कर्नाटक (Karnataka) के उडुपी जिले के होसा मारीगुडी मंदिर ने फैसला लिया है कि परिसर में अब मुस्लिमों को दुकान लगाने की इजाजत नहीं दी जाएगी। यह निर्णय मंदिर परिसर में मौजूद मुस्लिम दुकानदारों द्वारा हिजाब पर 17 मार्च को कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के विरोध में आयोजित बंद में शामिल होने के बाद लिया गया। इस बंद से स्थानीय श्रद्धालुओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। मंदिर प्रशासन कमेटी के अध्यक्ष रमेश हेगड़े ने इस निर्णय की पुष्टि की है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, होसा मारीगुड़ी मंदिर प्रशासन ने फैसला किया है कि अब सालाना आयोजन के लिए सिर्फ हिन्दू समाज के लोगों को दुकानें आवंटित की जाएँगी। इन दुकानों में फूल, नारियल और प्रसाद आदि बेचे जाते हैं। मंदिर प्रशासन ने ये भी तय किया है कि दुकानों के आवंटन में भाग लेने वाले हिन्दू दुकानदारों को ये भी लिख कर देना होगा कि वो बाद में किसी मुस्लिम के साथ साझेदारी नहीं करेंगे। ऐसा कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए जरूरी बताया गया है।
रमेश हेगड़े ने ये भी बताया कि हिंदूवादी संगठनों ने भी उनसे सिर्फ हिन्दू दुकानदारों को ही दुकानें देने को कहा था, क्योंकि मुस्लिमों ने हाल ही में कर्नाटक हाईकोर्ट के हिजाब पर आए फैसले का मंदिर परिसर में विरोध किया था। इस विरोध में उन्होंने दुकानों को बंद रखा था। यह मेला कूप के मंदिर में 22 और 23 मार्च को लगेगा, जिसमें लगभग 1 लाख श्रद्धालुओं के आने की संभावना जताई जा रही है। मंदिर परिसर मूल रूप से यहाँ कानून व्यवस्था बनाने को प्राथमिकता दे रहा है।
हिन्दू जागरण वेदिके (HJV) के मंगलुरु डिवीजन के महामंत्री प्रकाश कुक्केहल्ली ने कहा, “हमने कूप टाउन के नगरपालिका को पत्र लिख कर माँग की है कि मुस्लिमों को सालाना मेले के दौरान दुकानें न आवंटित की जाएँ। साथ ही हमने मंदिर प्रशासन से भी सम्पर्क कर के यही माँग दोहराई है। यहाँ के स्थानीय श्रद्धालुओं को भी मुस्लिमों द्वारा 17 मार्च को किए गए बंद के चलते समस्या झेलनी पड़ी थी। मंदिर प्रशासन द्वारा मुस्लिमों को नीलामी प्रक्रिया से दूर रखने के फैसले का हर कोई स्वागत करता है।”
मंदिर परिसर के 100 स्टोर्स की 18 मार्च (शुक्रवार) को नीलामी हुई। इस दौरान मंदिर प्रशासन किसी मुस्लिम की भागीदारी को लेकर सतर्क रहा। वहीं कूप टाउन नगरपालिका के मुख्य अधिकारी वेंकटेश नवादा ने कहा, “हमने हिन्दू संगठनों के पत्र जरूर मिले पर भारत के सेक्युलर (धर्मनिरपेक्ष) देश है। इसलिए यहाँ सभी धर्म के लोग दुकान खोलने के लिए आमंत्रित हैं।”
गौरतलब है कि कर्नाटक हाईकोर्ट ने अपने फैसले में हिजाब को इस्लाम का जरूरी अंग मानने से इंकार कर दिया था। इस फैसले के खिलाफ कुछ मुस्लिम संगठनों ने 17 मार्च को बंद बुलाया था।