नमाज तो कहीं भी पढ़ लेंगे, मुस्लिमों को स्कूल की ज़रूरत: अयोध्या फैसले पर सलीम खान

जमीरउद्दीन शाह और सलीम ख़ान (फाइल फोटो)

अयोध्या विवाद मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार (9 नवंबर) को अपना ऐतिहासिक फ़ैसला सुनाया। पाँच जजों की संवैधानिक पीठ ने 40 दिनोंं की सुनवाई के बाद विवादित ज़मीन पर राम लला के पक्ष में निर्णय सुनाया, जिसका स्वागत सभी ने किया। अदालत ने मस्जिद के लिए मुस्लिमों को भी पॉंच एकड़ जमीन उपलब्ध कराने का निर्देश सरकार को दिया है।

हिन्दी सिनेमा जगत के जाने-माने कलाकार सलमान ख़ान के 83 वर्षीय पिता सलीम ख़ान ने इस फ़ैसले का स्वागत करते हुए कहा कि अयोध्या में मुस्लिम पक्ष को मिलने वाली पाँच एकड़ ज़मीन पर स्कूल बनाया जाना चाहिए। उनका कहना है कि मुस्लिमों को मस्जिद नहीं बल्कि स्कूल की ज़रूरत है। उन्होंने कहा, 

“फ़ैसला आने के बाद जिस तरीके से शांति और सौहार्द्र कायम रही यह प्रशंसनीय है। अब इसे स्वीकार कीजिए… एक पुराना विवाद समाप्त हुआ। मैं तह-ए-दिल से इस फ़ैसले का स्वागत करता हूँ। मुस्लिमों को अब इसकी (अयोध्या विवाद) चर्चा नहीं करनी चाहिए। इसकी जगह उनको बुनियादी समस्याओं की चर्चा करनी चाहिए और उसे हल करने की कोशिश करनी चाहिए। मैं ऐसी चर्चा इसलिए कर रहा हूँ कि हमें स्कूल और अस्पताल की ज़रूरत है। अयोध्या में मस्जिद के लिए मिलने वाली पाँच एकड़ जगह पर कॉलेज बने तो बेहतर होगा।”

पटकथा लेखक सलीम ख़ान ने कहा, “हमें मस्जिद की ज़रूरत नहीं, नमाज तो हम कहीं भी पढ़ लेंगे…ट्रेन में, प्लेन में,ज़मीन पर, कहीं भी पढ़ लेंगे। लेकिन हमें बेहतर स्कूल की ज़रूरत है। तालीम अच्छी मिलेगी 22 करोड़ मुस्लिमों को, तो इस देश की बहुत सी कमियाँ ख़त्म हो जाएँगी।”

बालीवुड में कई ब्लॉकबस्टर फिल्में और इसका फॉर्मूला देने वाले फिल्म लेखक ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी शांति पर ज़ोर देते हैं। उन्होंने कहा,

“मैं प्रधानमंत्री से सहमत हूँ। आज हमें शांति की ज़रूरत है, हमें अपने उद्देश्य पर फोकस करने के लिए शांति चाहिए। हमें अपने भविष्य पर सोचने की ज़रूरत है। हमें पता होना चाहिए कि शिक्षित समाज में ही बेहतर भविष्य है। मुख्य मुद्दा यह है कि मुस्लिम तालीम में पिछड़े हैं, इसलिए मैं दोहराता हूँ कि आइए हम इसे (अयोध्या विवाद को) द एंड कहें और एक नई शुरुआत करें।”

सलीम ख़ान के अलावा अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति लेफ़्टिनेंट जनरल (रिटायर) जमीरउद्दीन शाह ने भी ऐसा ही कुछ कहा। अयोध्या फ़ैसले पर आधारित NDTV के एक चर्चा के कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि मुस्लिमों को दी जाने वाली ज़मीन पर स्कूल या अस्पताल का निर्माण क्यों नहीं कर लेना चाहिए? अयोध्या में पहले से ही पर्याप्त मस्जिदें हैं। 

चर्चा के इस कार्यक्रम में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को स्वीकार करते हुए उसका स्वागत तो किया, लेकिन कोर्ट के बाहर इस मसले को हल न कर पाने पर निराशा भी जताई। उन्होंने कहा कि पाँच एकड़ ज़मीन को स्वीकारने में भले ही कुछ मुस्लिमों को दिक्कत हो रही है और वो कह रहे हैं कि उन्हें वो ज़मीन नहीं चाहिए। लेकिन उस ज़मीन को स्वीकार लेना चाहिए और उस पर मस्जिद की बजाय स्कूल या अस्पताल बनवा देना चाहिए।

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ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया