ईसाई मिशनरी स्कूल सेंट फ्रांसिस ने सिख छात्रों को पगड़ी और कड़ा पहनने से रोका, बोला SGPC – हमने देश के लिए कुर्बानियाँ दी, हमारे साथ ही भेदभाव

एसजीपीसी ने सिख छात्रों के उत्पीड़न की निंदा की (फोटो साभार: टीएनआईई)

हाल ही में उत्तर प्रदेश के बरेली में एक स्कूल में सिख छात्रों को पगड़ी, कृपाण और कड़ा पहनने से रोकने का मामला गरमा गया है। इस मामले में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने इस मामले की कड़ी निंदा की है। एसजीपीसी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने इसके खिलाफ आवाज उठाने की माँग की है।

उन्होंने एक बयान में कहा, “मैं देश भर में रहने वाले सिखों से अपील करता हूँ कि वे एक साथ आएँ और सिखों के खिलाफ भेदभाव करने वाले लोगों के खिलाफ मजबूती से आवाज उठाएँ और स्थानीय स्तर पर प्रशासन से कार्रवाई करने का आग्रह करें।” धामी ने कहा कि सिखों के साथ इस तरह के भेदभाव जानबूझकर किए जा रहे हैं। एसजीपीसी अध्यक्ष ने इस मामले में सरकार पर भी पारदर्शिता नहीं रखने का आरोप लगाया है।

देश के लिए सिखों के योगदान पर बात करते हुए धामी ने कहा कि अल्पसंख्यक होने के बावजूद सिखों ने देश की आजादी के लिए 80 फीसदी से ज्यादा कुर्बानी दी। उन्होंने कहा कि सिखों की वजह से देश की संस्कृति बरकरार है। एसजीपीसी की ओर से जारी बयान में धामी के हवाले से कहा गया है, “लेकिन दुख की बात है कि देश (भारत) में सिखों के साथ भेदभाव किया जा रहा है।”

क्या है पूरा मामला

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के बरेली में ईसाई मिशनरियों द्वारा चलाए जा रहे ‘सेंट फ्रांसिस स्कूल’ में स्कूल प्रबंधन ने सिख छात्रों के स्कूल में पगड़ी, कृपाण और कड़ा पहनकर आने पर रोक लगा दी थी। इसके साथ ही स्कूल प्रबंधन ने मनमानी करते हुए कहा था कि अगर किसी को ये सब पहनना है तो वो अपना नाम कटाकर जा सकता है।

उक्त स्कूल जिले के बारादरी थाना क्षेत्र के अंतर्गत आता है। डेलापीर स्थित ये स्कूल 12वीं तक का है। ये मामला उस वक्त सामने आया, जब बुधवार को प्रार्थना सभा में स्कूल की एक शिक्षक ने सभी को समान ड्रेस कोड में आने को कह दिया था। शिक्षक ने ये भी कहा था कि जो पगड़ी, कृपाण और कड़ा पहनकर आते हैं वो भी ये सब बंद कर दें। इसकी जानकारी लगते ही सिख बच्चों के माता-पिता ने इसका विरोध शुरू कर दिया था।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया