मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को 6 महीने के भीतर सार्वजनिक स्थानों और राजमार्गों पर लगाई गईँ मूर्तियों की पहचान करने और उन्हें हटाने का आदेश दिया। कोर्ट ने इसके लिए अलग से लीडर्स पार्क बनाए जाने का निर्देश दिया। जज एसएम सुब्रमण्यम ने कहा कि तब तक के लिए सार्वजनिक स्थानों पर प्रतिमा लगाने की कोई इजाजत नहीं दी जाएगी।
हाईकोर्ट ने अराकोनम के एम वीरराघवन की रिट याचिका पर सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया। इस याचिका में वेल्लोर जिले के अराकोनम तालुक के तहसीलदार द्वारा ‘मेइकल पोराम्बोक’ पर लगाई गई अंबेडकर प्रतिमा को हटाने के लिए जारी नोटिस को चुनौती दिया गया था। यह प्रतिमा बिना अनुमति के लगाई गई थी।
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा, “पूरे तमिलनाडु में नेताओं की लगी प्रतिमाओं के नाम पर आम लोगों को अक्सर दंगे और कानून-व्यवस्था से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यह सुनिश्चित करना सरकार का कर्तव्य है कि राजनीतिक दलों, सांप्रदायिक, धार्मिक, भाषाई, क्षेत्रीय और अनुभागीय समूहों या अन्य समूहों के इस तरह के उत्सवों के कारण आम आदमी का शांतिपूर्ण जीवन किसी भी परिस्थिति में प्रभावित न हो।”
कोर्ट ने सरकार को राज्य भर में कई जगहों पर ‘लीडर पार्क’ बनाने का आदेश दिया। अदालत ने कहा कि केवल उचित अनुमति के साथ लगाई गई मूर्तियों को पार्क में स्थानांतरित और उसका रख-रखाव किया जाना चाहिए और प्रतिमाओं के रखरखाव का खर्चा उन लोगों से वसूल की जानी चाहिए, जिन्होंने उसे लगवाया था।
याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम ने कहा, “मूर्तियों का निर्माण विभिन्न राजनीतिक दलों, सांप्रदायिक, धार्मिक, भाषाई, क्षेत्रीय और अनुभागीय समूहों की मर्जी और पसंद पर किया जाता है।” उन्होंने आगे कहा कि निस्संदेह, वे नेताओं की महिमा का जश्न मनाने के हकदार हैं, लेकिन सार्वजनिक स्थान पर मूर्ति स्थापित करते समय नियमन सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि विचार, विचारधाराएँ और प्रथाएँ एक समूह की दूसरे समूह से अलग हो सकती हैं।
न्यायमूर्ति एसएम सुब्रमण्यम ने सरकार को राजमार्गों, सार्वजनिक स्थानों और पोरोम्बोक भूमि पार्सल में संरचनाओं या मूर्तियों को स्थापित करने की अनुमति नहीं देने का आदेश दिया। इसके साथ ही राज्य सरकार को मूर्तियों को लगाने के लिए दिशानिर्देश तैयार करने भी का निर्देश दिया।