‘मेरे क्लासमेट जुबैर* खान ने अपने दोस्त सलीम* खान के साथ मेरा रेप किया’ – रतलाम कांड की 8 डिटेल

रतलाम की इस घटना ने दोस्तों के बीच 'भरोसा क्या होता है', इस भरोसे को तोड़ दिया! (प्रतीकात्मक चित्र)

स्कूल के दोस्तों के साथ आप पढ़ते हैं, खेलते हैं, लड़ते-झगड़ते हैं। साथ घूमने जाते हैं, जो साथ नहीं होते तो उनकी चुगली भी करते हैं। सोशल मीडिया के आ जाने से यही दोस्ती एक कदम आगे तक बढ़ जाती है। यहाँ ये दोस्त अच्छा-खासा टाइम बिताते हैं, एक-दूसरे के पोस्ट को लाइक करते हैं, कॉमेंट करते हैं, खिंचाई भी करते हैं। यह सब कुछ होता है स्कूली दोस्तों के बीच। अगर कुछ नहीं होता है, तो वह है भरोसे का न होना। लेकिन रतलाम की घटना ने इस भरोसे को तोड़ दिया है।

रतलाम जिले के सबसे प्रतिष्ठित स्कूलों में से एक है सेंट जोसेफ कॉन्वेंट स्कूल। यहाँ 10वीं क्लास में एक लड़की पढ़ती है – गायत्री (बदला हुआ नाम)। एक दिन गायत्री का बलात्कार होता है और रतलाम में इस कदर का विरोध-प्रदर्शन होता है कि पूरा प्रशासनिक महकमा हिल जाता है। आखिर क्यों? रेप तो हर घंटे होते हैं! फिर ऐसा विरोध क्यों? यह इसलिए होता है क्योंकि गायत्री का जिस जुबैर खान (बदला हुआ नाम) ने रेप किया, वो उसका क्लासमेट है। आज पूरा रतलाम सुलग रहा है, क्योंकि इस रेप ने स्कूली छात्र-छात्राओं के भरोसे को तोड़ा है।

छात्र-छात्राएँ-अभिभावक-वकील-दुकानदार… रतलाम का शायद ही कोई ऐसा समूह है, जो इस घटना के विरोध में सड़क पर नहीं उतरा हो। सब न सिर्फ रेप आरोपितों के खिलाफ बल्कि इसके पीछे अगर कोई बड़ी साजिश है, तो उसका पता लगाने के लिए भी प्रशासन के आगे डट कर खड़े हैं। आइए समझते हैं वो 11 घटनाक्रम, वो प्रशासनिक चूक, जिससे रतलाम की जनता सड़कों पर उतर चुकी है।

छात्र नहीं, शातिर है जुबैर खान

जुबैर अपनी सहपाठी गायत्री की फोटोशॉप की गई तस्वीरों को उसके इंस्टाग्राम पर भेजकर ब्लैकमेल करता है। बदले में अपने दोस्त सलीम खान (बदला हुआ नाम, सन ऐंड शाइन स्कूल का छात्र) के साथ गायत्री के घर पैसे लेने आता है लेकिन उसे घर पर अकेला पाकर दोनों उसका गैंगरेप करते हैं। इसके बाद ब्लैकमेल का यह सिलसिला थमने के बजाय और बढ़ता चला जाता है।

दैनिक भास्कर के रतलाम संस्करण में प्रकाशित रिपोर्ट

दोबारा पैसे माँगने और गायत्री के द्वारा असमर्थता जताने के बाद होटल में बुलाता है। यहाँ सलीम खान (सन ऐंड शाइन स्कूल वाला छात्र) फिर से रेप करता है। लेकिन इसके बदले जुबैर ने सलीम से 2000 रुपए लिए। शातिर दिमाग जुबैर होटल का कमरा भी बुक करता है तो किसी शकील उर्फ फरहान (असली नाम) के नाम पर।

बेटी के दर्द को माँ समझ रही थी मासिक धर्म की तकलीफ रिपोर्ट साभार: दैनिक भास्कर

स्कूल की एक शिक्षिका और एक अन्य छात्रा पर भी थी नजर

पीड़ित गायत्री की माँ ने दावा किया है कि जब पुलिस ने जुबैर के फोन की तलाशी ली तो उसमें से एक टीचर और एक अन्य छात्रा के भी फोटो मिले। वो इनको भी ब्लैकमेल कर पैसे ऐंठने की फिराक में था।

पीड़िता की आपबीती FIR में पढ़कर स्कूली बच्चों का भरोसे पर से भरोसा उठ जाएगा, रिपोर्ट साभार: दैनिक भास्कर

क्या है सच में है कॉन्ग्रेस कनेक्शन?

दरअसल जिस होटल में पीड़िता का दोबारा रेप किया गया, वो होटल एक कॉन्ग्रेसी नेता का है। इसे महज एक संयोग कह कर खारिज किया जा सकता था लेकिन विरोध-प्रदर्शन को दबाने और पीड़िता के परिवार पर मामले को रफा-दफा करने की जो कोशिशें कुछ कॉन्ग्रेसी नेताओं द्वारा की गई, उससे शक गहराता है।

वो होटल जहाँ पीड़िता का दूसरी बार किया गया रेप, रिपोर्ट साभार: दैनिक भास्कर

20000 लोग सड़क पर, वकील धरने पर

सारा काम-धाम छोड़ रतलाम की जनता सड़क पर उतर आई। पॉक्सो ऐक्ट के विशेष न्यायाधीश साबिर अहमद खान के आदेश को लेकर वकील लोग कोर्ट के अंदर ही धरने पर बैठ गए।

पीड़िता किसी एक परिवार की बहन-बेटी लेकिन गुस्सा पूरे शहर में, रिपोर्ट साभार: दैनिक भास्कर
यह भाड़े की भीड़ नहीं! रिपोर्ट साभार: दैनिक भास्कर

SP ने जताया सेक्स रैकेट का अंदेशा

जिस ढंग से यह पूरा मामला आगे बढ़ा है और जिस शातिराने ढंग से जुबैर ने गायत्री को ब्लैकमेल किया है, रतलाम के एसपी ने इस गैंगरेप मामले में किसी सेक्स रैकेट के होने का अंदेशा जताया है। अगर पुलिस की शंका सच हुई तो आरोपितों की संख्या बढ़ सकती है।

क्या दिन, क्या रात… चलता रहा विरोध-प्रदर्शन, रिपोर्ट साभार: दैनिक भास्कर

पहली बार इतना बड़ा विरोध प्रदर्शन

पुलिस के द्वारा बल प्रयोग की धमकी 20000 लोगों के विरोध-प्रदर्शन के सामने गीदड़-भभकी साबित हुई।

हर वर्ग, हर स्तर पर किया गया विरोध-प्रदर्शन, रिपोर्ट साभार: दैनिक भास्कर

पुलिस ने क्यों नहीं माँगी आरोपितों की रिमांड

भारी पुलिस बल के बीच आरोपितों को पॉक्सो की विशेष अदालत में पेश किया गया। पुलिस ने इनकी रिमांड की माँग नहीं की। पॉक्सो न्यायालय ने भी रेप आरोपितों को सीधे न्यायिक हिरासत में भेज दिया। वकील इस बात से खफा हो गए और कोर्ट के भीतर ही धरने पर बैठ गए।

कोर्ट में पुलिस की भूमिका संदिग्ध, क्या सच में रहा कोई राजनीतिक दबाव? रिपोर्ट साभार: दैनिक भास्कर

न्यायाधीश साबिर अहमद खान से वकीलों की नाराजगी!

वकीलों की नाराजगी पॉस्को अदालत के विशेष न्यायाधीश साबिर अहमद खान से रही। वकीलों का कहना है कि बिना सरकारी वकील की मौजुदगी में न्यायाधीश से न्यायिक हिरासत की माँग की गई, तो उन्होंने यह माँग मानी क्यों? और तो और न्यायाधीश के सामने पुलिस ने केस डायरी भी नहीं दिखाई, फिर भी न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश क्यों दिया गया?

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया