रमजान शुरू होने के बाद दिल्ली के मुस्लिम बहुल इलाकों में चुनाव की सरगर्मी ठंडी पड़ गई है। मुस्लिम समुदाय के लोग इन दिनों रोजे रखते हैं और शाम को इफ्तार और उसके बाद तरावीह की नमाज़ में व्यस्त हो जाते हैं। ज़ाहिर है इस दौरान आम मुस्लिमों के पास राजनीति पर चर्चा करने का वक्त नहीं रहता।
दिल्ली में 12 मई को वोट पड़ने हैं और हर राजनैतिक पार्टी अपने-अपने दावे कर रही है लेकिन मुस्लिम अपना वोट किसे देंगे इस बात का अनुमान लगाना मुश्किल है। उलमा भी इस बार इन मामलों पर बोलने से बच रहे हैं। गौरतलब है कि जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने तो कुछ दिन पहले ही ऐलान किया था कि इन चुनावों में वो किसी भी राजनैतिक पार्टी के पक्ष में या फिर विपक्ष में अपील नहीं करेंगे। अपनी बात पर कायम रहते हुए शुक्रवार (मई 10,2019) को जुमे की नमाज के बाद उन्होंने कोई ऐलान नहीं किया।
नवभारत टाइम्स से हुई बातचीत में बुखारी ने कहा कि उन्होंने लोगों से वोट करने की अपील इसलिए नहीं कि क्योंकि लोग खुद समझदार हैं और लोकतंत्र को मज़बूत करने के लिए जो जरूरी होगा वो करेंगे। वहीं दिल्ली की दूसरी सबसे बड़ी मस्जिद फतेहपुरी के शाही इमाम डॉ मुफ्ती मोहम्मद मुकर्म ने जुमे के मौक़े पर लोगों से केवल वोट करने की अपील की।
मुफ्ती ने इलाके के मुस्लिमों को सलाह दी कि सभी को सुबह 7 बजे अपने-अपने पोलिंग बूथ पर मौजूद होना चाहिए। वहाँ मौजूद रहकर उन्हें बुजुर्गों, औरतों और बीमार लोगों की वोट डालने में मदद करनी चाहिए। हालाँकि मुफ्ती ने भी किसी पार्टी के पक्ष में कोई अपील नहीं की लेकिन यह जरूर कहा कि वोट बँटना नहीं चाहिए।
नवभारत टाइम्स में प्रकाशित खबर के अनुसार फिरोजशाह कोटला किले के मस्जिद के बाहर नमाज़ पढ़कर निकले पुरानी दिल्ली के कुछ लोगों ने एनबीटी से बातचीत में बताया कि दिन में तो किसी के पास वक्त नहीं रहता लेकिन नमाज के बाद जब लोग खाली होते हैं तो जरूर इस बात पर चर्चा करते हैं कि वोट किसे दिया जाए।