने के लिए नहीं संघर्ष करती है कि उसका मृत बॉयफ्रेंड आतंकी नहीं था, बल्कि यहाँ किसी अशफाक की बीवी अपने ‘जान’ को एक हिन्दू नेता की क्रूर हत्या के बाद वापस आने के लिए बड़े प्यार से बोलती है। असलियत में किसी युसूफ की बीवी अपने आतंकवादी पति के गुनाहों को माफ़ करने को कहती है।

बीवी, अब्बू और भाई: आतंकी को बचाने के लिए सब आ जाते हैं साथ

ये सब बावजूद इसके होता है कि उसे अपने शौहर की करतूतों के बारे में सब कुछ पता है। दिल्ली से गिरफ्तार किया गया युसूफ खान राम मंदिर भूमिपूजन का बदला लेने के लिए दिल्ली में आतंकी हमला करने वाला था। लेकिन IED विस्फोटकों के साथ ही पकड़ा गया। इसके बाद उसकी बीवी कहती है कि उसका शौहर लगभग दो साल से थोड़ा-थोड़ा कर के सामान (बारूद) लाता था और एक खाली बक्से में रखता था।

बीवी ये भी कहती है कि उसे इसकी कोई जानकारी नहीं है कि इसकी ट्रेनिंग उसने मोबाइल से ली या किसी और से और युसूफ ये सब किसके लिए कर रहा था। उसकी बीवी कहती है कि उसे बाबरी मस्जिद से कोई लगाव नहीं था। अफ़सोस जताने की बात करते हुए उसने कहा कि युसूफ उसके ऊपर सख्ती कर रहा था कि ये सब किसी को भी मत बताना। इसके बाद फिर वही ‘इमोशनल अत्याचार’ शुरू होता है।

ISIS के आतंकी युसूफ खान की बीवी अपने 4 बच्चों की बात करते हुए पूछती है कि वो उन्हें लेकर कहाँ जाएगी? वो कहती है कि उसके शौहर की गलती को माफ़ कर दिया जाए। ये काफी अजीबोगरीब और हास्यास्पद है। दुनिया के सबसे खूँखार आतंकी संगठन से जुड़े आतंकवादी, जो हिन्दुओं के प्रति घृणा के कारण खतरनाक विस्फोटकों के साथ हमले की तैयारी में धरा गया, उसे माफ़ करने की अपील उसकी बीवी कर रही है, जिसे उसकी सच्चाई पता थी।

आतंकियों के छोटे-छोटे बच्चे, गरीब माँ-बाप, सीधी-सादी गर्लफ्रेंड, मासूम बीवी, उसकी दर्दनाक कहानी और सुरक्षा एजेंसियों द्वारा उसके साथ की गई ‘बर्बरता’- ये सब फिल्मों में कहानियों के लिए अच्छे मटेरियल होते हैं और वास्तविकता में मीडिया का प्रपंच होता है। हाँ, ये बिकता दोनों जगह है। युसूफ की बीवी को ये सब पता है। इसीलिए, वो अपने आतंकी पति के आतंकवाद को माफ़ करने की बात इतनी आसानी से कर देती है।

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और पत्नी ही क्यों, ऐसे मामलों में अब्बू भी क्यों पीछे रहे? उत्तर प्रदेश स्थित बलरामपुर के इस ISIS आतंकी अबू युसूफ खान का अब्बा कहता है कि उसके बेटे की रीढ़ की हड्डी खिसकी हुई है, जिसका 2 साल से लखनऊ में इलाज चल रहा है। उसका कहना है कि वो शुक्रवार को लखनऊ अपने मामा के बेटे की किडनी के इलाज के लिए गया था। उसने अपनी बहन को बताया कि वो उसके घर पर रुकेगा पर वहाँ पहुँचा नहीं और उसका फोन बंद आने लगा।

फिल्म ‘वेलकम’ में भी एक किरदार होता है, जो मजनूँ शेट्टी के ‘बता इसे’ बोलते ही ‘मेरी एक टाँग नकली है…’ वाली बात दोहराने लगता है। आप याद कीजिए कमलेश तिवारी का मामला। ‘स्क्रॉल’ ने तो कमलेश तिवारी के दो हत्यारों के अब्बू खुर्शीद आलम का दो कमरे का छोटा फ्लैट है, ये तक बता दिया। उसने दावा किया था कि ‘बेचारे’ परिवार का आज तक पुलिस का सामना नहीं हुआ, लेकिन अब उन्हें बताया जा रहा है कि उनका दो बेटा आतंकी है।

उस बुजुर्ग आदमी को ये तक पता था कि प्रोपेगेंडा कैसे खेलना है, जैसे उसे कोई ट्रेनिंग दी गई हो। 75 साल के उस आदमी ने पूछा था कि कमेलश तिवारी की माँ के आरोपों के आधार पर भाजपा नेता को हत्या के आरोप में क्यों नहीं गिरफ्तार किया जा रहा है? इसके बाद ‘स्क्रॉल’ जैसा मीडिया संस्थान है ही इन चीजों को आगे बढ़ाने के लिए। बस यही किस्सा ISIS आतंकी युसूफ के अब्बू का भी है।

वो कहता है कि उसने अपने बेटे की गुमशुदगी की रिपोर्ट थाने में लिखवाई थी। वो बताता है कि उसे कुछ पता नहीं था, वरना वो उसको रोकता, घर से निकाल देता। अब तो जो भी करेगी पुलिस करेगी। साथ ही वो ये भी कहता है कि वो माफ़ी चाहता है। उसकी माँग है कि एक मर्तबा उसे माफी दे दें और वो दोबारा करे तो कुछ भी कर दीजिएगा। ये अजीब बयान है क्योंकि एक तरफ वो उसे घर से निकालने की बात करता है, दूसरी तरफ प्रशासन से कहता है कि उसे छोड़ दो।

ये अच्छी-अच्छी बातें हैं, जिन्हें मीडिया तुरंत लपक लेता है और दिखाता है कि कैसे एक आतंकी का बाप अपने बेटे के आतंकी निकल जाने के बाद उसे घर से निकालने की बातें करता है और एक अच्छा नागरिक का धर्म निभाता है। भले ही सच्चाई इससे कोसों दूर हो। जहाँ बीवी को सब पता है, अब्बू को कुछ नहीं पता। लेकिन हाँ, माफ़ी दोनों चाहते हैं। इस मामले में भाई इन दोनों के बीच में है।

ISIS आतंकी युसूफ खान का भाई कहता है कि उसे ISIS के झंडे की पहचान नहीं है पर रात को झंडा देखा। काले रंग के झंडे पर सफेद रंग से अरबी में ‘अल्लाह हू अकबर ला इलाहा इल्लल्लाह मुहम्मदुन रसूलुल्लाह‘ लिखा था। आकिब ने बताया कि उसका भाई सऊदी और अन्य जगहों पर रहा था। ये बात पुलिस ने भी बताई है। सऊदी में कमाने के बाद वो आतंकियों के संपर्क में आया था, जहाँ से वो सीधे टॉप कमांडर्स से बातें करता था।

आतंकियों के प्रति सब कुछ जानते हुए भी उनके परिवारों की सहानुभूति को समझने के लिए एक बार फिर से कमलेश तिवारी वाली घटना को देखते हैं। लीक हुए फोन कॉल में बीवी ने अशफाक को ‘जान’ कहते हुए घर आने की गुजारिश की थी और कहा था कि वो उसके बाद परिवार उसे बचाने के लिए बाकी प्रक्रिया करेगा। वही फोन पर अब्बा अल्लाह का बार-बार नाम लेते हुए कहता है कि सब ठीक होगा।

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युसूफ खान भी अलग नहीं है। हिन्दुओं के प्रति घृणा उसके मन में भी थी, क्योंकि वो राम मंदिर का बदला लेना चाहता था। साथ ही उसने अपने गाँव के कब्रिस्तान में बम का ट्रायल भी किया था। वो अंतररष्ट्रीय आतंकियों के संपर्क में था। उसके पास खतरनाक विस्फोटक थे। कोई बड़ी हस्ती उसके निशाने पर थी। उसकी फिदायीन हमले की योजना थी। क्या ऐसा आतंकी माफ़ी के लायक है?

असल में समस्या ये है कि जब तक ये लोग पकड़ में नहीं आते हैं, तब तक सब एक होते हैं। जैसे ही इनकी करतूत पकड़ी जाती है और इनके पास क़ानून की कार्रवाई से बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं होता, इन्हें गरीब का बेटा बना दिया जाता है। जब ये मारे जाते हैं तो कहना ही क्या… ये गणित के शिक्षक भी हो सकते हैं। वामपंथियों का ये फेवरेट सब्जेक्ट है। उन्हें आतंकी के आतंक के अलावा बाकी सभी चीजों को उछालने से मतलब होता है, क्योंकि उनका लगाव तो आतंकी के साथ होता है, लेकिन दुनिया के सामने उसे बचाने के लिए अन्य चीजें सामने लानी होती है।

ISIS आतंकी युसूफ खान की गिरफ़्तारी: अब तक क्या-क्या हुआ?

ज्ञात हो कि ISIS आतंकी अबू युसूफ खान को दिल्ली के करोलबाग और धौलाकुआँ के बीच रिज रोड इलाके से गिरफ्तार किया गया था। उसने पुलिस पर फायरिंग भी की थी। पुलिस ने उस पिस्टल को भी जब्त कर लिया है, जिसका इस्तेमाल कर उसने गोली चलाई थी। गिरफ्तार करने से पहले पुलिस और आतंकी के बीच कुछ देर तक शूटआउट भी चला। उसे आधी रात 12 बजे के करीब गिरफ्तार किया गया। 

ISIS आतंकी अबू युसूफ खान के घर से दो मानव बम जैकेट, विस्फोटक और भड़काऊ साहित्य के अलावा पत्नी तथा चार बच्चों के पासपोर्ट बरामद करने में पुलिस ने सफलता पाई है। बलरामपुर में तलाशी के बाद देर रात दिल्ली पुलिस आतंकी को लेकर वापस राष्ट्रीय राजधानी के लिए निकल गई। उससे जुड़े 3 लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। पूरी यूपी अलर्ट पर है।

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने शुक्रवार देर रात एनकाउंटर के बाद वैश्विक आतंकी संगठन ISIS के अबू यूसुफ खान को गिरफ्तार किया था। अब जो जानकारी सामने आई है उससे पता चला है कि वह लोन वुल्फ अटैक की फिराक में था। निशाने पर कोई बड़ी हस्ती थी। एक आतंकी के फरार होने की बात भी कही जा रही है। अबू बाइक पर विस्फोटक लेकर दिल्ली में आतंकी हमले को अंजाम देने की कोशिश में था। पुलिस ने 15 किलो IED और कुकर बम बरामद किया था।

अनुपम कुमार सिंह: चम्पारण से. हमेशा राइट. भारतीय इतिहास, राजनीति और संस्कृति की समझ. बीआईटी मेसरा से कंप्यूटर साइंस में स्नातक.