जयपुर से मुंबई जा रही ट्रेन Jaipur Mumbai Express में रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स यानी आरपीएफ़ के एक जवान ने 31 जुलाई 2023 को चलती ट्रेन में चार लोगों की गोली मार दी थी। इस मामले में खुलासा हुआ है कि चेतन सिंह चौधरी नाम के इस इस जवान की तबीयत नहीं रहती है। परिवार ने बताया कि उसके दिमाग में खून का थक्का थमा हुआ है।
चेतन फिलहाल रेलवे पुलिस की हिरासत में है। जिन लोगों की चेतन ने हत्या की है, उनमें चेतन के एस्कॉर्ट ड्यूटी प्रभारी ASI टीकाराम मीणा भी शामिल थे। इसके अलावा अब्दुल कादिर, असगर और एक अज्ञात व्यक्ति की हत्या की गई है।
उस घटना को लेकर विपक्षी दल हेट क्राइम का आरोप लगा रहे हैं। हालाँकि, परिजनों का कहना है कि चेतन के दिमाग में खून का थक्का जमा है। इसका इलाज कराया जा रहा था। चेतन के सहकर्मी RPF जवान अमय घनश्याम आचार्य ने भी कहा है कि घटना से पहले चेतन ने तबीयत खराब होने की बात कही थी।
चेतन के परिजनों का कहना है कि वह हमेशा तनाव में और अवसादग्रस्त रहता था। चेतन की भाभी प्रीति चौधरी का कहना है, “उनकी तबीयत काफी समय से खराब है। उनका इलाज चल रहा था और वह दवाइयाँ ले रहे थे। उनके मस्तिष्क में खून का थक्का भी पाया गया था।”
चेतन की भाभी ने आगे कहा, “चेतन को गुस्से की समस्या नहीं थी, लेकिन वह हमेशा तनावग्रस्त और दबाव में रहते थे। वह परिवार से दूर रहते थे, इसलिए हम जान भी नहीं पाते थे कि वह अपनी दवाएँ समय पर लेते थे या नहीं।” परिजनों का कहना है कि चेतन कभी किसी विवाद में नहीं फँसा। घर-परिवार में सबसे अच्छा रिश्ता था। अपने सहकर्मियों से उसका कभी झगड़ा नहीं हुआ।
प्रीति ने कहा, “कुछ साल पहले घर की देहरी पर फिसलने से चेतन के सिर में चोट लगी थी। शुरू में सब ठीक था। दो-तीन साल पहले से उनके सिर में तेज दर्द रहने लगा। डॉक्टर को दिखाया गया तो उसने बताया कि शायद सिर में सूज़न आ गई होगी। जाँच हुई तो पता चला कि उनके सिर में खून के थक्के जम गए हैं।”
बाद की स्थिति के बारे में बताते हुए प्रीति ने कहा, “इसका इलाज चला, लेकिन ववो चीज़ों को भूलने से लगे थे। हमेशा सुस्त रहते थे। इसको लेकर उनसे घर में कोई कुछ नहीं कहता था।दवाई भी चल रही थी और सब कुछ ठीक सा था। हमें नहीं पता था कि ऐसा कुछ भी हो जाएगा।”
ट्रेन में मौजूद आरपीएफ कॉन्स्टेबल अमय घनश्याम आचार्य ने बताया कि घटना से पहले 33 वर्षीय चेतन ने कहा था कि वह अस्वस्थ है। इसके बाद उसे दूसरे कोच में स्थानांतरित कर दिया गया। वहाँ पर उन्होंने चेतन से रायफल ले ली और चेतन एक खाली सीट पर लेट गया। हालाँकि, वह ज्यादा देर तक नहीं सो सका।
थोड़ी बाद चेतन उठा और गुस्से में अपनी रायफल ली और मीणा की ओर गया। मीणा ने समझाने की कोशिश की, लेकिन वह शायद किसी की बात नहीं सुन रहा था। वह अलग ही दुनिया में था। तबीयत खराब होने की वजह से चेतन अगले स्टेशन पर उतर जाना चाहता था, लेकिन मीणा ने ऐसा करने से रोक दिया और कहा कि ड्यूटी के अभी दो घंटे बाकी हैं।
चेतन चौधरी उत्तर प्रदेश के हाथरस का रहने वाला है। साल 2007 में आरोपित के पिता बच्चू चौधरी का ड्यूटी के दौरान निधन हो गया था। इसके बाद चेतन को 2009 में आरपीएफ कॉन्स्टेबल की नौकरी मिली थी। वहीं, उसका भाई लोकेश चौधरी मथुरा में ट्रक ड्राइवर का काम करता है।
विपक्षी दल इस घटना को हेट क्राइम से जोड़कर भाजपा सरकार को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं। हालाँकि, रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि इस घटना से पहले किसी तरह की बहस नहीं हुई थी। पश्चिमी रेलवे ने बताया है कि मामले की जाँच के लिए उच्चस्तरीय समिति गठित की गई है।
पश्चिमी रेलवे पुलिस कमिश्नर ने बताया कि चेतन की तबीयत गड़बड़ थी। इसी में उसने अपना आपा खो दिया। उसने पहले टीकाराम को मारा, उसके बाद उसे जो दिखा उसे मार दिया।