बरखा दत्त की जामिया मिलिया वाली जिहादन ‘हीरोइन’ लदीदा फरजाना याद है? उसने अयोध्या में राम मंदिर भूमि पूजन से पहले वह तस्वीर अपलोड की है, जिसमें कारसेवकों ने 6 दिसंबर 1992 को इस्लामी अत्याचार के प्रतीक विवादित ढॉंचे को ध्वस्त कर दिया था।
हिंदू मंदिर का ध्वंस कर बनाए गए बाबरी ढाँचे को धराशायी करने वाली तस्वीर को शेयर करते हुए लदीदा ने लिखा, “इंशा अल्लाह, न कभी भूलेंगे, न माफ करेंगे।” भूमि पूजन से कुछ दिनों पहले आए लदीदा के इस पोस्ट को उत्तेजक माना जा सकता है, क्योंकि ये वही लदीदा है जिसके जिहाद के ऐलान पर दिल्ली में दंगे हुए थे।
नवंबर 2019 में शीर्ष अदालत ने हिंदुओं के पक्ष में फैसला सुनाया, जिसके बाद उन्हें उक्त स्थल पर भव्य राम मंदिर का निर्माण करने की अनुमति मिली। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब 5 अगस्त को भूमि पूजन का आयोजन किया गया है। अयोध्या में राम मंदिर के भूमि पूजन समारोह से पहले, लदीदा की टिप्पणी शीर्ष अदालत और हिंदुओं के लिए उसकी नफरत ही दिखाती है।
सुप्रीम कोर्ट में फैसला आने के बाद इस तरह का ट्वीट करना उसका कोर्ट के प्रति उपेक्षा को दर्शाता है। यही नहीं, उसका पिछला फेसबुक पोस्ट कट्टरपंथी इस्लामी चरमपंथ के प्रति उसकी निष्ठा और हिंदुओं के प्रति उसकी घृणा को दर्शाता है।
बता दें कि लदीदा फरजाना ने दिल्ली की जामिया मिलिया इस्लामिया में विरोध के दौरान ‘जिहाद’ का आह्वान किया था, जिसके बाद यह विरोध-प्रदर्शन हिंसक हो गया था। लदीदा ने अपने एक पोस्ट में खुले तौर पर ’जिहाद’ का आह्वान किया था और कहा था कि लोगों को “हमारे जिहाद के बारे में सीखना चाहिए।”
उसने ‘ला इलाहा इल्लल्लाह, मुहम्मद रसूलुल्लाह’ के साथ अपने पोस्ट को समाप्त किया। जिसका मतलब था, “अल्लाह के सिवाय पूजा के योग्य कोई ईश्वर नहीं है और मुहम्मद उसका दूत है।” अप्रैल 2018 से उसकी एक अन्य पोस्ट में वह भारत को ‘मिडिल फिंगर’ दिखाते हुए देश का अपमान करती हुई नजर आई थी।
लदीदा के जिहाद के आह्वान के बाद भारत के कई हिस्सों, विशेष रूप से दिल्ली और उत्तर प्रदेश में हिंसा भड़क गई थी, जहाँ मुस्लिम भीड़ ने उग्र होकर दंगे को अंजाम दिया। इस दौरान हिंदुओं को निशाना बनाया गया, उनकी संपत्तियों को जलाया गया, क्योंकि उनका मानना था कि सीएए मुस्लिम समुदाय के खिलाफ था।
इसके अलावा लदीदा फरजाना ने मोपला नरसंहार के दोषियों का भी गुणगान किया, जिसमें हिंदुओं की नृशंस हत्या कर दी गई थी।
दिसंबर 2019 में हिंसा ने दिल्ली के बड़े हिस्से को तबाह कर दिया था। विशेष समुदाय के लोगों ने नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध के बहाने देश के विभिन्न हिस्सों में हिंसा भड़काया और अराजकता फैलाई।
सीएए के पारित होने के बाद देश फैली हिंसा ने इस्लामी कट्टरपंथी संगठनों, विदेशी-वित्त पोषित गैर सरकारी संगठनों और गैर-सरकारी संगठनों का एक गठजोड़ देखा, जो माओवादियों और शहरी नक्सलियों से बड़े पैमाने पर जुड़े हुए थे और नए अधिनियम को रद्द करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे थे।
संदिग्ध समूहों और इस्लामी कट्टरपंथी संगठनों के संघ ने खुलासा किया कि यह खिलाफत आंदोलन का नया संस्करण था- खिलाफत 2.0।
लदीदा के कट्टरपंथी सोशल मीडिया पोस्टों के बावजूद, सेकुलर मीडिया ने उसका महिमामंडन किया था। इसमें विवादास्पद पत्रकार बरखा दत्त का विशेष योगदान था, जिसने नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ जामिया मिलिया इस्लामिया के विरोध का नेतृत्व करने के लिए उसे ‘shero’ कहा था।
इससे पहले जब लदीदा ने जिहाद के लिए आह्वान किया था, तो दिल्ली, उत्तर प्रदेश और देश के अन्य हिस्सों में हिंसा भड़की थी। अब जब एक बार फिर से राम मंदिर भूमि पूजन से पहले कट्टरपंथी इस्लामी जहर उगलने लगती है, तो यह निश्चित रूप से संदिग्ध है।