Tuesday, September 17, 2024
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घर में माँ-बाप के सामने पड़ा था बेटी का शव और वे दे रहे थे पैसे… क्या यही है बंगाल पुलिस की मानवता: डॉक्टर बिटिया के अपने पूछ रहे सवाल, क्या ममता बनर्जी सरकार के पास है जवाब?

पीड़िता की मौसी ने कहा, "अंतिम संस्कार होने के बाद परिवार क्या करेगा, वे कैसे घर जाएँगे, पुलिस ने कोई जिम्मेदारी नहीं ली। अंतिम संस्कार होने तक पुलिस सक्रिय थी और उसके बाद, वे पूरी तरह से गायब हो गए...क्या यही पुलिस की मानवता है। पुलिस ने कहा कि उन्होंने अपनी सारी जिम्मेदारियाँ पूरी कर दी हैं। क्या इसे ही जिम्मेदारी निभाना कहते हैं।"

कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में हुई डॉक्टर की रेप-हत्या मामले में पीड़ित परिजनों ने गंभीर आरोप लगाकर एक बार फिर कोलकाता पुलिस पर सवाल खड़े कर दिए हैं। मृतिका के माता-पिता ने जहाँ पुलिस पर घूस देने का आरोप लगाया है। वहीं पीड़िता की मौसी ने कोलकाता पुलिस की मानवता पर सवाल खड़े किए हैं।

सामने आई वीडियो और खबरों के अनुसार, पीड़िता की मौसी ने कहा, “जब घर में माता-पिता के सामने बेटी का शव पड़ा था, तब पुलिस पैसे दे रही थी, क्या यही पुलिस की मानवता है? जब तक अंतिम संस्कार नहीं हुआ, तब तक 300-400 पुलिसवाले हमें घेरे हुए थे, लेकिन अंतिम संस्कार के बाद वहाँ एक भी पुलिसकर्मी नहीं दिखा। परिवार क्या करेगा, वे कैसे घर जाएँगे, पुलिस ने कोई जिम्मेदारी नहीं ली। अंतिम संस्कार होने तक पुलिस सक्रिय थी और उसके बाद, वे पूरी तरह से गायब हो गए…क्या यही पुलिस की मानवता है। पुलिस ने कहा कि उन्होंने अपनी सारी जिम्मेदारियाँ पूरी कर दी हैं। क्या इसे ही जिम्मेदारी निभाना कहते हैं।”

बता दें क इससे पहले पीड़िता के माता-पिता ने भी कोलकाता पुलिस की भूमिका पर कई सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था, “पुलिस एकदम शुरुआत से ही केस को निपटाने का प्रयास कर रही है। हमें बॉडी को देखने की इजाजत भी नहीं थी। हमें उस समय भी थाने के बाहर इंतजार करना पड़ा जब शव को पोस्टमार्टम के लिए ले जाया जा रहा था। बाद में जब शव मिला तो एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने हमें पैसे देने की बात कही, जो हमने फौरन नकार दी।”

उन्होंने कहा था, “हमारी बेटी इस अस्पताल में खत्म हो गई। हम चाहते थे कि वह डॉक्टर बने, हमारे पास कई सवाल हैं। सुबह 11 बजे उन्होंने मुझे बताया कि उसने आत्महत्या कर ली है। हमें उसे देखने में 3 घंटे लग गए। हमने पुलिस से उसे देखने के लिए विनती की। उन्हें पोस्टमार्टम करने में देरी क्यों हुई? पीड़िता के पिता ने कहा कि शाम 6.40 से 7 बजे तक मैंने एफआईआर दर्ज की, उन्होंने एफआईआर देर से क्यों दर्ज की? उन्होंने अप्राकृतिक मौत क्यों दर्ज की?”

वहीं रिपोर्ट के मुताबिक, पीड़िता के चाचा ने भी बताया कि पुलिस ने उन लोगों से सफेद कागज पर साइन करने को कहा था, लेकिन परिवार ने इससे मना कर दिया और कागजों को फाड़ दिया। उन्होंने कहा कि बेटी को गए एक महीना होने वाला है लेकिन अभी तक इस मामले में कोई खुलासा नहीं हुआ।

बता दें कि पिछले महीने 9 अगस्त को आरजी कर अस्पताल में महिला डॉक्टर के साथ हुई रेप-हत्या मामले में पिछले दिनों बंगाल में काफी बवाल रहा था। महिला डॉक्टर के लिए इंसाफ माँगने जब लोग सड़कों पर उतरे तो उनके ऊपर भीड़ ने हमला कर दिया था। हालाँकि कल, फिर से कोलकाता में न्याय माँगने के लिए लोग सामने आए। इस बार सैंकड़ों की तादाद में इकट्ठा होकर लोगों ने कैंडल मार्च निकाला और पीड़िता को इंसाफ दिलाने की माँग की।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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