प्रियंका गाँधी कनेक्शन के बाद अब सेक्रेट्री का खुलासा: कपूर की बेटियों वाली कंपनी से होता था लोन-दलाली का खेल

राणा कपूर

ईडी ने रविवार (मार्च 8, 2020) को राणा कपूर की रिमांड एप्लीकेशन को कोर्ट में जमा कर दिया। इस एप्लीकेश में ईडी ने राणा कपूर के सेक्रेट्री का हवाला देकर बताया कि राणा कपूर के सचिव ने ही DHFL के अधिकारियों के साथ कॉर्डिनेट किया था। जिसमें DOIT अर्बन वेंचर्स को कथित रूप से 600 करोड़ रुपए वापस मिले। बता दें कि DOIT अर्बन वेंचर्स को राणा कपूर की तीनों बेटियों द्वारा संचालित किया जाता है।

ईडी के अनुसार, यस बैंक द्वारा डीएचएफएल समूह की कंपनियों को 4,450 करोड़ रुपए के डिबेंचर निवेश और ऋण के बदले में ये उल्लेखित पैसा दिया गया था। इसके अलावा ईडी का यह भी आरोप है कि कपूर ने यस बैंक में अपने पद का कई मामलों में गलत इस्तेमाल करके करीब 2000 करोड़ रुपए अपनी कंपनी और अपने परिवार के सदस्यों द्वारा चलाई जा रही कंपनियों के लिए किकबैक (दलाली) के रूप में हासिल किए।

जानकारी के अनुसार, सीबीआई ने यस बैंक के सह-संस्थापक राणा कपूर, दीवान हाउसिंह (डीएचएफएल) और डीओआईटी अर्बन वेंचर्स कंपनी के खिलाफ आपराधिक षडयंत्र, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की है। इसके बाद ईडी और अन्य जाँच एजेंसियों ने इनके ख़िलाफ़ पड़ताल की और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में कपूर को गिरफ्तार कर लिया।

ईडी के मुताबिक यस बैंक पर यह भी आरोप है कि उसने अप्रैल-जून 2018 के बीच डीएचएफएल में 3,700 करोड़ रुपए निवेश किए और बाद में 750 करोड़ रुपए DHFL समूह की अन्य कंपनी को दिए। लेकिन बाद में बैंक ने धन की वसूली के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं किए।

कपूर (62) से इस संबंध में पूछताछ की जा रही है। जिसमें मालूम हुआ है कि डीओआईटी अर्बन वेंचर्स (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड कपूर परिवार की ही कंपनी है और उसे घोटाले से प्रभावित गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी डीएचएफल को 3000 करोड़ रुपए का कर्ज देने के बाद 600 करोड़ रुपए की राशि मिली, जो कथित तौर पर रिश्वत थी।

इसके अतिरिक्त डीएचएफएल के अध्यक्ष राजेंद्र मिराशी ने अपने बयान में बताया कि ED कि DOIT अर्बन वेंचर्स ने डीएचएफएल को 735 करोड़ रुपए के वैल्यूएशन के साथ पांच प्रॉपर्टीज़ दी। लेकिन बाद में मालूम पड़ा कि संपत्ति की खऱीद प्राइज केवल 40 करोड़ रुपए ही है। यानी डीएचएफएल से एक कंपनी को लोन जारी करवाने के लिए 40 करोड़ की संपत्ति की कीमत को बढ़ा-चढ़ाकर 735 करोड़ रुपए का बताया गया। जिसमें आरोप है कि कंपनियों से मिली रिश्वत से राणा कपूर एंड फैमिली ने संपत्ति में 2000 करोड़ रुपए का निवेश किया। हालाँकि, अभी इन तमाम आरोपों पर राणा कपूर ने चुप्पी साध रखी है। हिरासत में जान से पहले जब मीडिया ने उनसे पूछताछ करने की कोशिश की तो भी वे चुप्पी साधते नजर आए।

मिराशी के अनुसार, वह कपूर की तीनों बेटियों से कभी नहीं मिले। लेकिन उन्होंने राणा कपूर की सीनियर एक्जिक्यूटिव सेक्रेट्री से कॉर्डिनेट किया था। उनके अनुसार, कपिल वाधवान या उनके असिस्टेंट एस गोविंदन ने ही मिराशी को ट्रांजेक्शन करने के लिए निर्देश दिए।

मिराशी ने ईडी को बताया कि उसके बाद से उनके बीच कोई बिजनेस एक्टिविटी नहीं हुई और न ही कोई राजस्व आता दिखाई दिया। मगर फिर फिर भी 600 करोड़ रुपए का ऋण इस तरह से संरचित किया गया था, जैसे 2023 में एकल भुगतान होना हो। लेकिन वास्तविकता में अब तक सिर्फ़ उनसे ब्याज लिया जाता रहा।

इन सब पहलुओं के अलावा ईडी के अधिकारी के मुताबिक, जाँच के दौरान कुछ ऐसे दस्तावेज मिले हैं, जिनसे साफ होता है कि कपूर परिवार के पास लंदन में भी कुछ संपत्ति है। अब ईडी इस संपत्ति को हासिल करने के लिए इस्तेमाल की कई रकम का सोर्स तलाश रही है। ईडी ने कपूर के खिलाफ कार्रवाई शुक्रवार को शुरू की थी। इसी दिन देर रात को उनके घर पर छापा मारा था। जाँच एजेंसी की टीम ने मुंबई के समुद्र महल टॉवर स्थित कपूर के घर पर देर रात तक छानबीन की थी।

बता दें कि इससे पहले ने सीबीआई, दीवान हाउसिंग फाइनेंस लि (DHFL) पर उत्तर प्रदेश में बिजली क्षेत्र के कर्मचारियों के भाविष्य निधि कोष से 2200 करोड़ रुपए के गबन के आरोप में पहले ही मुकदमा कायम कर चुकी है। इसके साथ ही इस बैंक के स्वामित्व का पुनर्गठन करने की योजना पर काम भी शुरू कर दिया है ताकि बैंक को बचाया जा सके और इसमें धन जमा करने वाले इसके ग्राहकों का हित सुरक्षित किया जाएगा। आरबीआई की योजना के मसौदे के अनुसार भारतीय स्टेट बैंक यस बैंक में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी का अधिग्रहण करेगा।

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ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया