नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के लालकिले में सुभाष चन्द्र बोस संग्रहालय को आज (जनवरी 23, 2019) राष्ट्र को समर्पित किया। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की 122वीं जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में लालकिले पर सुभाष चंद्र बोस संग्रहालय का उद्घाटन किया। इस संग्रहालय में सुभाष चन्द्र बोस और आज़ाद हिंद फौज से जुड़ी चीजों को प्रदर्शित किया जाएगा। आयोजन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ सुभाष चन्द्र बोस के पोते चन्द्र बोस भी मौजूद थे।
संग्रहालय का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “मैं नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को उनकी जयंती पर नमन करता हूँ। वह एक ऐसे शूरवीर थे, जिन्होंने भारत को स्वतंत्र बनाने की दिशा में खुद को प्रतिबद्ध किया और सम्मान का जीवन जिया। हम उनके आदर्शों को पूरा करने और एक मजबूत भारत बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
I bow to Netaji Subhas Chandra Bose on his Jayanti.
— Narendra Modi (@narendramodi) January 23, 2019
He was a stalwart who committed himself towards ensuring India is free and leads a life of dignity. We are committed to fulfilling his ideals and creating a strong India. pic.twitter.com/QpE967nuUH
नेताजी के इस संग्रहालय में नेताजी द्वारा इस्तेमाल की गई लकड़ी की कुर्सी और तलवार के अलावा आईएनए से सम्बंधित पदक, बैज, वर्दी और अन्य वस्तुएँ शामिल हैं। स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान आइएनए के ख़िलाफ़ जो मुक़दमा दर्ज़ किया गया था, उसकी सुनवाई लालकिले में ही हुई थी, यही कारण है कि यह संग्रहालय यहाँ पर बनाया गया है।
संग्रहालय में आने वाले लोगों को बेहतरीन अनुभव प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिसमें फ़ोटो, पेंटिंग, अख़बार की कटिंग, प्राचीन रिकॉर्ड, ऑडियो-वीडियो क्लिप, एनिमेशन व मल्टीमीडिया की सुविधा होगी।
It was extremely humbling to inaugurate four museums relating to India’s rich history and culture.
— Narendra Modi (@narendramodi) January 23, 2019
This entire complex of museums will be known as Kranti Mandir as a tribute to the revolutionary zeal and courage of our great freedom fighters. pic.twitter.com/9mNUTWzUIS
कुछ समय पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज़ाद हिंद फौज के द्वारा अंडमान निकोबार में फहराए गए तिरंगे के 75 साल पूरे होने पर वहाँ का दौरा किया था।
पीएम मोदी उसी जगह पर स्थित याद-ए-जलियाँ संग्रहालय (जलियाँवाला बाग घटना जो अप्रैल 13, 1919 को घटित हुई थी), प्रथम विश्वयुद्ध पर आधारित संग्रहालय, 1857 (प्रथम स्वतंत्रता संग्राम) पर संग्रहालय और भारतीय कला पर दृश्यकला संग्रहालय भी गए। नरेंद्र मोदी ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की शहादत को समर्पित ये सभी संग्रहालय ‘क्रान्ति मंदिर’ के नाम से जाने जाएँगे।
सार्वजनिक जीवन में नेताजी को कुल 11 बार कारावास की सज़ा दी गई थी। सबसे पहले उन्हें 16 जुलाई 1921 को छः महीने का कारावास दिया गया था। 1941 में एक मुक़दमे के सिलसिले में उन्हें कोलकाता (कलकत्ता) की अदालत में पेश होना था तभी वे अपना घर छोड़कर चले गए और जर्मनी पहुँच गए। जर्मनी में उन्होंने हिटलर से मुलाकात की। अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध के लिए उन्होंने आज़ाद हिन्द फौज का गठन किया और युवाओं को ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा’ का नारा भी दिया।
प्रशासनिक सेवा छोड़कर स्वतंत्रता आन्दोलन में कूदे थे नेताजी
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस सर्वोच्च प्रशासनिक सेवा को छोड़कर देश को आज़ाद कराने की मुहिम का हिस्सा बन गए थे। इस दौरान ब्रिटिश सरकार ने उनके विरुद्द कई मुकदमे भी दर्ज़ किए।
ज्ञात हो कि जून 1944 को सुभाषचंद्र बोस ने ही प्रथम बार सिंगापुर रेडियो से एक संदेश प्रसारित करते हुए महात्मा गाँधी को देश का पिता (राष्ट्रपिता) कहकर संबोधित किया था। सन 1927 में सुभाष चन्द्र बोस ने ‘पूर्ण स्वराज’ का नारा दिया। यह पहला मौका था जब महात्मा गाँधी जी और उनके बीच संबंधों में खटास आई थी।
इसके बाद सन 1939 में बोस कॉन्ग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के लिए खड़े हुए और बड़े अंतराल से जीत भी गए। जबकि गाँधी जी ने उन्हें चुनाव से हटने को कहा था क्योंकि वे पट्टाभिसीतारमैया को अध्यक्ष बनाना चाहते थे। इसके बाद जब गाँधी जी ने सीतारमैया की हार पर बुझे मन से भावनात्मक टिप्पणी करते हुए कहा था, “पट्टाभिसीतारमय्या की हार मेरी हार है”, तो आहत बोस ने कॉन्ग्रेस पार्टी से ही इस्तीफा दे दिया और ऑल इंडिया फारवर्ड ब्लॉक की स्थापना की। इसके बाद बोस ने आज़ाद हिंद फौज बनाई, गाँधी जी इसके ख़िलाफ़ ही रहे।