केरल के मुवत्तुपुझा में स्थित चर्च संचालित निर्मला कॉलेज में छात्रों के नमाज की जगह माँगने के मामले में नया मोड़ आया है। मुस्लिम छात्र-छात्राओं की माँग का स्थानीय महल (मुस्लिम संगठन) कमेटी ने विरोध किया है और छात्रों के कृत्यों के लिए माफी भी माँगी है।
स्थानीय मुस्लिम नेताओं ने निर्मला कॉलेज प्रशासन से इस मामले में सोमवार (28 जुलाई, 2024) को मिलने पहुँचे। उन्होंने मुस्लिम छात्रों के कृत्य को लेकर निर्मला कॉलेज प्रशासन से मिलकर नमाज की माँग का विरोध किया और माफी माँगी। मुवत्तुपुझा महल कमिटी के KM अब्दुल मजीद और PA बशीर ने कॉलेज प्रशासन से मुलाक़ात की है।
बशीर ने कहा, “कॉलेज में नमाज के लिए कमरे की माँगमहल समिति की सहमति के बिना उठाई गई थी। मुस्लिम स्टूडेंट फेडरेशन (MSF) का नाम भी इस विवाद में घसीटा गया, जिसका उद्देश्य छिपा हुआ था। मुवत्तुपुझा में मुस्लिम समुदाय सांप्रदायिक सद्भाव की रक्षा करना चाहता है और ऐसे कदमों का समर्थन नहीं करेगा।”
महल समिति ने साफ किया है किया कि वह कॉलेज परिसर में नमाज के लिए कमरे की माँग का समर्थन नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि इसके बजाय दोपहर की नमाज अदा करने के लिए कॉलेज के पास में स्थित मस्जिद में व्यवस्था की जाएगी, ताकि छात्राएँ भी इसमें शामिल हो सकें। वहीं मुस्लिम स्टूडेंट फेडरेशन (MSF) ने नमाज के लिए कमरा माँगने की माँग का विरोध किया है।
इस बीच सोशल मीडिया पर एक तस्वीर प्रसारित हुई जिसमें दावा किया गया कि छात्रों ने निर्मला कॉलेज नमाज के लिए कमरे की माँग के दौरान प्रिंसिपल को बंधक बनाया। माँग ना माने जाने पर उन्होंने प्रिंसिपल के कमरे के बाहर केले के पत्ते पर श्रद्धांजलि वाले फूल रख दिए। यानी उनकी मौत की बात की गई।
गौरतलब है कि यह मामला शुक्रवार (26 जुलाई, 2024) से चालू हुआ था। इस दिन निर्मला कॉलेज के वेटिंग हॉल में कुछ मुस्लिम छात्राओं ने नमाज पढ़ी थी। इसकी जानकारी कॉलेज के कर्मचारियों ने कॉलेज प्रशासन को दी। इसके बाद कॉलेज प्रशासन ने लड़कियों को यहाँ नमाज पढ़ने से रोक दिया।
इसके बाद कॉलेज में मुस्लिम छात्रों ने प्रदर्शन चालू कर दिया और कैम्पस के भीतर ही रोज नमाज पढ़ने के लिए अलग से एक कमरे की माँग करने लगे। मुस्लिम छात्रों ने कहा कि यह उनके मजहब का हिस्सा है और उन्हें अलग से कमरा चाहिए ही। इस पर कॉलेज के प्रिंसिपल जस्टिन कन्नड़न ने साफ इनकार कर दिया।
कॉलेज प्रशासन ने कहा कि यह एक सेक्युलर संस्थान है और यहाँ किसी को नमाज पढ़ने की अनुमति नहीं दी जा सकती। कॉलेज प्रशासन ने मुस्लिम छात्रों से कहा कि यदि वह नमाज ही पढ़ना चाहते हैं तो उन्हें शुक्रवार को इसके लिए छुट्टी दे दी जाएगी, बस उन्हें लिखित आवेदन देना होगा। कॉलेज प्रशासन ने कहा कि कॉलेज से मस्जिद की दूरी मात्र 200 मीटर है और छात्र-छात्राएँ वहाँ जाने के लिए स्वतंत्र हैं। मुस्लिम छात्रों की इस मांग का विरोध ईसाई संगठनों ने भी किया था।
केरल के ईसाई संगठन साइरो मालाबार चर्च ने इसे ईसाई संस्थानों में मजहबी दखल का नाम दिया है। साइरो मालाबार चर्च की पब्लिक अफेयर्स कमिटी ने कहा कि ईसाई संस्थानों में मजहबी दखल के प्रयासों का विरोध किया जाएगा। केरल के एक और बड़े ईसाई संगठन कैथोलिक कॉन्ग्रेस ने भी नमाज के लिए कमरे दिए जाने की माँग का विरोध किया था। कैथोलिक कॉन्ग्रेस ने कहा, ”चर्च संचालित कॉलेज और स्कूलों में नमाज़ पढ़ने के लिए कोई कमरा या जगह नहीं दी जाएगी। हालाँकि, छात्रों को नमाज़ के लिए नज़दीकी मस्जिदों में जाने की अनुमति होगी।”
गौरतलब है कि निर्मला कॉलेज 1953 में स्थापित किया गया था। यह एक ईसाई अल्संपख्यक संस्थान है। इसका संचालन केरल की सीरियन कैथोलिक चर्च करता है। इस संस्थान के भीतर 3000 छात्र पढ़ते हैं और यहाँ एक चर्च भी है। मुस्लिम छात्रों की नमाज पढ़ने की जगह के माँग के बाद यहाँ अब विवाद खड़ा हो गया है।