हैदराबाद के शमसाबाद में हुए प्रीति रेड्डी (बदला हुआ नाम) हत्याकांड पर जहाँ आज पूरा देश आक्रोशित है और गुनहगारों के लिए कड़ी सी कड़ी सजा की माँग कर रहा है। वहीं, तेलंगाना के गृहमंत्री महमूद अली ने इस मामले पर ऐसा बयान दे दिया है, जिसे सुनकर सोशल मीडिया पर हर ओर उनकी थू-थू हो रही है। दरअसल, इस पूरे मामले को महमूद अली ने अपने बयान से एक नया एंगल देने की कोशिश की है।
https://twitter.com/ANI/status/1200358446744272898?ref_src=twsrc%5Etfwउन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, “मुझे इस घटना का दुख है। लेकिन ये दुर्भाग्य की बात है कि पीड़िता एक डॉक्टर थी, पढ़ी-लिखी थी, फिर भी उसने ऐसे समय में पहले अपनी बहन को कॉल क्यों किया? उसने 100 नंबर पर कॉल क्यों नहीं किया। अगर वो 100 नंबर पर कॉल करती तो शायद उसे बचाया जा सकता था।”
https://twitter.com/divya_16_/status/1200362580818030592?ref_src=twsrc%5Etfwगृहमंत्री ने अपने राज्य की पुलिस के लिए तो बोल दिया लेकिन बहन को कॉल न करके पुलिस को फोन करने से प्रीति रेड्डी (बदला हुआ नाम) को कितना फायदा पहुँचता? शायद कुछ भी नहीं! क्यों? क्योंकि उसी पुलिस ने बाद में प्रीति के परिवार वालों की कोई मदद नहीं की। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जब प्रीति की बहन ने उसका नंबर न मिलने पर पुलिस को सबसे पहले इसकी जानकारी देने की कोशिश की तो पुलिस द्वारा उसे ये कहकर टाला जाता रहा कि ये इलाका उनके अंतर्गत नहीं आता है। जबकि पिता ने जब अपनी बेटी की गुमशुदगी की शिकायत करवानी चाही, तो कथित तौर पुलिस ने उनसे पूछा कि कहीं उनकी बेटी किसी लड़के के साथ तो नहीं भाग गई?
सोचिए, ऐसी गंभीर स्थिति में जिस पुलिस के पास इतनी अनर्गल बातें करने का समय है क्या वो उस समय पर प्रीति की मदद के लिए त्वरित कार्रवाई करती? महमूद अली के अनुसार लड़की को अपनी बहन को नहीं, पुलिस को कॉल करना चाहिए था, ताकि उन्हें बचाया जा सके, लेकिन अगर राज्य की पुलिस इतनी ही सचेत है, तो क्या टॉल प्लाजा जैसी जगह पर कोई सुरक्षा व्यवस्था का इंतजाम नहीं होना चाहिए था?
महमूद अली के इस बयान ने आज उन लोगों को भी शर्मिंदा कर दिया है, जो राज्य में महिला सुरक्षा की दुहाई देते फिरते हैं, लेकिन जब ऐसी कोई घटना घट जाती है, तो फौरन लड़की पर इल्जाम मढ़ने से नहीं चूकते।
इस बयान के सामने आने के बाद प्रीति रेड्डी के लिए न्याय की गुहार लगाने वाले लोग अपनी अलग-अलग प्रतिक्रिया दे रहे हैं। लोगों का अली के बयान को आधार बनाकर कहना है कि त्वरित कार्रवाई और महिला सुरक्षा मानदंडो पर बात करने वाले लोग मानें चाहे न मानें, लेकिन 90 प्रतिशत भारतीयों का भरोसा 100 नंबर मिलाने से उठ चुका है।
https://twitter.com/theskindoctor13/status/1200359564526243841?ref_src=twsrc%5Etfwइसके अलावा कुछ यूजर्स इस बयान को अतिसंवेदनशील करार देते हुए ये भी कह रहे हैं कि उन्हें इस बयान से कोई हैरानी नहीं है। ऐसे ही लोग महिला सुरक्षा की ऐसी बदतर स्थिति के लिए उत्तरदायी हैं।
https://twitter.com/Truptisarpate/status/1200367351364874240?ref_src=twsrc%5Etfwएक यूजर ने भाजपा तेलंगाना को ये बयान टैग करते हुए लिखा है कि इस प्रकार के मंत्रियों पर तुरंत कार्रवाई की जानी चाहिए।
https://twitter.com/HasdaaPunjab/status/1200360282087772161?ref_src=twsrc%5Etfwयहाँ बता दें कि शमसाबाद पुलिस थाने में जहाँ प्रीति की बहन से कहा गया था कि ये मामला उनके क्षेत्र में नहीं आता, उन्हें भी सस्पेंड किए जाने की माँग सोशल मीडिया पर उठ रही है और कहा जा रहा है कि सुरक्षा के नाम पर लोगों को बेवकूफ बनाने का खेल अब बंद होना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि मामले के तूल पकड़ने के बाद तेलंगाना पुलिस ने इस मामले को सुलझा लेने का दावा किया है। उनके मुताबिक गिरफ्तार आरोपित मोहम्मद पाशा और अन्य तीन बहुत दिन से प्रीति के साथ बलात्कार करने की योजना बना रहे थे और टोल प्लाजा पर खड़ी पीड़िता की स्कूटी को भी उन्होंने जान-बूझकर पंचर किया था।
इसके अलावा प्रीति के पोस्टमार्टम में पता चला है कि उनके साथ बलात्कार ही नहीं हुआ बल्कि उन्हें गला दबाकर हत्या करने के पहले बुरी तरह टॉर्चर भी किया गया था। उनकी लाश को मोहम्मद पाशा की लॉरी में भरकर टोल प्लाजा से 30-40 (विभिन्न मीडिया रिपोर्टों में सटीक दूरी का अंतर है) किलोमीटर दूर ले जाकर आग लगा दी गई। पुलिस को जाँच में प्रीति के अंतःवस्त्र और उनके पास ही शराब की बोतलें भी मिली।
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