दरगाह के खादिम ने कान पकड़कर माँगी माफी, कहा- माफ कर दो, अब ऐसा नहीं होगा: त्रयम्बकेश्वर मंदिर में मुस्लिम भीड़ के साथ की थी घुसने की कोशिश

त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में दाखिल हुए सलीम सैयद ने माँगी माफी (फोटो साभार- एबीपी माझा यूट्यूब चैनल)

महाराष्ट्र के नासिक स्थित त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में 13 मई 2023 की रात मुस्लिमों की भीड़ दाखिल हो गई। कहा जा रहा है कि मुस्लिम गर्भगृह में शिवलिंग पर चादर चढ़ाना चाहते थे। बाद में मंदिर में प्रवेश करने वालों और अन्य स्थानीय मुसलमानों ने दावा किया कि पास स्थित सैय्यद गुलाम शाह वली बाबा दरगाह पर उर्स का कार्यक्रम था। इस सिलसिले में जुलूस निकाला गया था। जुलूस जब मंदिर के पास पहुँचा तो मुस्लिमों ने मंदिर की सीढ़ी से भगवान शिव को लोबान का धुआँ पेश किया। मुस्लिमों के अनुसार यह प्रथा सौ सालों से चली आ रही है। दरगाह के खादिम सलीम सैयद ने इस हरकत के लिए माफी माँगी है और कहा है कि सौ सालों से चली आ रही इस प्रथा को अब बंद कर देंगे।

सलीम सैयद उन चार आरोपितों में शामिल हैं जिनपर मंदिर प्रशासन की शिकायत पर एफआईआर दर्ज किया गया है। 16 मई 2023 को एबीपी माझा से बात करते हुए सलीम ने लोबान के धुएँ को त्र्यंबकेश्वर यानी भगवान शिव को चढ़ाने की कथित प्रथा के बारे में जानकारी दी। सलीम ने कहा, “दरगाह में सालाना उर्स के बाद जुलूस निकाला जाता है। जब जुलूस मंदिर के पास से गुजरता है, तो मैं वहाँ जाता हूँ और मंदिर की पहली सीढ़ी से भगवान त्र्यंबकेश्वर को लोबान की धूनी पेश करता हूँ।

सलीम ने आगे कहा, “हम (स्थानीय मुस्लिम) उन्हें त्र्यंबक राजा कहते हैं। वह इस स्थान के राजा हैं। यह मेरा विश्वास है कि उनकी वजह से हम यहाँ सुरक्षित और समृद्ध हैं। सीढ़ी पर खड़ा होने के बाद मैं ओम नमः शिवाय और हर हर महादेव का जाप करता हूँ। इस दौरान मेरे साथ दो-तीन लोग फूलों की टोकरी या अन्य चीजें अपने सिर पर रखे होते हैं। मैं अपने सिर पर चादर की टोकरी रखता हूँ।”

बातचीत के दौरान सलीम ने कहा, “मेरी उम्र 66 वर्ष है। मेरे वालिद का इंतकाल साल 1994 में हो गया था। तब से मैं इस अनुष्ठान का नेतृत्व करता हूँ। जब मैं दस साल का था तब से मुझे चीजें अच्छी तरह याद हैं। मुझे नहीं पता कि इस साल मंदिर के अधिकारियों ने हमारे खिलाफ शिकायत क्यों दर्ज की। अगर उन्हें लगता है कि ऐसा करके हमने गलती की है तो मैं माफी माँगता हूँ। मैं फिर कभी त्र्यंबकेश्वर राजा को लोबान का धुआँ नहीं चढ़ाऊँगा।” सलीम के अनुसार वे लोग कभी गर्भगृह में प्रवेश नहीं करते। लेकिन पहली सीढ़ी पर खड़े होते हैं। राजा त्र्यंबक को चादर नहीं चढ़ाया जाता। जुलूस पूरा कर उनके सम्मान में धुएँ की पेशकश करते हैं। सलीम के दादाजी भी ऐसा करते थे।

बता दें कि मुस्लिमों के जबरन त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में दाखिल होने की घटना से मंदिर प्रशासन समेत कई हिंदू संगठन नाराज हो गए। हिंदू महासंघ समेत कई संगठन के लोगों ने मंदिर पहुँचकर अपना विरोध जताया। कार्यकर्ताओं ने मंदिर के द्वार और परिसर का शुद्धिकरण किया और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की माँग की। स्थानीय हिंदुओं का कहना है कि वे लोग चादर दिखाने या धुआँ पेश करने जैसे रिवाजों की कोई जानकारी नहीं है। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। बता दें इससे पहले त्रयम्बकेश्वर महादेव को दूर से चादर दिखाने की बात सामने आई थी। अब धूप धुआँ दिखाने की बात कही जा रही है। त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में शामिल है। सदियों से जारी परंपरा के अनुसार मंदिर में सिर्फ हिन्दुओं को ही प्रवेश देने की अनुमति रही है, जिनकी हिन्दू धर्म में आस्था नहीं है उनका मंदिर में प्रवेश वर्जित है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया