जामिया मिलिया के बाहर ANI पत्रकारों पर हमला, हॉस्पिटल भेजे गए: अन्य रिपोर्टरों से भी हो चुकी है बदसलूकी

तस्वीर ANI से साभार

नागरिकता विधेयक में संशोधन के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन की नकली परतें उतर रहीं हैं, और असली चेहरा सामने आ रहा है। पहले ‘शांतिपूर्ण’ की परत उतरी, और प्रदर्शनकारियों ने पथरबाज़ी शुरू कर दी। फिर ‘सेक्युलर’ की परत उतरी, जब “हिन्दुओं से आज़ादी” के नारे लगे, और अपनी बात साबित करने के लिए (अंग्रेज़ी में कहें तो, टु ड्राइव होम ए पॉइंट) प्रदर्शन स्थल पर हुजूम ने नमाज़ पढ़ी, मुहर्रम की तरह नंगे बदन ‘मातम’ मनाने तथाकथित छात्र सड़क पर उतर पड़े।

और अब ‘लोकतान्त्रिक’ का भी नकली मुलम्मा उतर कर गिर गया है, जब ‘लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ’ बताए जाने वाले मीडिया पर हमला हो रहा है। वह भी केवल इसलिए, क्योंकि मीडिया ने वह करने की ‘जुर्रत’ की, जो उसका काम है- लोगों का, प्रदर्शनों का सच कवर करना।

समाचार एजेंसी एएनआई के दो कर्मचारियों पर आज (16 दिसंबर, 2019 को) दोपहर हमला कर दिया गया, जब वे जामिया मिल्लिया इस्लामिया के प्रदर्शनकारी छात्रों को कवर करने गए थे।

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एएनआई के पत्रकार और कैमरामैन पर हमला यूनिवर्सिटी के गेट नंबर-1 के पास हुआ।

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पत्रकार उज्जवल रॉय और कैमरामैन सरबजीत सिंह को होली फैमिली हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है।

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दिल्ली पुलिस के पब्लिक रिलेशंस अफ़सर एमएस रंधावा ने घटना के बारे में कहा है कि फ़िलहाल हमलावरों की शिनाख्त नहीं हो पाई है, लेकिन पुलिस उनकी पहचान ढूँढ़ निकलेगी और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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इस विरोध प्रदर्शन के दौरान मीडिया पर हमले की यह पहली घटना नहीं है। आज दिन में ही उनके एबीपी न्यूज़ की पत्रकार से भी बदसलूकी का भी वीडियो सामने आया था। इसके पहले भी जब 13 दिसंबर को प्रदर्शन शुरू हुए थे तो एक समूह ने पत्रकारों पर हमला कर दिया था, घेर लिया था और उनके काम में बाधा डालने की भरपूर कोशिश की थी- उनके कान पर खड़े हो कर चिल्ला रहे थे, ताकि पत्रकार न अपने फ़ोन पर बात कर पाए, न ही माइक में कुछ बोल पाए। इसके अलावा ज़ी न्यूज़ के पत्रकार राहुल सिन्हा ने दावा किया था कि अन्य दो मीडिया कर्मियों को मारने-पीटने के बाद उनके चैनल के पत्रकारों को बाकायदा निशाना बनाकर ढूँढ़ा जा रहा था

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया